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Chaitra Navratri : उत्तर प्रदेश में स्थित हैं माता सती के 5 शक्तिपीठ, कई मंदिरों का जिक्र मिलता है पुराणों में

नवरात्रि पर मां दुर्गा के मंदिरों में काफी भीड़ देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश में मां दुर्गा के कई सारे चमत्कारी और सिद्ध मंदिर हैं। माता के कई मंदिरों का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। नवरात्रि में इन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है।

By Abhishek PandeyEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Thu, 23 Mar 2023 01:27 PM (IST)
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नवरात्रि में इन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है।
जागरण आनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार, 22 मार्च 2023 बुधवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। जिसका समापन 30 मार्च को होगा। नवरात्रि पर मां दुर्गा के मंदिरों में काफी भीड़ देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश में मां दुर्गा के कई सारे चमत्कारी और सिद्ध मंदिर हैं। इनमें से कई ऐसे मंदिर भी हैं, जिनका पुराणों में भी जिक्र मिलता है।

अलग-अलग देशों में हैं माता के शक्तिपीठ

पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के अलग-अलग स्‍थानों में स्थापित हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है तो देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है, वहीं तन्त्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण के मुताबिक 51 शक्तिपीठ में से कुछ विदेश में भी स्थापित हैं। भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 तथा नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं। माता सती के 51 शक्तिपीठों में से 5 शक्तिपीठ उत्तरप्रदेश में स्थित हैं।

श्रीउमा शक्तिपीठ, वृंदावन

माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ वृंदावन में भूतेश्वर महादेव मंदिर के पास है। मान्यता है यहां पर देवी के केशों का गुच्छ और चूड़ामणि गिरी थी। यह मंदिर उमा देवी मंदिर के नाम से काफी प्रसिद्ध है। साल भर यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

रामगिरि शक्तिपीठ, चित्रकूट

पौराणिक मान्यता है चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता सती का वक्ष गिरा था। यहां पर कुछ लोग माता को शिवानी भी कहते हैं। नवरात्र में इस मंदिर में पैर रखने की भी जगह नहीं होती है।

विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी

51 शक्तिपीठों में विशालाक्षी शक्तिपीठ भी काफी प्रसिद्ध है। यह शक्तिपीठ वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के पास स्थित है। उत्तर प्रदेश के इस स्थान पर माता सती की मणिकर्णिका गिरी और वे विशालाक्षी और मणिकर्णी रूप में प्रसिद्ध हुईं।

पंचसागर शक्तिपीठ, वाराणसी

इस शक्तिपीठ का कोई वास्तविक स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन मान्यता है कि यहां पर माता की निचली दाढ़ गिरी थी, जिसका नाम पड़ा वाराही।

प्रयाग शक्तिपीठ, प्रयागराज

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर माता का यह शक्तिपीठ स्थित है। मान्यता है कि यहां पर सती का हस्तांगुल गिरा था। मान्‍यता है कि पवित्र संगम में स्नान के पश्चात इस महाशक्तिपीठ में दर्शन-पूजन से भक्‍तों की मनोकामना पूरी होती है। प्रयागराज में तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है, जिसमें ललितादेवी मंदिर, कल्याणीदेवी और अलोपीदेवी धाम हैं।

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