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Lucknow : यूपी के इस रिटायर्ड डीएम समेत चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज- शातिर ढंग से किया था यह काम

Lucknow News मुकदमा दर्ज कराने वाले सीबीसीआइडी के इंस्पेक्टर आशीष कुमार के मुताबिक इंदिरानगर बी-13 की रहने वाली सविता गर्ग ने 23 सितंबर 1991 में आवास विकास परिषद से एक भूखंड आवंटित कराया था। उस दौरान परिषद में तैनात कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इस भूखंड की नीलामी कर उसे प्रीमियर कंस्ट्रक्शन को आवंटित कर दिया गया।

By Jagran NewsEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Mon, 23 Oct 2023 02:41 PM (IST)
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UP News in Hindi : रिटायर्ड डीएम के खिलाफ केस दर्ज।

जागरण संवाददाता, लखनऊ: 32 साल पूर्व आवास विकास परिषद में हुए भूखंड फर्जीवाड़े के मामले में एक सेवानिवृत्त आइएएस समेत चार के खिलाफ गाजीपुर थाने में धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। शासन के आदेश पर चल रही सीबीसीआइडी जांच के बाद आरोपितों के खिलाफ यह रिपोर्ट दर्ज की गई है।

जमीन के मामले में किया था फर्जीवाड़ा

मुकदमा दर्ज कराने वाले सीबीसीआइडी के इंस्पेक्टर आशीष कुमार के मुताबिक इंदिरानगर बी-13 की रहने वाली सविता गर्ग ने 23 सितंबर 1991 में आवास विकास परिषद से एक भूखंड आवंटित कराया था। उस दौरान परिषद में तैनात कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इस भूखंड की नीलामी कर उसे प्रीमियर कंस्ट्रक्शन को आवंटित कर दिया गया।

सविता ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से लेकर शासन स्तर पर इसकी शिकायत की थी। वर्ष 2020 में गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र के आदेश पर पूरे मामले की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी गई। जांच में तत्कालीन संयुक्त आवास आयुक्त सत्येंद् सिंह, संपत्ति प्रबंध अधिकारी कृपा शंकर मिश्रा, लेखाधिकारी सुरेश कुमार वर्मा, विजय मेहरोत्रा दोषी पाए गए।

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गाजीपुर थाने में दर्ज हुआ था मुकदमा

इसके बाद चारों के खिलाफ गाजीपुर थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया गया। सीबीसीआइडी के इंस्पेक्टर के मुताबिक आरोपित सुरेश की वर्ष 2017 और कृपाशंकर की 2018 में मृत्यु हो चुकी है। सत्येंद्र सिंह और विजय मेहरोत्रा सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इंस्पेक्टर गाजीपुर सुनील कुमार सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। जो भी तथ्य मिलेंगे उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मुकदमा बीते माह 27 सितंबर को दर्ज हुआ था।

गायब कर दी गई थीं भूखंड से जुड़ी मूल पत्रावलियां 

सविता को जब जब पता चला कि उनका भूखंड प्रीमियर कंस्ट्रक्शन को आवंटित कर दिया गया है तो उन्होंने परिषद में शिकायत की। परिषद के अधिकारियों ने पत्रावलियां खोजबीन का हवाला देकर कुछ दिन तक टाल मटोल की। फिर बाद में पता चला कि भूखंड से जुड़ी पत्रावलियां ही गायब हैं। 1999-2004 तक इंद्रानगर स्थित कार्यालय में जो भी अधिकारी कर्मचारी तैनात रहें सबने कहा कि फाइल नहीं मिल रही है। जांच शुरू हुई। कर्मचारी सुरेश वर्मा ने बताया था कि मूल फाइल समेत 10 पत्रावलियां गायब हैं।

यह पत्रावलियां तत्कालीन आवास आयुक्त सत्येंद्र सिंह ले गए थे। उन्होंने नौ फाइले लौटाई थीं पर एक नहीं मिली थी। सीबीसीआइडी परिषद से सवाल किया कि जब सविता का भूखंड प्रीमियर कंस्ट्रक्शन को दिया था। इसके बाद भी सविता को रिकवरी नोटिस क्यों नहीं भेजा गया इस सवाल पर परिषद के अधिकारी चुप्पी साध गए थे।