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लखनऊ पालीटेक्निक की जमीन पर कब्जे की तैयारी, प्रधानाचार्य ने लगाई मुख्यमंत्री से लेकर प्राविधिक शिक्षा मंत्री तक गुहार

अधिवक्ताओं का दल है लखनऊ पालीटेक्निक पर अपनी दावेदारी कर रहा है। प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री से लेकर नगर विकास मंत्री और प्राविधिक शिक्षा मंत्री तक से गुहार लगाकर सरकारी संस्थान को बचाने की अपील की है।

By Rafiya NazEdited By: Updated: Sat, 16 Oct 2021 02:34 PM (IST)
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वर्ष 1957 से सरकार के अधीन है लखनऊ पालीटेक्निक।
लखनऊ जितेंद्र उपाध्याय। प्रशासिनक लापरवाही और पुलिस की मिलीभगत से एक बार फिर सरकारी जमीन पर कब्जे का पूरा मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। इस बार कोई मंत्री नहीं अधिवक्ताओं का दल है जो सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता द्वारा कृष्णानगर में स्थापित लखनऊ पालीटेक्निक पर अपनी दावेदारी कर रहा है। प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री से लेकर नगर विकास मंत्री और प्राविधिक शिक्षा मंत्री तक से गुहार लगाकर सरकारी संस्थान को बचाने की अपील की है।

पहले भी हो चुका है कब्जे का प्रयास: कृष्णानगर के कानपुर रोड पर करोड़ों की जमीन पर पहले भी कब्जा करने का प्रयास किया गया। पिछली सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कब्जे का प्रयास किया। 2015 में मेट्रो स्टेशन को लेकर मिले स्टे को दरकिनार कर जिला प्रशासन व पुलिस इस मामले में कुछ भी करने से बच रही है। प्रधानाचार्य की ओर से सुरक्षा की मांग की गई है जिससे जमीन को बचाया जा सके।

ये है मामला: प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह ने बताया कि जिस सज्जन के नाम से कब्जे का आदेश है वह सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण के पहले का मामला है। उस व्यक्ति का निधन भी हो चुका है। वहीं जिस रमा देवी के खेत के सामने जमीन होना बताया जा रहा है वह जमीन है ही नहीं है। ऐसे में यह जमीन है ही नहीं । एसडीएम की ओर से बिना किसी नाेटिस के एक तरफा आदेशकर सरकारी जमीन को हड़पने का षडयंत्र रचा गया है। कब्जा करने वाले धमकी भी दे रहे हैं। जिला प्रशासन सरकार द्वार अधिगृहीत की गई जमीन की पैमाइश करा सकता है। जमीन है ही नहीं तो कैसे किसी दूसरे की हो जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे शिकायती पत्र में जमीन को बचाने की मांग की गई उधर संस्थान के प्रबंधक सुलक्ष्णा का कहना है कि जब कोई सरकार जमीन अधिग्रहित कर लेती है, वह सरकार की जिम्मेदारी होती है उस जमीन की सुरक्षा करें। जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक जमीन को बचाने को लेकर शिकायत की गई ,लेकिन प्रबंधन व प्रधानाचार्य की कोई सुनने वाला नहीं है। परिसर में जबरन नोटिस चस्पा कर पैमाइश कराने का दबाव बनाया जा रहा है ,जबकि हकीकत में अधिग्रहित जमीन का काफी हिस्सा कम है। ऐसे में सरकार पहले अधिगृहित की गई जमीन की पैमाइश कराए। 16 अक्टूबर को जिला प्रशासन के अधिकारी भू माफिया के दबाव में आकर एक बार फिर जबरन पैमाइश करा रहे हैं। जब सरकारी जमीन पर इस तरह कब्जा किया जाएगा तो आम आदमी का क्या हाल होगा।

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