Chandra Grahan: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, पढ़ें राशि पर क्या पड़ेगा असर व सूतक काल में किन चीजों से बचें
Chandra Grahan 2022 भारत के अलावा यह उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका आस्ट्रेलिया एशिया उत्तरी प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में नजर आएगा। स्नान दान सहित कार्तिक पूर्णिमा तिथि का प्रसिद्ध एवं देव दीपावली का पवित्र पर्व आठ नवंबर को है।
By Vrinda SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 08 Nov 2022 05:31 PM (IST)
लखनऊ, जागरण संवाददाता। Lunar Eclipse: साल का अंतिम चंद्र ग्रहण आठ नवंबर यानी कि आज लग रहा है। खंडग्रास ग्रहण काल के नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा और मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद यानि आठ नवंबर को कार्तिक माह की पूर्णिमा पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पूर्णिमा की रात को सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक ही रेखा में होते हैं।
पृथ्वी के बीच में रहने से इसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है, यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा, जो कि भारत के कई हिस्सों में नजर आएगा। भारत में ग्रस्तोदित खंडग्रास चंद्र ग्रहण शाम को 5:09 बजे से शुरू होगा जो शाम 6:19 बजे तक रहेगा।यह ग्रहण मेष राशि और भरणी नक्षत्र में लग रहा है। भारत के अलावा यह उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में नजर आएगा। स्नान दान सहित कार्तिक पूर्णिमा तिथि का प्रसिद्ध एवं देव दीपावली का पवित्र पर्व आठ नवंबर को है। व्रत की पूर्णिमा एक दिन पहले सोमवार को दिन में 3:57 से शुरू होगा। उदय कालिक स्थिति के आधार पर पूर्णिमा तिथि मंगलवार को मनाया जाएगा।
ग्रहण पर एक नजर
- चंद्रग्रहण का स्पर्श काल=शाम 5: 09 बजे।
- मध्यकाल-शाम 5:12 बजे।
- मोक्षकाल- शाम 6:19 बजे।
- लखनऊ में 5:16 बजे से लगेगा ग्रहण
- गोरखपुर शाम 5:06 बजे
- प्रयागराज शाम 5:14 बजे
- पटना शाम 5:01 बजे
- दिल्ली शाम 5:28 बजे
- मुंबई शाम 6:01 बजे
- उज्जैन शाम 5:43 बजे
- काशी शाम 5:09 बजे
- अयोध्या शाम 5:11 बजे
- रांची शाम 5:03 बजे
धर्म-कर्म से जुड़े लोगों को अपनी राशि अनुसार अथवा किसी योग्य ब्राह्मण के परामर्श से दान की जाने वाली वस्तुओं को एकत्र कर संकल्प के साथ उन वस्तुओं को योग्य व्यक्ति को दे देना चाहिए। ज्योतिर्विद पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि अग्नि तत्व राशि मेष में चंद्र राहु की युति एवं वायु तत्व राशि तुला में केतु के साथ सूर्य, शुक्र, बुध के होने से अग्नि और वायु का संयुक्त प्रभाव देखने को मिलेगा।
परिणाम स्वरूप तीव्र गति से वायु या चक्रवात का चलना। तीव्र गति से चलने वाले वाहनों की क्षति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। वायु के विपरीत प्रभाव से हवाई जहाज, सैन्य वाहन , हेलीकाप्टर की भी क्षति हो सकती है। ग्रहण का प्रभाव एक महीने तक दिखाई पड़ता है।सूतक काल में इनका रखें ध्यान : सूतक के समय और ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है। खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय वर्जित हैं।
इस समय झूठ बोलना, छल-कपट, बेकार का वार्तालाप और मूत्र विसर्जन से परहेज करना चाहिए।सूतक काल में बच्चे, बूढ़े, अस्वस्थ स्त्री आदि को उचित भोजन लेने में कोई परहेज नहीं हैं। सूतक आरंभ होने से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा तृण डाल देना चाहिए जिससे ये खाद्य पदार्थ ग्रहण से दूषित नहीं होगें। अगर कुशा नहीं है तो तुलसी का पत्ता भी डाल सकते हैं। घर में जो सूखे खाद्य पदार्थ हैं उनमें कुशा अथवा तुलसी पत्ता डालना आवश्यक नहीं है। गर्भवती पेट पर गोबर का लेप कर लें,चाकू, सुई, इत्यादि से कोई कार्य न करें। सम्भव हो तो टहलें, सोये नहीं तो उत्तम होगा।
राशियों पर पड़ेगा प्रभाव
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- मेष : मानसिक चिंता में वृद्धि, दैनिक रोजगार को लेकर तनाव , दांपत्य एवं प्रेम संबंधों में टकराव या तनाव , माता एवं पिता को कष्ट। पराक्रम, सम्मान एवं परिश्रम में वृद्धि।
- वृष : पराक्रम वृद्धि, भाई बंधुओं को लेकर तनाव, गृह एवं वाहन सुख को लेकर तनाव, आंतरिक शत्रुओं में वृद्धि परंतु विजय । मानसिक चिंता , भाग्य का साथ । दांपत्य एवं प्रेम संबंधों में सकारात्मक प्रगति।
- मिथुन: आय एवं आय के साधनों में वृद्धि, संतान पक्ष को लेकर थोड़ी चिंता, सम्मान एवं परिश्रम में वृद्धि ,वाणी की तीव्रता में वृद्धि । गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि । जीवन साथी एवं प्रेम संबंधों में सुधार।
- कर्क : मन अशांत , स्वास्थ्यगत समस्या ,अकारण तनाव । धन, सम्मान एवं नौकरी में वृद्धि। विद्या में अवरोध। शत्रु विजय। माता एवं पिता को लेकर चिंता। जीवन साथी एवं प्रेम संबंधों में प्रगति।
- सिंह : सरकारी या उच्चाधिकारी से तनाव। गृह एवं वाहन सुख वृद्धि। आय एवं लाभ में वृद्धि । मनोबल एवं स्वास्थ्य अचानक कमजोर। पेट व पैर की समस्या। विवाद से बचें। दाम्पत्य एवं प्रेम संबंध सामान्य।
- कन्या : धन वृद्धि। वाणी की तीव्रता में वृद्धि। दाम्पत्य सुख एवं प्रेम संबंध में वृद्धि । पराक्रम वृद्धि । विद्या में प्रगति । आय के साधनों में थोड़ा तनाव। माता के स्वास्थ्य में सुख में कमी।
- तुला : धन एवं पराक्रम में वृद्धि । मानसिक चिंता एवं झल्लाहट में वृद्धि । माता को कष्ट । दाम्पत्य एवं प्रेम संबंधों में तनाव । परिश्रम में अवरोध। गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि। पेट व पैर में कष्ट। आंतरिक शत्रुओं में वृद्धि।
- वृश्चिक: मनोबल एवं स्वास्थ्य को लेकर मन अप्रसन्न। धन वृद्धि एवं खर्च वृद्धि । अचानक यात्रा खर्च में वृद्धि । विद्या एवं डिग्री में प्रगति । संतान को लेकर चिंता खत्म । पराक्रम वृद्धि। दांपत्य सुख एवं प्रेम संबंधों में तनाव या खर्च की स्थिति।
- धनु: धनागम के नए स्रोत में वृद्धि। सम्मान एवं सुख में वृद्धि। क्रोध में अचानक वृद्धि। दाम्पत्य सुख एवं प्रेम संबंधों में तनाव। विद्या एवं अध्ययन में अवरोध। व्यापारिक विस्तार । माता एवं पिता को कष्ट। संतान को लेकर मन बेचैन।
- मकर: मनोबल एवं स्वास्थ्य में सुधार। सीने की तकलीफ एवं घबराहट । जीवनसाथी एवं प्रेम संबंधों को लेकर मन अप्रसन्न । आय के साधनों में अवरोध । संतान एवं शिक्षा को लेकर चिंता। माता एवं पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता।
- कुम्भ: प्रतियोगिता एवं शत्रु विजय। व्यय में वृद्धि। सम्मान में वृद्धि। यात्रा खर्च में वृद्धि। धनागम एवं आर्थिक लाभ में वृद्धि । गृह एवं वाहन को लेकर चिंता। जीवन साथी एवं प्रेम संबंधों को लेकर को कष्ट या तनाव। पेट एवं आंतरिक समस्या ।
- मीन: संतान के प्रति चिंता। मनोबल उच्च एवं विद्या में अवरोध। कार्यो में भाग्य का साथ। भाई, बहनों एवं मित्रों से कष्ट। पराक्रम एवं सम्मान में अवरोध । पेट एवं पेशाब की समस्या। वाणी तीव्र एवं धनागम के स्रोत में वृद्धि ।