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लखनऊ का कुकरैल नाला अब खूबसूरत नदी में बदलेगा, रिवरफ्रंट भी बनाने की तैयारी

नदी से नाले की शक्ल में दिखने वाले कुकरैल के उद्धार की नींव गुरुवार को रखी गई। इसमे गिरने वाले 51 नालों को सीवर अब भरवारा के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में जाएगा। इसके लिए कुकरैल के दोनों तरफ पाइप डालकर सीवर को एसटीपी में भेजा जाएगा।

By Vikas MishraEdited By: Updated: Fri, 31 Dec 2021 04:59 PM (IST)
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कुकरैल नदी को खूबसूरत बनाने के लिए करीब 6765.04 लाख रुपये खर्च होंगे।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। नदी से नाले की शक्ल में दिखने वाले कुकरैल के उद्धार की नींव गुरुवार को रखी गई। इसमे गिरने वाले 51 नालों को सीवर अब भरवारा के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में जाएगा। इसके लिए कुकरैल के दोनों तरफ पाइप डालकर सीवर को एसटीपी में भेजा जाएगा। गंदगी से भरी कुकरैल नदी से पहले गाद निकाली जाएगी, जो करीब सात से आठ मीटर तक है। शारदा नहर का पानी कुकरैल नदी में आने से अब वहां खड़े होने पर दुर्गंध भी नहीं आएगी। कुकरैल नदी की दशा बदलने में 6765.04 लाख रुपये खर्च होंगे। परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य अगस्त 2023 रखा गया है। इसका मुख्य कार्य जलनिगम करेगा, जबकि सिल्ट नगर निगम निकालेगा। नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन 'गोपालÓ ने गुरुवार को कुकरैल नदी के पास हर्बल पार्क (कल्याण अपार्टमेंट) के पास कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने की योजना की आधारशिला रखी। 

पहली बार कुकरैल नदी के बारे में सोचा गयाः नगर विकास मंत्री ने तमाम विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि पहली बार किसी ने कुकरैल नदी के बारे में सोचा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी कुकरैल नदी के उद्धार के लिए बजट देने में कोई संकोच नहीं किया। मंत्री का कहना था कि कुकरैल नदी को फिर से नदी का ही रूप दिया जाएगा। कुछ समय में नदी नाला बन गई थी और वहां खड़े होने पर दुर्गंध आती थी लेकिन आने वाले समय में इसमे साफ पानी दिखेगा। अभी तक इसमे गिर रहे 51 नालों का सीवर भरवारा एसटीपी में जाएगा। शारदा नहर से पानी को इस नदी में छोड़ा जाएगा। इस अवसर पर महापौर संयुक्ता भाटिया, अपर मुख्य सचिव (नगर विकास) डा. रजनीश दुबे, जलनिगम के एमडी सुनील कुमार, नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी, मुख्य अभियंता (सिविल) महेश वर्मा, नगर अभियंता एसएफए जैदी भी मौजूद थे। 

छह जनवरी को लग सकती है आचार संहिताः मंत्री ने अपने कार्यक्रम का अंतिम कार्यक्रम बताते हुए कहा कि उम्मीद है कि छह जनवरी को चुनाव आचार संहिता लग जाए। इस बीच भी कुछ कार्य की आधारशिला रखी जाएगी, जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री को करना है। उन कार्यों में लखनऊ को भी कुछ मिलने वाला है।

गोमती नदी को भी मिलेगी राहतः कुकरैल नदी को साफ करने से गोमती नदी को प्रदूषण से राहत मिलेगी। अब कुकरैल में गिरने वादले नालों की गंदगी गोमती नदी में ही घुलती है।

कुकरैल नदी एक नजर 

  • कुल लंबाई सोलह किलोमीटर
  • पानी का उद्यम स्थल था कुकरैल जंगल से नौ किलोमीटर पीछे कुर्सी रोड पर था, जहां दस वर्गकिलोमीटर में भूगर्भ स्त्रोत था।
  • गोमती नदी से कुकरैल नदी 25 किलोमीटर दूर है।
  • कुल 51 नाले नाले कुकरैल से जुड़े हैं।
  • इसमें 17 बड़े नाले और 34 छोटे नाले गिरते हैं। 
कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने की परियोजना में प्रथम चरण में रिंग रोड से गोमती नदी सिस साइड (दाएं तरफ) से नौ नाले और ट्रांस साइड (बायीं तरफ) से आठ नालों को आपस में मिलाकर 700 एमएम और 1600 एमएम की 7.50 किलोमीटर आरसीसी पाइपों के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इसके बीच में पडऩे वाले पुलों पर एमएस पाइप द्वारा ट्रेंसलेस विधि से कार्य किया जाएगा। इन नालों से ही एसटीपी में सीवर जाएगा। कचरा भरा होने से गहराई एक से डेढ़ मीटर हो गई थी। कुकरैल नदी का कुर्सी रोड से बीच में तीन सौ से चार सौ मीटर का भाग सूखा है और भूगर्भ स्त्रोत वाली जगह पर निर्माण होने से वह ओझल हो गया। सर्वोदयनगर, रहीमनगर, मानस विहार, शक्तिनगर संजय गांधी पुरम के नाले से आए सीवर व पानी से ही इसमे पानी का बहाव है, इसमे बिना शोधन के ही सीवर गिरता है। कुकरैल जंगल में इसका पानी साफ है लेकिन रिंग रोड के पास से इसमे गंदगी घुलने लगती है। 

पिकनिक स्पॉट जैसा दिखेगा नजाराः अभी तो नहीं लेकिन आने वाले समय में फैजाबाद रोड पर कुकरैल नदी के दोनों तरफ का इलाका जगमग करने की तैयारी है। बच्चों के खेलने के इंतजाम के साथ ही मल्टी-लेवल पार्किंग भी बनाई जानी है। एक बटरफ्लाई क्लब बनाने की भी योजना है तो म्यूजिकल फाउंटेन भी खास होगा। बोटिंग जोन के साथ छठ पूजा का प्लेटफाम भी बनना है लेकिन इसमे कुछ समय लगेगा। 

कुकरैल नदी ही थीः नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन गोपाल का कहना है कि आज जिस कुकरैल को नाला कहा जाता है वह पहले कुकरैल नदी थी। शहर के बीच से बहने वाली नदियों में लखनऊ का पहले ही नाम दर्ज था। पहले सिर्फ गोमती नदी थी, लेकिन अब कुकरैल नाले को भी नदी का नाम मिलने से दो नदियां शहर के बीच से होकर गुजरेंगी। कुत्ते काटने पर नहलाया जाता था। कुकरैल नदी के पानी की खासियत थी कि अगर किसी को कुत्ता काटता था तो इस नदी के पानी से नहलाया जाता था। मान्यता थी कि इसके पानी के नहाने से रैबीज का असर खत्म हो जाता है। आसपास के जिलों से भी लोग यहां नहलाने के लिए लाए जाते थे।

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