लखनऊ प्राणि उद्यान 29 को मनाएगा 100वां स्थापना दिवस, कन्याकुमारी से लाई स्टोन और लायन फिश हैं सांप से अधिक जहरीली
नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान का 100वां स्थापना दिवस 29 नवंबर को है। इससे पहले जहां दर्शकों को जेब्रा की सौगात मिली तो अब मछली घर में समुद्र में पाई जाने वाली दुर्लभ स्टोन फिश कन्याकुमारी से लाई गई है। यह मछली दर्शकों के लिए आकर्षण का केंंद्र होगी।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान का 100वां स्थापना दिवस 29 नवंबर को है। स्थापना दिवस से पहले जहां दर्शकों को जेब्रा की सौगात मिली तो अब मछली घर में समुद्र में पाई जाने वाली दुर्लभ स्टोन फिश लाई गई। कन्याकुमारी से लाई गई यह मछली दर्शकों के लिए आकर्षण का केंंद्र होगी।
प्राणि उद्यान के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि मछलीघर में 65 प्रजातियों की 2200 मछलियां हैं। उनमे से स्टोन फिश, लायन फिश और एरोवाना को भी शामिल किया गया है। स्टोन फिश के कांटों में सांप भी भांति जहर पाया जाता है। आस्ट्रेलिया के कुछ कबीले इस मछली को संरक्षित कर देवता के रूप में पूजते हैं।
मछली घर के संचालक इंद्रमणि राजा ने बताया कि आस्ट्रेलिया में 2018 में हुए शोध में पाया गया कि इस स्टोन फिश की रीढ़ में कांटे पाए जाते हैं। 45 सेमी लंबी यह स्टोन मछली पत्थर जैसी दिखती है। पैर पड़ते ही उसके कांटे पैर में चुभ जाते हैं और शरीर में जहर फैल जाता है। आस्ट्रेलिया में 150 से अधिक लोग अनजाने में इससे घायल होते हैं। देश का पहला चिड़ियाघर है जहां यह मछली दर्शक देख सकेंगे।
लायन फिश में होता है जहर:
मछली घर में लाई गई लायन फिश भी स्टाेन फिश की भांति जहरीली होती है लेकिन इसके कांटे और आकार देखकर लोग पहले से ही सतर्क रहते हैं। समुद्र में पाई जाने वाली यह दुर्लभ मछली भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होगी।
हवा में पकड़ लेती है शिकार:
तीसरी एरोवाना मछली पानी की सतह से ऊपर उड़ रहे कीटों को अपना शिकार बना लेती है। कुछ समय के लिए यह हवा में उड़ने की क्षमता भी रखती है। इन मछलियों को रखने के लिए मछली घर में समुद्र जैसा वातावरण देने का प्रयास किया गया है।