Lucknow Jagran Samvadi 2024: राजनीति, रजतपट और रचनाओं का अनूठा बतरस, अब मिलेंगे अगले बरस, दो दिनों में 30 से अधिक वक्ताओं ने किया विमर्श
Lucknow Jagran Samvadi 2024 लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में आयोजित जागरण संवादी में राजनीति साहित्य और सिनेमा जगत की हस्तियों ने अपने विचार रखे। दो दिनों तक चले इस कार्यक्रम में 30 से अधिक वक्ताओं ने हिस्सा लिया। संवादी के सत्रों में साहित्य में बंटवारा संविधान और आरक्षण फिल्मी दुनिया के अनसुने किस्से जैसे कई विषयों पर चर्चा हुई।
अम्बिका वाजपेयी, लखनऊ। एक रहेंगे नेक रहेंगे से लेकर साहित्य में बंटवारा क्यों- जैसे सत्रों में आज के ज्वलंत विषयों पर सीधे संवाद कर सार सूंघने की लालसा के साथ चर्चा शुरू हुई लेकिन किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची। फिर भी यह संदेश दे गई कि यह चर्चा सिर्फ राजनीति और आज के साहित्य तक सीमित नहीं आम आदमी के चिंतन व उद्वेलन का विषय बन चुकी है।
शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में प्रारंभ हुई दो दिन, दस सत्र, और 30 से अधिक वक्ताओं की चर्चा को समेटती दैनिक जागरण संवादी ने रविवार को रूपाली चंद्रा की एकल प्रस्तुति के साथ वार्षिक विराम लिया।
बंटकर भी एक हूं और एक होकर भी बंटा हुआ हूं ... रविवार को मंच सजते ही नवीन चौधरी की पुस्तक खुद से बेहतर का विमोचन होने के बाद अमी गणात्रा, अरुण आनंद और हर्षवर्धन त्रिपाठी भारत की बात करने बैठे।
जागरण संवादी के भारत की बात सत्र में लेखिका अमी गणात्रा, लेखक अरुण आनंद और वरिष्ठ स्तंभकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी। जागरण
हर्ष वर्धन त्रिपाठी ने कहा कि जो भारत के विश्वगुरु बनने की बात का उपहास उड़ाते थे, आज वही लोग वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ी प्रतिष्ठा को स्वीकार करते हैं। अरुण आनंद ने कहा कि समाज में परिवर्तन आता है तो सरकारें ज्यादा नहीं कर सकतीं तो हर्षवर्धन ने कहा कि असल भारत अब ड्राइविंग सीट पर है।सभागार के वातावरण में राजनीतिक पारा तब बढ़ा जब एक रहेंगे नेक रहेंगे सत्र में भाजपा के प्रवक्ता सिद्धार्थ यादव ने बंटेंगे तो कटेंगे नारे से विपक्ष की राजनीति खत्म होने की बात की तो पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अरविंद सिंह गोप ने इन नारों से एकता को खतरा बता डाला। कांग्रेस प्रवक्ता डा हिलाल अहमद भी सपा के साथ खड़े नजर आए।
लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में आयोजित जागरण संवादी के एक रहोगे नेक रहोगे सत्र में कांग्रेस प्रवक्ता हिलाल अहमद, पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सिद्धार्थ यादव और दैनिक जागरण प्रयागराज के संपादक राकेश पांडेय । जागरण
राजनीति के बाद मंच पर बड़ा विमर्श था कि साहित्य में बंटवारा क्यों। इसमें कहानीकार सबाहत का तर्क था कि बंटवारा हमेशा खराब नहीं होता तो उपन्यासकार रत्नेश्वर सिंह ने कहा कि बंटकर भी एक हूं और एक होकर भी बंटा हुआ हूं। उपन्यासकार प्रो. गरिमा श्रीवास्तव साहित्य में कट्टरता के विरोध में दिखी तो कवि तजेंद्र सिंह लूथरा ने कहा, हमें विचारों का बंटवारा चाहिए।इसके बाद मंच पर लखनऊ के सबरंग बिखरे, इसमें पद्मश्री लोकगायिका मालिनी अवस्थी और सूफी कथक नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी से आत्म प्रकाश मिश्र के संवाद में यह गौरवबोध हुआ कि दुनिया में आपकी बोली सुनकर ही अगला पलटकर कह देगा- आप लखनऊ से हैं? संवादी के सत्र संविधान और आरक्षण में बोलते शिक्षक धीरेन्द्र दोहरे साथ में संविधान विशेषज्ञ अश्विनी उपाध्याय, दलित चिंतक प्रो. विवेक कुमार व दैनिक जागरण मेरठ के समाचार संपादक रवि त्रिपाठी
इसके बाद ‘संविधान और आरक्षण’ विषय पर नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष व दलित चिंतक प्रो. विवेक कुमार, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व संविधान विशेषज्ञ अश्विनी उपाध्याय और कानपुर के अरमापुर पीजी कालेज में राजनीति शास्त्र के सहायक प्रवक्ता धीरेंद्र दोहरे ने सामाजिक न्याय की यात्रा में आरक्षण की भूमिका, उपादेयता, प्रासंगिकता व समीक्षा के गूढ़ मुद्दों पर बेबाकी से विचार व्यक्त किए।इतनी गंभीर चर्चा के बाद माहौल फिल्मी हो गया जब दैनिक जागरण के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल निर्माता निर्देशक राहुल रवैल से फिल्मी दुनिया के अनसुने किस्से सुनने बैठे। संवादी के सत्र फिल्मी दुनिया के अनसुने किस्से में चर्चा करते फिल्म निर्माता, निर्देशक राहुल रवैल व संपादक दैनिक जागरण उप्र आशुतोष शुक्लराहुल रवैल ने फिल्मों की करोड़ों की कमाई पर प्रश्नचिन्ह लगाने के साथ कलाकारों के हिंदी ज्ञान पर सवाल उठाए तो राजकपूर को सबसे बड़ा फिल्मकार बताया। आशुतोष शुक्ल ने मीना कुमारी की आवाज आंख बंदकर सुनने की सलाह देने के साथ ही राहुल रवैल से धर्मेंद्र और सनी देओल की दिलचस्प बातें साझा करवाईं। इसके बाद फिल्म निर्देशक अमित राय, मृगदीप सिंह लाम्बा और अभिषेक शर्मा ने सिनेमा की नई पीढ़ी का लक्ष्य बताया। हर विषय के संवाद का बतरस देकर संवादी ने आपसे विदा ली...मिलते हैं अगले बरस।
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इसके बाद ‘संविधान और आरक्षण’ विषय पर नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष व दलित चिंतक प्रो. विवेक कुमार, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व संविधान विशेषज्ञ अश्विनी उपाध्याय और कानपुर के अरमापुर पीजी कालेज में राजनीति शास्त्र के सहायक प्रवक्ता धीरेंद्र दोहरे ने सामाजिक न्याय की यात्रा में आरक्षण की भूमिका, उपादेयता, प्रासंगिकता व समीक्षा के गूढ़ मुद्दों पर बेबाकी से विचार व्यक्त किए।इतनी गंभीर चर्चा के बाद माहौल फिल्मी हो गया जब दैनिक जागरण के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल निर्माता निर्देशक राहुल रवैल से फिल्मी दुनिया के अनसुने किस्से सुनने बैठे। संवादी के सत्र फिल्मी दुनिया के अनसुने किस्से में चर्चा करते फिल्म निर्माता, निर्देशक राहुल रवैल व संपादक दैनिक जागरण उप्र आशुतोष शुक्लराहुल रवैल ने फिल्मों की करोड़ों की कमाई पर प्रश्नचिन्ह लगाने के साथ कलाकारों के हिंदी ज्ञान पर सवाल उठाए तो राजकपूर को सबसे बड़ा फिल्मकार बताया। आशुतोष शुक्ल ने मीना कुमारी की आवाज आंख बंदकर सुनने की सलाह देने के साथ ही राहुल रवैल से धर्मेंद्र और सनी देओल की दिलचस्प बातें साझा करवाईं। इसके बाद फिल्म निर्देशक अमित राय, मृगदीप सिंह लाम्बा और अभिषेक शर्मा ने सिनेमा की नई पीढ़ी का लक्ष्य बताया। हर विषय के संवाद का बतरस देकर संवादी ने आपसे विदा ली...मिलते हैं अगले बरस।