Madhumita Shukla Hatyakand: जब 'बाहुबली' अमरमणि ने करवा दी थी प्रेमिका मधुमिता की हत्या
मधुमिता शुक्ला की लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी स्थित घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पीएम रिपोर्ट में मधुमिता के प्रेग्नेंट होने का पता लगा था। डीएनए जांच में पता चला था कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी का है।
By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Fri, 16 Jun 2023 08:17 PM (IST)
लखनऊ, ऑनलाइन डेस्क। Madhumita Murder Case: 9 मई, 2003। ये वो तारीख है जब लखनऊ में युवा कवियित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नाम पड़ा मधुमिता हत्याकांड। प्यार, धोखे और सियासत से जुड़े इस हत्याकांड ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था। जानते हैं हत्याकांड की पूरी कहानी।
साल था 1999, जब लखीमपुर खीरी के छोटे से कस्बे की रहने वाली मधुमिता शुक्ला उभरती हुई कवयित्री के रूप में सामने आई। तेजतर्रार युवा लेखिका मधुमिता शुक्ला राजनीतिक दिग्गजों के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को भी उठाती थीं। मधुमिता जल्द ही कई कवि सम्मेलनों के साथ-साथ राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए पसंदीदा बन गई थीं।
जब पहली बार 'बाहुबली' अमरमणि से मिली मधुमिता
नवंबर 1999 में, सुंदर और युवा मधुमिता पहली बार अमरमणि त्रिपाठी से मिलीं। अमरमणि नौतनवा से विधायक थे। वह कल्याण सिंह और राम प्रकाश गुप्ता की सरकारों में पहले से ही काम कर चुके थे। 'बाहुबली' माने जाने वाले अमरमणि उन नेताओं में से थे जो उस दौर की सियासत में हर बदलती सत्ता का महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करते थे। लगातार 6 बार विधायक रहे अमरमणि की विरासत को ऐसे समझा जा सकता है कि वो जेल से चुनाव जीतने वाले पहले नेताओं में से एक थे।राजनेता से संबंध को लेकर उत्साहित थीं मधुमिता!
अमरमणि विवाहित थे और उनके बच्चे भी थे। उम्र में भी काफी बड़े थे, लेकिन मधुमिता के लिए वह एक आकर्षक व्यक्ति थे। मधुमिता, अमरमणि को दिल दे बैठी थी। मधुमिता ने अपनी डायरी में 'बाहुबली' के साथ बढ़ते प्रेम संबंधों के बारे में बात लिखी है। वह राजनेता पर अपने होल्ड को लेकर उत्साहित थी।
लखनऊ में कर दी गई थी हत्या
9 मई, 2003 को मधुमिता और उनके घरेलू सहायक देशराज लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी स्थित घर में थी, तभी दोपहर करीब 3 बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। वही दो आदमी आए थे, जो एक दिन पहले मधुमिता की तलाश में घर पहुंचे थे। उनमें से एक ने अपना नाम सत्य प्रकाश बताते हुए फिर से कवयित्री से मिलने की मांग की।इस बार देशराज अंदर गया और अपनी मालकिन को उन दोनों व्यक्तियों के बारे में बताया। वह बाहर आई और उन्हें कमरे में बैठने को कहा और देशराज से चाय बनाने को कहा। जब देशराज चाय लेकर आया तो मधुमिता ने उन्हें किचन में जाकर वहीं रहने को कहा। तेज धमाके की आवाज सुनकर जब देशराज कमरे में वापस आया तो उसने देखा कि मधुमिता खून से लथपथ पड़ी है और वो दोनों व्यक्ति चले गए थे।
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