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देवबंद में मौलाना महमूद मदनी बोले- जिन्हें हमारा मजहब पसंद नहीं वो कहीं और चले जाएं, ये देश हमारा

Maulana Madani News जमीयत उलेमा हिंद की दो दिनों की बैठक के आखिरी दिन जमीयत के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने भड़काने वाला भाषण दिया। मदनी ने कहा कि जिन्हें हमारा धर्म पसंद नहीं वो ये मुल्क छोडकर चले जाएं। हम दूसरी बड़ी बहुसंख्यक आबादी हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sun, 29 May 2022 08:55 PM (IST)
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जमीयत उलेमा हिंद की दो दिनों की बैठक खत्म।

लखनऊ, जेएनएन। Jamiat Ulama-I-Hind meeting in Deoband: उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के देवबंद में जमीयत उलमा ए हिंद (महमूद मदनी गुट) के सम्मेलन के दूसरे दिन मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जो हमें पाकिस्तान भेजना चाहते हैं, वे खुद वहां चले जाएं। हमें पाकिस्तान भेजने की बात करने वाले अच्छी तरह समझ लें कि हम कहीं जाने वाले नहीं हैं, क्योंकि यह देश हमारा है और हम यहां के बाशिंदे। 

जमीयत उलेमा हिंद की दो दिनों की बैठक के आखिरी दिन जमीयत के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने भड़काने वाला भाषण दिया। मदनी ने कहा कि जिन्हें हमारा धर्म पसंद नहीं वो ये मुल्क छोडकर चले जाएं। हम दूसरी बड़ी बहुसंख्यक आबादी हैं। देश में नफरत वाले लोग बहुत कम, जबकि राष्ट्र निर्माण और देश को मजबूत करने वाले लोग ज्यादा हैं।

देवबंद के ईदगाह मैदान में चल रहा जमीयत उलमा ए हिंद का दो दिवसीय सम्मेलन ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा ईदगाह, यूनिफार्म सिविल कोड समेत कई प्रस्तावों के पारित होने के साथ रविवार को संपन्न हो गया। सम्मेलन में देश के मौजूदा हालात पर चर्चा कर आपसी सद्भाव कायम रखने पर जोर दिया गया। सम्मेलन में पारित प्रस्तावों पर संगठन के देशभर से आए प्रतिनिधियों और उलमा से संजीदगी से कार्य करने का आह्वान किया गया।

सम्मेलन में काशी की ज्ञानवापी मस्जिद व मथुरा शाही ईदगाह पर प्रस्ताव आया। वाराणसी से आए हाफिज उबैदुल्लाह ने प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह के अलावा अन्य इबादतगाहों के खिलाफ इस समय ऐसे अभियान जारी हैं, जिससे देश में अमन शांति को नुकसान पहुंचा है।

खुद सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद फैसले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 के अधिनियम संख्या 42 को संविधान के मूल ढांचे की असली आत्मा बताया है। इसमें यह संदेश मौजूद है कि सरकार, राजनीतिक दल और किसी धार्मिक वर्ग को इस तरह के मामलों में अतीत के गड़े मुर्दे उखाड़ने से बचना चाहिए, ताकि संविधान का अनुपालन करने की शपथों और वचनों का पालन हो सके। ऐसा नहीं होता है तो यह संविधान के साथ बड़ा विश्वासघात होगा।

प्रोफेसर मौलाना नौमानी शाहजहांपुरी ने कामन सिविल कोड पर प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल ला को खत्म करने के लिए सरकार यूनिफार्म सिविल कोड लाना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शादी, तलाक जैसी चीजें मजहबी हिस्सा हैं। इस लोकतांत्रिक देश में सभी को धार्मिक आजादी का हक हासिल है। मुसलमान अपने मजहबी कानून में कोई बदलाव मंजूर नहीं करेंगे। अगर सरकार ऐसा करती है, तो हम हर तरह के विरोध को मजबूर होंगे।

फिलिस्तीन में होने वाली इजराइली हिंसक कार्रवाई और वहां की अल-अक्सा मस्जिद में नमाजियों के साथ मारपीट की घटना पर चिंता जाहिर करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस उत्पीड़नात्मक कार्रवाई को रोकने की मांग की गई। पर्यावरण संरक्षण व हिंदी-क्षेत्रीय भाषाओं को समृद्ध बनाने के प्रस्ताव पर भी सहमति जताई गई।

सम्मेलन में अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और आर्थिक अधिकारों पर प्रस्ताव आया, जिसमें कहा गया कि शिक्षा के स्तर और आर्थिक रूप से भारतीय मुसलमानों की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। इस बारे में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट सच्चाई को बयान करती है। जमीयत ने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया कि मुसलमानों की तालीमी और आर्थिक हालत सुधारी जाए।

मुस्लिम वक्फ संपत्तियों के संबंध में भी प्रस्ताव आया, जिसमें वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई। इसके तहत सभी राज्यों में वक्फ संपत्तियों के पुराने किराया कानूनों से मुक्त किए जाने और जिन क्षेत्रों के लिए वक्फ बोर्ड अभी तक नहीं बने हैं, वहां वक्फ बोर्ड बनाने की मांग की गई।

सम्मेलन में ये 18 प्रस्ताव पास

  • मुसलमान ज्ञानवापी और मथुरा ईदगाह पर दावा नहीं छोड़ेंगे।
  • जो लोग मुस्लिमों को देश छोड़ने की बात कहते हैं, वे खुद ही छोड़ कर चले जाएं।
  • मुसलमान उर्दू के साथ हिंदी भी पढ़ें।
  • पर्यावरण का संरक्षण करें। साफ सफाई इस्लाम का हिस्सा।
  • शरियत में दखल बर्दास्त नहीं।
  • सोशल मीडिया पर इस्लाम की सही तस्वीर पेश करें।
  • देश में नफरत के बढ़ते दुष्प्रचार को रोकने के उपाए पर विचार करें।
  • तालीमयाफ्ता बनें
  • औकाफ (वक्फ संपत्ति) की देखरेख।
  • इस्लामोफोबिया की रोकथाम के विषय में प्रस्ताव।
  • सद्धभावना मंच को मजबूत करने पर विचार।
  • माब लिचिंग पर चर्चा।
  • दो उपाध्यक्ष मौलाना सलमान बिजनौरी, मौलाना अहमद देवला और कारी शौकत वेट की कोषाध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति
  • इस्लामी धर्म और शिक्षा के संबंध में फैलाए जा रहे दुष्प्रचार
  • जमीयत का बजट
  • वर्ष-2019, 20, 21 ओर 22 की कार्रवाई को मंजूरी
  • श्रंद्धाजलि : हाल ही में जिन पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं की मृत्यु हुई।
  • सम्मेलन के अन्य मुख्य आवश्यक कार्य संबंधी प्रस्ताव