मौलाना समेत 12 को उम्रकैद, चार को 10 वर्ष की सजा; मतांतरण कराने के मामले में ATS-NIA कोर्ट ने सुनाया फैसला
मौलाना कलीम सिद्दीकी और 12 अन्य को अवैध मतांतरण और विदेशी फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने चार अन्य को दस-दस साल की कैद और अर्थदंड भी लगाया है। आरोपियों ने दिल्ली उत्तर प्रदेश झारखंड महाराष्ट्र उत्तराखंड समेत कई राज्यों में अवैध मतांतरण का नेटवर्क खड़ा किया था और विदेशी संस्थाओं से फंडिंग पाते थे।
विधि संवाददाता, लखनऊ। अवैध रूप से मतांतरण और विदेशी फंडिंग के मामले में दोषी पाए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत उसके 12 साथियों को एटीएस-एनआईए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मौलाना के चार अन्य साथियों को दस-दस साल की कैद से दंडित करते हुए अर्थदंड भी लगाया है।
मौलाना के सबसे करीबी सहयोगी हाफिज इदरीश की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट से रोक है इसलिए फिलहाल उसे कोई सजा नहीं सुनाई गई है। सजा सुनाए जाते समय कोर्ट में बड़ी संख्या में अधिवक्ता व मौलाना तथा उसके साथियों के समर्थक मौजूद थे।
मंगलवार को दोषी करार दिया था
एटीएस-एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी 16 आरोपियों को मंगलवार को ही दोषी करार दे दिया था। बुधवार को उन्होंने दोषियों को सजा सुनाई।कोर्ट ने मौलाना के सहयोगी श्याम प्रताप सिंह उर्फ मौलाना उमर गौतम को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिसकी गिरफ्तारी के बाद ही मौलाना का नेटवर्क सामने आया था। मूल रूप से फतेहपुर का रहने वाला श्याम हिंदू से मुस्लिम बनने के बाद मतांतरण कराने में सक्रिय था। गौतमबुद्धनगर में उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने मुजफ्फरनगर के फुलत कस्बे निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी उसके सहयोगी हाफिज इदरीश व अन्य को गिरफ्तार किया था। कलीम मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया का संचालक है। इस संबंध में एटीएस ने 20 जून, 2021 को को मुकदमा दर्ज कराया था।
कई राज्यों में अवैध मतांतरण का नेटवर्क
एटीएस के अनुसार, आरोपियों ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में अवैध मतांतरण का नेटवर्क खड़ा कर रखा था। यह गिरोह हिंदू समाज के युवाओं को अच्छा जीवन, दौलत और विवाह कराने का लालच देकर ब्रेनवाश करता था। मतांतरण करने वालों को नया नाम दिया जाता था। एटीएस के लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि पकड़े गए लोग आइएसआइ और विदेशी संस्थाओं से फंडिंग पाते थे। पूरे देश में नेटवर्क फैला रखा था, जिसमे उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र भी शामिल है। गिरोह की विदेशों से फंडिंग होती थी, जिसके रजिस्टर भी बरामद हुए थे।
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