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Mukhtar Ansari: अभियोजन में सेंध तो लगाई पर खुद को बचा न सका मुख्तार अंसारी, तीन दिन में दूसरी बार सजा

Mukhtar Ansari News माफिया मुख्तार अंसारी को तीन दिन में दूसरी बार सजा सुनाई गई है। लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में वर्ष 1999 में दर्ज गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमे में मुख्तार को कोर्ट ने को दोषमुक्त कर दिया था। निरंतर प्रभावी पैरवी का परिणाम अब सामने है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sat, 24 Sep 2022 12:57 AM (IST)
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Mukhtar Ansari News: माफिया मुख्तार अंसारी पर अन्य मुकदमों में भी और तेज की गई अभियोजन की कार्रवाई।
UP News: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। माफिया मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) की पुलिस से लेकर अभियोजन विभाग में गहरी पैठ थी, जिसकी दीवारें दरकते ही उसका सलाखों से बाहर आने का ख्वाब भी चकनाचूर होता जा रहा है। मुख्तार को तीन दिन में दूसरी बार सजा सुनाई गई है। चार दशकों से उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे मुख्तार ने उसके विरुद्ध दर्ज मुकदमे की तरह गैंगस्टर एक्ट के मामले में भी गहरा जाल तो बिछाया था, लेकिन अभियोजन विभाग ने उसे तार-तार कर दिया।

लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में वर्ष 1999 में दर्ज गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमे में भी मुख्तार को कोर्ट ने 23 दिसंबर, 2020 को दोषमुक्त कर दिया था। दरअसल, इस मामले में तत्कालीन सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) फौजदारी मुनेश बाबू यादव ने 16 जनवरी, 2021 को दोषमुक्ति की जो रिपोर्ट बनाई थी, उसमें मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी को बरी किए जाने का विरोध करना तक उचित नहीं समझा था। इसके साथ ही हाई कोर्ट में अपील दायर करने को भी उचित नहीं माना। रिपोर्ट में मामले को किसी अपील अथवा पुनरीक्षण योग्य ही नहीं पाया।

मुख्तार अंसारी की अभियोजन में पैठ का पता इस बात से भी चलता है कि तीन दिन पूर्व लखनऊ के आलमबाग थाने में दर्ज जेलर को धमकाने के जिस मामले में सात वर्ष की सजा सुनाई गई, उसमें भी पूर्व में उसे दोषमुक्त कर दिया गया था। एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के अनुसार इस मामले को भी एडीजीसी मुनेश बाबू यादव ने दोषमुक्ति के विरुद्ध अपील का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा था।

मुख्तार अंसारी के विरुद्ध दर्ज मामलों की मानीटरिंग के दौरान अभियोजन निदेशालय ने इसकी जांच कराई थी जिसमें दोषी पाए गए तत्कालीन एडीजीसी के विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन से सिफारिश भी की गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया था। इसके बाद एडीजीसी मुनेश बाबू यादव को उनके पद से हटा दिया गया था।

इसके बाद 27 अप्रैल, 2021 को दोनों मामलों में दोषमुक्ति के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी। निरंतर प्रभावी पैरवी का परिणाम अब सामने है। एडीजी का कहना है कि मुख्तार के विरुद्ध दर्ज अन्य मुकदमों की भी प्रभावी पैरवी सुनिश्चित कराई जा रही है। मऊ के दक्षिणटोला थाने में वर्ष 2010 में हुए राम सिंह मौर्य व उनके गनर की हत्या के मामले में मुख्तार के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की सुनवाई 28 सितंबर को है।

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