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UP News: मथुरा का पेड़ा, संडीला के लड्डू, आगरा का पेठा और मैगलगंज के रसगुल्ले को मिलेगा GI टैग

UP News यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के स्तर पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में अपने खास गुणों के कारण राज्य में विशिष्ट पहचान रखने वाले विभिन्न क्षेत्रों के मशहूर कृषि एवं प्रसंस्कृत ज्यादा से ज्यादा उत्पादों की जीआइ टैगिंग कराए जाने का निर्णय लिया गया है।

By Ajay JaiswalEdited By: Umesh TiwariUpdated: Fri, 18 Nov 2022 07:33 AM (IST)
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यूपी के 50 मशहूर खाद्य उत्पादों को जीआइ टैग दिलाएगी योगी सरकार, अभी 36 ही हैं पंजीकृत।

लखनऊ [अजय जायसवाल]। एक जिला, एक उत्पाद (ODOP) जैसी महत्वाकांक्षी योजना के जरिए उत्तर प्रदेश के उत्पादों को देश-दुनिया में तेजी से पहचान दिला रही योगी आदित्यनाथ सरकार अब राज्य के ज्यादातर मशहूर खाद्य उत्पादों को जीआइ (जियोग्राफिकल इंडिकेशंस) टैग के जरिए विशिष्ट पहचान दिलाएगी। इनमें मथुरा का पेड़ा हो या संडीला के लड्डू, आगरा का पेठा, मैगलगंज के रसगुल्ले, लखनऊ की रेवडी, अलीगढ़ की चमचम मिठाई ही नहीं प्रतापगढ़ी मुरब्बा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई, कानपुर के सत्तू-बुकनू जैसे 50 उत्पाद हैं।

चौसा, बनारसी लंगड़ा, गौरजीत आम, बनारसी पान, ठंडई, तिरंगी बर्फी, लाल पेड़ा, लाल भरवा मिर्च, जौनपुर की इमरती, प्रतापगढ़ का आंवला, चिरईगांव के करौंदा, मुजफ्फरनगर के गुड़ आदि 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों को जीआइ टैग दिलाने के लिए आवेदन भी किए जा चुके हैं जिनके पंजीयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। अन्य प्रमुख उत्पादों को भी जीआइ टैग दिलाने के आवेदन के लिए कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं।

किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाले कृषि व अन्य उत्पाद के अनाधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाने के साथ ही उसे कानूनी संरक्षण प्रदान करने में अहम भूमिका निभाने वाले जीआइ टैग के तहत भले ही देश के 420 उत्पाद पंजीकृत हैं लेकिन उनमें उत्तर प्रदेश के सिर्फ 36 ही हैं। इनमें भी सिर्फ छह (इलाहाबादी- सुर्खा अमरूद, मलिहाबादी दशहरी आम, गोरखपुर-बस्ती एवं देवीपाटन मंडल का काला नमक चावल, पश्चिमी उप्र का बासमती, बागपत का रटौल आम और महोबा का देशावरी पान) ही कृषि संबंधी उत्पाद हैं।

चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीआइ टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है और इसके होने से विदेशी बाजार में विशिष्ट कृषि व अन्य उत्पादों को अलग पहचान मिलने से निर्यात को बढ़ावा मिलता है जिससे स्थानीय स्तर पर किसानों-कारोबारियों की आमदनी भी बढ़ती है इसलिए योगी आदित्यनाथ सरकार प्रमुख उत्पादों के जीआइ टैगिंग कराएगी।

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के स्तर पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में अपने खास गुणों के कारण राज्य में विशिष्ट पहचान रखने वाले विभिन्न क्षेत्रों के मशहूर कृषि एवं प्रसंस्कृत ज्यादा से ज्यादा उत्पादों की जीआइ टैगिंग कराए जाने का निर्णय लिया गया है। कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार के अधिकारियों के मुताबिक 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पाद के जीआइ टैगिंग के लिए पंजीयन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है।

इनमें बनारस का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं, प्रतापगढ़ का आंवला, बनारस का लाल पेड़ा व लाल भरवा मिर्च, पूर्वांचल का गौरजीत आम, चौसा आम, वाराणसी के चिरईगांव का करौंदा, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान (पत्ता), बनारस की ठंडई, जौनपुर की इमरती, मुजफ्फरनगर का गुड़, बनारस की तिरंगी बरफी और रामनगर का भांटा (गोल बैंगन) है।

अपर मुख्य सचिव कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार उत्तर प्रदेश देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि अभी राज्य के जीआइ पंजीकृत 36 उत्पादों में सिर्फ छह कृषि उत्पाद हैं। 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों के जीआइ टैगिंग के लिए पंजीयन की प्रक्रिया चल रही है। जिलाधिकारियों से जीआइ टैगिंग कराए जाने लायक उत्पादों का ब्योरा शासन को भेजने के निर्देश दिये गए हैं। फिलहाल विभिन्न जिलों के 35 उत्पादों को चिह्नित किया जा चुका है। कोशिश है कि इनमें से कम से कम 25 उत्पादों के जीआइ टैग पंजीयन के लिए जल्द नामांकन का आवेदन भी कर दिए जाएं।

इनकी जीआइ टैगिंग की है तैयारी

राज्य सरकार द्वारा फिलहाल और जिन कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों की जीआइ टैगिंग कराए जाने की तैयारी है उनमें लखनऊ की रेवड़ी, मथुरा के पेड़ा के साथ ही फतेहपुर के मलवा का पेड़ा, आगरा के फतेहपुर सीकरी की नान खटाई, आगरा का पेठा, अलीगढ़ के इग्लास की चमचम मिठाई, कानपुर नगर का सत्तू एवं बुकनू, प्रतापगढ़ का मुरब्बा, लखीमपुर-खीरी के मैगलगंज का रसगुल्ला, हरदोई के संडीला के लड्डू, बलरामपुर-सिद्धार्थनगर के तिन्नी चावल, गोरखपुर का पनियाला फल, सहारनपुर के बेहट की देशी मूंगफली, गुड़-शक्कर, हाथरस-बलिया के गुलाब व उसके उत्पाद, कानपुर नगर के बिठूर के जामून, फर्रुखाबाद की हाथी सिंगार (सब्जी), मिर्जापुर का जीरा-32 चावल, बाराबंकी का यकूटी आम, अंबेडकरनगर का हरा मिर्चा, गोंडा का मक्का, सोनभद्र का मोटा अनाज सांवा कोदो, पश्चिमी उप्र का खटरिया गेहूं, जौनपुरी मक्का, कानपुरी लाल ज्वार, बुंदेलखंड की देशी अरहर, पूर्वी उप्र का साथी चावल (बोरो-लाल), बलिया का साथी चावल (बोरो काला), सहारनपुर का देशी तिल, सीतापुरी मूंगफली, झांसी-ललितपुर की अदरक व हल्दी, जौनपुरी मूली, जौनपुर का यमुना सफेद लहसुन, बलिया का देशी परवल, लखनऊ का सफेदा आम, बुलंदशहर के खुर्जा की खुरचन जैसे उत्पाद हैं।

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