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UP: मौनी अमावस्या पर अयोध्‍या, काशी, प्रयागराज में उमड़ा आस्‍था का सैलाब, CM Yogi ने ट्वीट की अदभुत तस्‍वीरें

Mauni Amavasya 2023 आस्‍था और व‍िश्‍वास के पर्व मौनी अमावस्‍या पर आज अयोध्‍या काशी प्रयागराज कानपुर और च‍ित्रकूट में करोड़ों की संख्‍या में भक्‍तों ने पुण्‍य की डुबकी लगाकर मनौती मांगी। साधु संतों ने भी अमृत स्‍नान क‍िया।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sat, 21 Jan 2023 01:59 PM (IST)
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Mauni Amavasya 2023 प्रयागराज में संगमतट की अदभुत तस्‍वीर सीएम योगी ने की ट्वीट

लखनऊ, जेएनएन। प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, च‍ित्रकूट में गंगा क‍िनारे और अयोध्‍या में पव‍ित्र सरयू में आज मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर आस्‍था का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रयागराज में जहां अब तक एक करोड़ से अध‍िक श्रद्धालु आस्‍था की डुबकी लगा चुके हैं वहीं अयोध्‍या काशी में भी भक्‍तों के स्‍नान और ध्‍यान का क्रम जारी है

प्रयागराज माघ मेला में मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर आस्था का ज्वार फूट पड़ा है। विपरीत मौसम भी श्रद्धालुओं की श्रद्धा को नहीं डिगा सका। शनिवार भोर से शुरू हुए इस महास्नान में लाखों स्नानार्थियों ने पवित्र त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगा। प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से दावा किया गया कि सुबह 12 बजे तक एक करोड़ लाख लोगों ने स्नान किया। मेला भीड़ बढ़ने पर क्राउड कंट्रोल मैनेजमेंट और ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान सुबह आठ बजे ही लागू कर दिया गया। संगम जाने वाले प्रमुख मार्गों को बंद कर दिया गया है। स्नानार्थियों को अन्य 16 स्नान घाटों पर भेजा जा रहा है। संगम समेत सभी घाटों पर स्नान करने के बाद फौरन वहां से चले जाने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम से बोला जा रहा है। उधर श्रद्धालुओं पर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा कराया जा रहा है।

वाराणसी में शुक्रवार देर रात बारिश के बाद ठंड का असर बढ़ गया, लेकिन शनिवार को मौनी अमावस्या के मौके पर इस ठंड पर लोगों की आस्था भारी पड़ी और पश्चिम वाहिनी मां गंगा के तट पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या में लोगों ने मां गंगा में डूबकी लगाकर घर-परिवार के लिए मंगलकामना की। आज सुबह से ही लोगों की भीड़ बलुआ तट होने लगी थी। न केवल स्थानीय बल्कि जनपद के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा पूर्वांचल के जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, मउ, आजमगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर सहित बिहार के समीपवर्ती जिले के श्रद्धालुओं पहुंचे हुए थे। लगभग एक किलोमीटर के दायरे में डुबकी लगाने के लिए महिला व पुरुषों का हुजूम दिखाई दे रहा था। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां गंगा से आशीर्वाद लिया। चंद्रावती से लेकर बलुआ घाट तक लगभग पांच किलोमीटर के क्षेत्र में पश्चिम वाहिनी मां गंगा के बलुआ तट पर ऐसा लग रहा था कि साक्षात देवलोक उतर आया हो। हर कोई मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर मां गंगा की गोद में डुबकी लगाकर पुण्य का भागी बनने के लिए आतुर नजर आ रहा था।

अयोध्‍या में मौनी अमावस्या पर उमड़ा आस्था का ज्वार, लाखों श्रद्धालुओं ने सरयू में लगाई डुबकी

मौनी अमावस्या के अवसर पर राम नगरी में आस्था का ज्वार उमड़ा। राम जन्मभूमि, कनक भवन, हनुमानगढ़ी आदि प्रमुख मंदिरों से जुड़े मार्गों सहित राम नगरी के अधिकांश मार्ग श्रद्धालुओं से पटे रहे। पौ फटने से पूर्व ही नगरी के हजारों मंदिरों और धर्मशाला में पूर्व संध्या से ही डेरा जमाए श्रद्धालुओं ने पुण्य सलिला सरयू की ओर रुख किया। तड़के से लेकर संपूर्ण प्रथम बेला तक सरयू से लगे प्रमुख मार्ग सहित विभिन्न मार्ग श्रद्धालुओं से पटे रहे।

यद्यपि भोर के कुछ घंटे को छोड़ मौसम अनुकूल रहा, किंतु सुबह कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालु पूरे उत्साह से सरयू में डुबकी लगाते रहे और बगैर किसी हड़बड़ाहट के गोदान तथा अन्य प्रकार के दान सहित पूजन की परंपरा का निर्वहन करते रहे। अधिकांश श्रद्धालुओं ने सरयू स्नान के बाद पौराणिक महत्व की पीठ नागेश्वरनाथ में विराजे भूत भावन भगवान शिव के अभिषेक को वरीयता दी। नंगे पांव हाथों में जल लेकर श्रद्धालु दुश्वारियां और भीड़ के दबाव की चिंता किए बिना भोले बाबा का अभिषेक करते रहे।

राम नगरी पहुंचे श्रद्धालुओं ने शिव भक्तों के साथ श्री राम और उनके प्रिय दूत हनुमान जी के भी प्रति आस्था अर्पित की। सुबह के कुछ घंटों तक हनुमानगढ़ी चौराहा से लेकर हनुमानगढ़ी की सीढ़ियां और गर्भगृह के सम्मुख तक तिल तक रखने की जगह नहीं थी। भीड़ नियंत्रित करने के लिए पुलिस एवं प्रशासनिक अमला सर्दी में पसीना बहाता रहा। रामलला के दर्शन मार्ग पर स्थित दशरथ महल भी श्रद्धालुओं से पटा रहा। दशरथ महल पीठाधीश्वर महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य श्रद्धालुओं को मुक्त हस्त से आशीर्वाद देते रहें। उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या पूर्णता अंतर्मुखी होकर ईश्वर का स्मरण और दान पुण्य का पर्व है। रामलला के दर्शन मार्ग पर भी श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रही।

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