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Maha Ashtami 2022: सोमवार को अष्टमी पूजन, महा गौरी पूरी करेंगी मनोकामनाएं, नोट कर लें शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri 2022 नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि महागौरी की पूजा करने से शारीरिक व मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। महागौरी की पूजा से धन वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sun, 02 Oct 2022 06:00 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2022: माता के महा गौरी रूप की पूजा सोमवार को अष्टमी तिथि में की जाएगी।
Ashtami, Navami, Kanya Pujan Time 2022: लखनऊ, जेएनएन। नवरात्र का पावन पर्व मां दुर्गा को समर्पित होता है। नवरात्र के नौ दिन अति उत्तम माने गए हैं, लेकिन नवरात्र की अष्टमी तिथि का काफी महत्व होता है। इस नवरात्र में माता के महा गौरी रूप की पूजा सोमवार को अष्टमी तिथि में की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करना शुभ फलदायी माना गया है।

महा अष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त

महा अष्टमी की मां गौरी का पूजन 3 अक्टूबर सोमवार को किया जाएगा। शक्ति ज्योतिष केन्द्र लखनऊ के पण्डित शक्तिधर त्रिपाठी अनुसार 2 अक्टूबर, रविवार को शाम के 6:22 से अष्टमी तिथि आरम्भ हो जाएगी और 3 अक्टूबर सोमवार को सायं 04:00 बजे तक अष्टमी रहेगी।

महागौरी की पूजा का महत्व

नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि महागौरी की पूजा करने से शारीरिक व मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। महागौरी की पूजा से धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त

इस बार महा अष्टमी का पूजन विशेष फलदायी है। क्योंकि इसमें दो योग क्रमशः रवि योग और शोभन योग मिल रहे हैं। अष्टमी के दिन ही माता पार्वती अपनी तपस्या पूर्ण करके गौरांगी हुई थीं। इस दिन की पूजा से माता चिन्मया, अन्नपूर्णा की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है। मां महागौरी की पूजा सोमवार को प्रातः 05:30 से 06:30 तक या अभिजित मुहूर्त में करें।

नवरात्र की नवमी कब है?

इस बार मंगलवार को नवमी होगी। पण्डित शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि 3 अक्टूबर सोमवार को शाम के 04:00 बजे से नवमी तिथि का आरम्भ होगा और मंगलवार 4 अक्टूबर को दोपहर 01:32 तक नवमी रहेगी। उदयातिथि के अनुसार नवरात्रि की नवमी 4 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

कन्या भोजन कब कराएं?

प्रथम दिवस और अष्टमी का व्रत रखने वाले भक्त सोमवार 3 अक्टूबर को व्रत रहेंगे। उसी दिन कन्या भोजन कराएं। मंगलवार को दोपहर से पहले पारण कर लें। पूरे 9 दिन के व्रती गण 4 अक्टूबर मंगलवार को दिन के 01:32 से पहले कन्या खिलाएं और नवमी का पूजन करें ।बुधवार 5 अक्टूबर को पारण करें। कन्या भोजन से पहले कन्याओं को आमंत्रित कर उनका स्वागत करें, उनके पैर धोएं, उनका श्रृंगार करें और उसके बाद उन्हें भोजन करवाएं।

माता का विसर्जन कब?

दशमी तिथि पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इस साल 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हुई थी, जिसका समापन 5 अक्टूबर को होगा। बुधवार 5 अक्टूबर को श्रवण नक्षत्र में सूर्यास्त से पहले माता का विसर्जन होगा। प्रात: काल मुहूर्त में दुर्गा विसर्जन करना शुभ होगा।

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