Mafia Brijesh Singh : माफिया बृजेश सिंह को जमानत मिलने के बाद बढ़ सकती हैं मुख्तार अंसारी गैंग की मुश्किलें
Mafia Brijesh Singh मुख्तार अंसारी का मऊ व गाजीपुर की राजनीति में बड़ा दखल है तो ब्रजेश सिंह का चंदौली व वाराणसी में लम्बे समय से दबदबा है। इन दोनों के गैंग की भिड़ंत में कई बार कानून-व्यवस्था को बड़ी चुनौती होती है। इनके बीच अदावत भी जारी है।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 10:28 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। पूर्वांचल में बाहुबली मुख्तार अंसारी और माफिया बृजेश सिंह की अदावत बीते तीन दशक से चली आ रही है। दोनों गैंग के शूटर कई बार आपस में भिड़ते रहते हैं, इसके साथ ही इनके गुर्गे एक-दूसरे के कारोबार में भी बड़ा हस्तक्षेप करते हैं। यह दोनों बाहुबली एक दशक से भी अधिक समय से जेल में बंद हैं। कई बार हाइ कोर्ट से लेकर सुनवाई के बाद भी मुख्तार अंसारी को राहत नहीं मिली है जबकि वाराणसी जेल में बंद बृजेश सिंह को बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजीपुर के एक केस के मामले में जमानत दी है।
मुख्तार अंसारी का मऊ व गाजीपुर की राजनीति में बड़ा दखल है तो बृजेश सिंह का चंदौली व वाराणसी में लम्बे समय से दबदबा है। इन दोनों के गैंग की भिड़ंत में कई बार कानून-व्यवस्था को बड़ी चुनौती होती है। इनके बीच अदावत अब भी जारी है।राजनीति में भी दबदबा
पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद है, जबकि उसकी पत्नी अफशां अंसारी तथा विधायक पुत्र अब्दुल्ला अंसारी गैंगस्टर एक्ट में केस दर्ज होने के बाद से भगोड़ा घोषित हैं। पूर्व विधान परिषद बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह बीते विधान परिषद के चुनाव में वाराणसी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीती है। वाराणसी जेल में बंद बृजेश सिंह ने पत्नी को चुनाव जिताने में सफलता प्राप्त की, जबकि मैदान में भाजपा तथा समाजवादी पार्टी के भी प्रत्याशी डटे थे। बृजेश सिंह के बड़े भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह भी इस सीट से एमएलसी रह चुके हैं। मौजूदा समय में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह चंदौली जिले की जिले की सैयदराजा विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्हें पूर्वांचल में भाजपा के कद्दावर नेता माना जाता है।
बृजेश व मुख्तार में 1996 के बाद से बढ़ी रार
मुख्तार अंसारी ने 1996 में पहली बार विधानसभा सदस्य बनने के बाद से बृजेश सिंह की जरायम की सत्ता को चुनौती देने लगा। गाजीपुर के सैदपुर में गैंगस्टर साहिब सिंह के गिरोह की ओर से सक्रिय हुए बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के गैंग पर हमला बोला। बृजेश सिंह ने 1990 में गाजीपुर के तमाम सरकारी ठेकों पर कब्जा करना शुरू किया तो बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग से खुली चुनौती मिलने गी। इसी दौरान 1991 में वाराणसी के पूर्व विधायक अवधेश राय की हत्या 1991 में हो गई। इसमें मुख्तार अंसारी के गैंग का नाम आया तो बृजेश से मुख्तार की तल्खी और बढ़ गई। बृजेश के नजदीकी त्रिभुवन और मुख्तार शुरू से ही एक-दूसरे के जानी दुश्मन थे। इसी दौरान बृजेश और मुख्तार के बीच गैंगवार लगातार बढ़ती चली गई।
जुलाई 2001 में गाजीपुर के उसरी चट्टी में मुख्तार अंसारी को काफिला को कार और ट्रक से घेरने की कोशिश की गई, लेकिन रेलवे फाटक बंद हो जाने के चलते हमलावरों की एक गाड़ी पीछे रह गई। ट्रक आगे था और मुख्तार की गाड़ी पीछे। ट्रक का दरवाजा खुलते ही दो शूटर्स ने मुख्तार की गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की, लेकिन मुख्तार किसी तरह गाड़ी से निकलकर गोलियां चलाते हुए खेतों की तरफ भागकर बच गया। उसने दो हमलावरों को मार भी गिराया। हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए। बृजेश सिंह हमले में घायल हो गया था। तभी उसके मारे जाने की अफवाह उड़ गई थी। बाहुबली मुख्तार अंसारी इसके बाद पूर्वांचल में गैंग लीडर बनकर उभरा।
हाई कोर्ट से मिली बृजेश को राहत, मुख्तार गैंग बेचैनइलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को बाहुबली मुख्तार अंसारी पर हुए जानलेवा हमले और हत्या षड्यंत्र के आरोपित माफिया बृजेश सिंह उर्फ अरूण कुमार सिंह की जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने दिया है। इइ हमले में मुख्तार अंसारी के गनर की मौत हो गई थी और कई लोग जख्मी भी हुए थे। माफिया बृजेश सिंह वर्ष 2009 से जेल में बंद है। बृजेश सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में जानलेवा हमला व हत्या सहित आईपीसी की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
जमानत के समर्थन में याची की ओर से कहा गया कि वह इस मामले में 2009 से जेल में बंद है। इससे पूर्व उसकी पहली जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने विचारण न्यायाधीश को निर्देश दिया था कि मुकदमे का विचारण में एक वर्ष के अंदर सभी गवाहों की गवाही कराकर ट्रायल पूरा किया जाए। इसकी अवधि बीतने के बाद भी सिर्फ एक ही गवाह का बयान दर्ज कराया जा सका है। यह भी कहा गया कि याची के खिलाफ अभी भी 41 आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें से 15 मुकदमों में वह बरी या डिस्चार्ज हो चुका है। तीन मुकदमों में विचारण चल रहा है, जिनमें से दो मुकदमों में वह जमानत पर है। सिर्फ इस एक मामले में उसे जमानत नहीं मिली है। मुकदमे का ट्रायल जल्द पूरा होने की उम्मीद नहीं है। राज्य सरकार और मुख्तार अंसारी की ओर से अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने जमानत अर्जी का विरोध किया गया। कहा गया कि याची के खिलाफ 41 आपराधिक मुकदमे हैं। उसे जेल से रिहा करना उचित नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सौदान सिंह केस के निर्देश, तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर बृजेश सिंह को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
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