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Lucknow University: विवादित बयान देने वाले शिक्षक के विरोध की आशंका से विश्‍वविद्यालय प्रशासन अलर्ट, छात्रों के प्रवेश पर भी सख्‍ती

काशी विश्वनाथ मंदिर पर विवादित बयान देने के आरोप में फंसे एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत चंदन के समर्थन में गुरुवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर लखनऊ विश्वविद्यालय स्थित उनके आवास पर पहुंचे। वहीं उनके विरोध की आशंका के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन भी पूरी तरह से अलर्ट है।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 26 May 2022 03:02 PM (IST)
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छात्रों को आई कार्ड चेकिंग के बाद ही दिया गया प्रवेश।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। काशी विश्वनाथ मंदिर पर विवादित बयान देने के आरोप में फंसे एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत चंदन के समर्थन में गुरुवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर लखनऊ विश्वविद्यालय स्थित उनके आवास पर पहुंचे। शिक्षक से मिलकर उन्होंने घटना की विस्तृत जानकारी ली। वहीं, उनके विरोध की आशंका के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन भी पूरी तरह से अलर्ट है। गेट नंबर एक को पूरी तरह से बंद रखा गया है। वहीं, गेट नंबर दो व चार से विद्यार्थियों के पहचान पत्र चेक करके प्रवेश दिया जा रहा।

भीम आर्मी चीफ ने शिक्षक डा. रविकांत चंदन से बातचीत के बाद फोन के माध्यम से एसीपी से बात की। साथ ही शिक्षक के खिलाफ बीते 10 मई को विरोध प्रदर्शन, अभद्र व्यवहार करने वालों पर अब तक मुकदमा दर्ज न होने पर सवाल उठाया। यह भी कहा कि यदि अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने और शिक्षक पर हमला करने वालों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। फिलहाल भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर अभी शिक्षक के आवास पर ही हैं।

सघन तलाशी अभियान, चप्पे-चप्पे पर पुलिस : किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन न हो, इसके लिए पहले से ही लखनऊ विश्वविद्यालय का प्राक्टोरियल बोर्ड अलर्ट है। सुबह से पुलिस बल व प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्य सभी गेट पर तैनात हैं। गेट नंबर एक बंद रखा गया है। परीक्षा के लिए जो छात्र-छात्राएं आ रहे हैं, उन्हें प्रवेश पत्र देखकर ही अंदर आने दिया जा रहा। चीफ प्राक्टट प्रोफेसर राकेश द्विवेदी का कहना है कि मालौल पूरी तरह से शांत है। सभी गेट पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था है।

कल निकाला गया था प्रतिरोह मार्च : शिक्षक के विरुद्ध दर्ज मुकदमे को वापस लेने और आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर बुधवार को परिवर्तन चौक से प्रतिरोध मार्च निकाला गया था। वहीं, लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी राज्यपाल, मुख्यमंत्री और डीजीपी को पत्र लिखकर अभ्रद भाषा का प्रयोग करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है।

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