Make Small Strong: छप्पन भोग पर लोगों का विश्वास, स्वाद जान तैयार किए मिष्ठान, चढ़े जुबान पर
Make Small Strong देश ही नहीं बल्कि विदेशियों के बीच भी लखनऊ के मिष्ठान आज अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। यह कहानी है अपनी मेहनत से लोगों को उनके स्वाद को महसूस कराने वाले छप्पन भोग के ओनर रवींद गुप्ता की है।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Tue, 20 Oct 2020 06:25 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। यह मेहनत और संघर्ष का वह दौर था जो आज भी जेहन में ताजा है। परिवार के सदस्यों ने रोजगार के लिए अपनी अलग-अलग जमीन तलाशी। पिता के साथ हम भी धंधा जमाने को सदर कैंट आ पहुंचे। मिष्ठान को ब्रांड बनाने की सोच लेकर ग्राहकों तक पहुंचने की तैयारी शुरू की। उनकी जरूरत समझी और अपने नहीं उनके बताए स्वाद को मिष्ठानों में उतारा। गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया। लोगों का विश्वास जीता और धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू कर दिया। आज देश ही नहीं विदेशों में भी लोगों को स्वदेशी मिष्ठान का चस्का लग चुका है। विदेशियों के बीच लखनऊ के मिष्ठान आज अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। यह कहानी है अपनी मेहनत से लोगों को उनके स्वाद को महसूस कराने वाले छप्पन भोग के ओनर रवींद गुप्ता की है।
वह बताते हैं वर्ष 1992 में पिता रामशरण गुप्ता ने भाईयों विनोद गुप्ता, शेखर गुप्ता के साथ मिलकर मिष्ठान की शॉप खोलने का निर्णय लिया। पिता ने सदर कैंट में एक छोटी सी दुकान से ग्राहकों के साथ रिश्तों की बुनियाद रखी। बात नाम की आई तो भगवान श्रीकृष्ण के छप्पन भोग का ख्याल आया। नाम रखा और इसे ब्रांड बनाने में पूरा परिवार जुट गया। मेहनत और लोगों का विश्वास जीतने के लिए पिता ने नसीहत दी। जो आज भी याद है। कहा कि हम अपने नहीं ग्राहकों के स्वाद को समझें। ग्राहक की जरूरत के मुताबिक उत्पाद पूरी मेहनत, गुणवत्ता और स्वाद के साथ बाजार में उतारें तभी बात बनेगी। कदम आगे बढ़े और एक ब्रांड स्थापित कर चल पडे़। आज शहर या प्रदेश ही नहीं देश के अलावा विदेशों से भी लोगों का स्नेह बराबर मिल रहा है।
विदेशों की जुबान पर भारत की मिठाइयों का डंका बजाया
हुआ यूं कि भारतीय मिठाई के नाम पर विदेशों में सोहन पापड़ी समेत एक आध उत्पाद ही थे जो विदेशों में मेहमानों के समक्ष रखे जाते थे। वहां रहने वाले भारतीय कहते थे कि यहां लोग चाकलेट को अपना मान उसे मिष्ठान के रूप में मेहमान के सामने रखते हैं। क्या कोई देशी ऐसा विकल्प नहीं जो चाकलेट को पीछे छोड़ दे। सोचा गया कि कौन से मिष्ठान बनाएं जाएं जो कम से कम एक माह तक सुरक्षित और स्वादयुक्त रहें। इसके बाद मेवा बाइट तैयार की गई। इनमें चाको, केसर, पिश्ता, रोज समेत तमाम वैरायटी तैयार करा उनकी जांच की गई कि यह भारतीय तापक्रम पर कितने दिनों तक सुरक्षित रह सकती हैं। भारतीय तापक्रम में एक महीने तक गुणवत्तायुक्त खाने योग्य पाए जाने पर इसे बाहर भेजने की तैयारी शुरू कर दी। बस फिर क्या था कूरियर कंपनी ब्लू डार्ट का साथ ले विदेशों में डिलवरी शुरू की। स्वाद जुबान पर ऐसा चढ़ा कि विदेशों में भारतीय मिष्ठानों का सिक्का जम गया।
विदेश में आयोजित फूड शो में प्रीमियम कैटेगरी ने जमाई धाक
सिलिकॉन वैली सेन फांसिस्कों वर्ष 2007 में आयोजित फैंसी फूड शो में प्रीमियम कैटेगरी ने धाक जमा दी। आज अमेरिका, न्यूजीलैंड, लंदन, ह्यूस्टन समेत एक दर्जन से अधिक स्थानों पर विदेशी मेहमानों की जुबां पर भारतीय मिष्ठान सिर चढ़कर बोल रहा है। इंडियन स्वीटस चलन में आ चुके हैं।अब तो इम्युनिटी बूस्टर मिठाई भी बना रहे
विश्चास का ऐसा सौदा जमा कि कोरोना काल में भी ग्राहकों की इम्यूनिटी बूस्टर मिठाई की डिमांड तैयार की। चूंकि लोग काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी, मेंथी, जीरा, धनिया, अजवाइन, दालचीनी, तेजपत्ता,जायफल जैसे मसालों का इन दिनों जमकर प्रयोग कर रहे हैं। इसे देखते नई डिश तैयार कराई गई जिनमें जरूरी मसाले ही नहीं औषधीय चीजें भी स्वाद के साथ मिश्रित कीं। डिमांड देख इम्यूनिटी बूस्टर से जुड़ी मिठाइयों की लंबी रेंज तैयार कराई गई है। करीब सात तरीके के विशेष इम्युनिटी बूस्टर मिष्ठान बनाए गए। अखरोट बर्फी की डिमांड आज भी खूब है। इसमें लौंग, इलायची, तेजपत्ता, काली मिर्च, केसर का इस्तेमाल कर इम्युनिटी बढ़ाने वाले मसालों का जमकर उपयोग किया गया। इसे लोगों ने खूब सराहा और पसंद किया गया।
सुरक्षा और गुणवत्ता से समझौता नहीं, कोराेना काल में बना रहा विश्वासअनलॉक के बाद जब बाजार खुले तो बड़ी चुनौती ग्राहकों को खानपान की चीजों के प्रति उनका विश्चास लौटाने की थी। कैसे उन्हें सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए मिष्ठान की सुरक्षित पैकिंग के लिए यूवी सेंसर लाइट मशीन का उपयोग किया गया। विश्वास का रिश्ता बढ़ा तो कारोबार की राह आसान होती चली गई। कारोबार अब सुधार की ओर है।
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