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Mahavir Swami Nirvana Day: भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस 14 नवंबर को, होगी शांति धारा

Mahavir Swami Nirvana Day 14 को जैन मंदिरों में होंगे विधान शारीरिक दूरी के साथ होगा पूजन। हर देश की प्रचलित लोक कथाएं ज्ञान और समझ को बढ़ाने में सार्थक साबित हुई हैं। लोक कथाएं और बाल साहित्य एक दूसरे पूरक हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Updated: Wed, 04 Nov 2020 07:32 AM (IST)
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Mahavir Swami Nirvana Day: 14 को जैन मंदिरों में होंगे विधान, शारीरिक दूरी के साथ होगा पूजन।
लखनऊ, जेएनएन। लोक कथाएं मौखिक तौर पर समाज और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती हैं। हर देश की प्रचलित लोक कथाएं ज्ञान और समझ को बढ़ाने में सार्थक साबित हुई हैं। लोक कथाएं और बाल साहित्य एक दूसरे पूरक हैं। खासकर ये बच्चों में नैतिक मूल्यों के बीज डालने में सहायक होती हैं। वहीं, बच्चों के अंदर जिज्ञासा, कल्पना आदि को भी जन्म देती हैं। 

आत्मसम्मान, साहस, धैर्य, समानता और सद्भाव का पाठ भी पढ़ाती हैं। विशेषकर बच्चों के जीवन में लोक कथा के महत्व को समझते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विद्या विंदु सिंह आजकल ऑनलाइन मंच पर लोक कथाएं सुना रहीं। लोक संस्कृति शोध संस्थान की पहल दादी-नानी की कहानियों को लेकर पहले स्कूलों में आयोजन होता था, कोरोना काल में इसके लिए वर्चुअल मंच को चुना गया है। डॉ. विद्या विंदु सिंह के अलावा कहानीकार जीतेश श्रीवास्तव भी लोक कथाओं की किताब से कहानियां चुनकर बच्चों को लाइव सुना रहे। साथ ही कहानियों को रिकॉर्ड कर विभिन्न माध्यमों से बच्चों तक पहुंचाया भी जा रहा। इसके लिए स्कूलों का भी सहयोग ले रहे।

डॉ. विद्या विंदु सिंह कहती हैं, प्रत्येक लोकभाषा का अपना अलग साहित्य होता है, जो लोक कथाओं, लोक गीतों, मुहावरों, कहावतों और समसामयिक सृजन के रूप में मौजूद रहता है। लोक कथाएं सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी सतत् क्रम में प्रवाहित हो रहीं। 

लोककथाएं कई प्रकार की हो सकती हैं

साहसिक लोक कथाएं, मनोरंजनपरक लोक कथाएं, नीतिपरक लोक कथाएं, भाग्य परक लोक कथाएं और धार्मिक लोक कथाएं आदि। लोक कथाओं का मूल उद्देश्य लोकमंगल के लिए रास्ता दिखाना है। सच्चाई और ईमानदारी की जीत स्थापित करना इनका मूल उद्देश्य होता है। हमें शुरुआत से ही बच्चों को लोक कथाओं से जोड़ना चाहिए, जिससे उनका सर्वांगीण सकारात्मक विकास हो सके। 

वहीं, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी कहती हैं, प्रतिमाह किसी ने किसी विद्यालय में आयोजित की जाने वाली दादी नानी की कहानियां पिछले करीब सात महीने से ऑनलाइन हो रहीं। कोरोना काल में अब तक लोक कथा सोंठ गांठ, पंडित जी की किस्मत, मुन्ना-मुन्नी की बहादुरी, भगवान बचाएगा, कौआ और उसकी परेशानी और हीरा-मोती और डर वाला भूत समेत कई लोक कथाएं सुनाई जा चुकी हैं।

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