एक जनवरी 2006 से पहले मृत्यु पर भी मिलेगी ऑनरेरी नायब सूबेदार की पेंशन, सशस्त्र बल अधिकरण ने दिए आदेश
ऑनरेरी नायब सूबेदार की एक जनवरी 2006 से पहले हुई मौत पर भी परिवार को उसकी रैंक के अनुसार ही पेंशन दी जाए। सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ पीठ ने शनिवार को गाजीपुर जिले की रहने वाली प्रभावती की अपील पर यह आदेश सुनाया है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। ऑनरेरी नायब सूबेदार की एक जनवरी 2006 से पहले हुई मौत पर भी परिवार को उसकी रैंक के अनुसार ही पेंशन दी जाएगी। सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ पीठ ने शनिवार को गाजीपुर जिले की रहने वाली प्रभावती की अपील पर यह आदेश सुनाया है। बेंच ने कहा कि याची के पति की मृत्यु एक जनवरी 2006 से पहले हुई थी। ऐसे में याची ऑनरेरी नायब सूबेदार रैंक की पेंशन पाने की हकदार है।
यह है मामला: गाजीपुर की रहने वाली प्रभावती के पति का निधन 18 अक्तूबर 2005 को हो गया था। प्रभावती के पति को सेना ने ऑनरेरी नायब सूबेदार की रैंक प्रदान की थी। जबकि सेना ने एक जनवरी 2006 से इस रैंक पर भी पेंशन देने की व्यवस्था की थी। प्रभावती ने पति की मृत्यु के बाद एक जनवरी 2006 से ऑनरेरी नायब सूबेदार उस पद की फेमिली पेंशन की मांग भारत सरकार से की थी। लेकिन उसकी मांग को ख़ारिज कर दिया गया। उसके बाद उन्होंने 2019 में सशस्त्र बल अधिकरण लखनऊ में मुकदमा दायर किया। जिसे अधिकरण ने 2021 में ख़ारिज कर दिया था। तब अधिकरण ने कहा था कि चूंकि पति की मृत्यु 01 जनवरी 2006 के पूर्व हो चुकी थी। इसलिए वादिनी को फेमिली पेंशन नहीं दी जा सकती । उसके बाद अधिवक्ता विजय पांडेय की सलाह पर वादिनी ने कोर्ट के आदेश के विरुद्ध रिव्यू पेटीशन दाखिल किया । जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायिक सदस्य सेवानिवृत्त न्यायधीश उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और प्रशासिनक अभय रघुनाथ कार्वे की बेंच ने अपने पूर्व में दिए गए निर्णय में संशोधन करते हुए कहा कि वादिनी उस पद की पेंशन 1 जनवरी, 2006 से प्राप्त करने की हक़दार है ।भले ही उसके पति की मृत्यु उसके पूर्व हो चुकी हो।
ओबीसी में शामिल करने के लिए आठ जातियों की होगी सुनवाई: अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग आठ और जातियों की सुनवाई करेगा। यह जातियां बागबान, गोरिया, महापात्र ब्राम्हण, रूहेला, मुस्लिम भांट, पंवरिया-पमरिया, लवाणा सिख और उनाई साहू हैं। आयोग इन जातियों पर अगले महीने सुनवाई करेगा। आयोग में पहले चार जातियों को ही शामिल किए जाने की सुनवाई होनी थी किंतु बाद में आए प्रतिवेदनों का दोबारा अध्ययन करवाया गया तो जातियों की संख्या आठ हो गई। अब आयोग इन जातियों को ओबीसी सूची की सूची में शामिल करने के लिए सुनवाई करेगा।