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इंसान की आवाज की करते हैं नकल, दर्शकों को आकर्षित करता है इनका नीला-पीला रंग

प्राणि उद्यान में बढ़ा नीले-पीले मकाउ का कुनबा, बाड़े में मचाते हैं शोर।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 05 May 2018 11:07 AM (IST)
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इंसान की आवाज की करते हैं नकल, दर्शकों को आकर्षित करता है इनका नीला-पीला रंग

लखनऊ[जुनैद अहमद]। प्राणि उद्यान में जब बात तोता प्रजाति की आती है तो नीले-पीले मकाउ का नाम सबसे पहले आता है। रंग-बिरंगे ये मकाउ सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इंसान की आवाज की नकल भी करते हैं। मकाउ मूलत: मध्य अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, मैक्सिको तथा कैरेबियन देशो में पाए जाते हैं। मकाउ की चोंच काफी बड़ी होती है। इन्हें खाने में सीजनल फल और मूंगफली दाना, र्बे, मिर्चा, अंडा आदि दिया जाता है। ये अंडा बहुत ही शौक से खाते हैं। मकाउ के बच्चों को अगर अलग न किया जाए तो ये प्रजनन नहीं करते और न ही अंडे देते हैं। वर्तमान में इनकी बहुत सी प्रजातिया विलुप्त भी हो गई हैं, जो बची हुई प्रजाजिया हैं, वे इनडेंजर्ड श्रेणी में आती हैं।

चोंच के सहारे करते है करतब

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में बाल रेल के सामने के बाड़े में मकाउ दिनभर शोर मचाते रहते हैं। वर्तमान में प्राणि उद्यान में पाच मकाउ हैं। दो नर, दो मादा व एक बच्चा। ये कभी चोंच से तो कभी एक पंजे से जाली पकड़कर घटों लटके रहते हैं। दर्शक जब ऐसा करते हुए इन्हें देखते हैं तो उन्हें लगता है कि ये जाली में फंस गए हैं, लेकिन दर्शकों को बताया जाता है कि वे फंसे नहीं हैं, बल्कि यूं ही लटके रहते हैं। कीपर जैसे ही जाली पर अपना हाथ मारता है तो वे जाली को छोड़कर अलग बैठ जाते हैं। जब कीपर खाना देने बाड़े के अंदर जाते हैं तो यह बहुत शोर करते हैं तथा चौं-चौं-चौं की आवाज करते हैं। बढ़ गया मकाउ का कुनबा

प्राणि उद्यान में नीले-पीले मकाउ का कुनबा बढ़ गया है। पिछले सप्ताह मकाउ ने नौ अंडे दिए थे, जिनमें से एक बच्चा निकला है। जू के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि मकाउ परिवार का नया सदस्य कुछ ही दिनों में दर्शकों के सामने आ जाएगा।

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