...ताकि संवरती जाए बुजुर्गों के जीवन की राह
राजधानी में ऐसे बुजुर्गों का सहारा बन रही है भारतीय वरिष्ठ नागरिक (भावना) समिति।
By Krishan KumarEdited By: Updated: Thu, 27 Sep 2018 06:00 AM (IST)
जागरण संवादददाता, लखनऊ। 60-70 बरस की उम्र पार करने के बाद कई बुजुर्गों को अपनी जिंदगी बोझिल सी लगने लगती है। इस अवस्था में उन्हें तरह-तरह की समस्याएं होती हैं। कोई जीवन साथी के वियोग में रहता है तो कोई पारिवारिक देखरेख के अभाव या फिर खून के रिश्तों में दूरियों से दुखी रहता है। ये स्थितियां उन्हें अकेलेपन का शिकार बना देती हैं। राजधानी में ऐसे बुजुर्गों का सहारा बन रही है भारतीय वरिष्ठ नागरिक (भावना) समिति। इस संस्था की कोशिश है कि देखभाल के जरिए बुजुर्गों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर दिलाया जा सके।
समिति के मुखिया पॉवर कॉरपोरेशन में चीफ जनरल मैनेजर के पद से वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त विनोद कुमार शुक्ला हैं। वह बताते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने बुजुर्गों की दशा को समझा और उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए साथियों से मशविरा किया। इसके बाद अगस्त (वर्ष 2000) में भावना समिति का गठन किया। तब से समिति वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए काम कर रही है। निरंतर कार्यक्रमों में समिति के सदस्य बुजुर्गों को व्यस्त रखते हैं। ताकि उन्हें अकेलापन महसूस न हो।
डेढ़ लाख बुजुर्गों को दिखाई जीने की राह
अध्यक्ष विनोद शुक्ला बताते हैं कि समिति में 950 डायरेक्ट मेंबर हैं। इसके इतर 16 वरिष्ठ नागरिक संगठन भी समिति के सदस्य हैं। इन सदस्यों को मिलाकर समिति ने करीब डेढ़ लाख बुजुर्गों को जीवन जीने की राह दिखाई है। इसके इतर समिति ग्रामीण इलाकों में निर्धन जन सेवा कैंप लगाती है। वहां गरीब परिवार के वरिष्ठ नागरिकों को जागरूक करने के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाते हैं। गांवों में सर्वे कर गरीब बुजुर्गों का चयन करते हैं। उनकी आर्थिक मदद के साथ ही कंबल, चादर के साथ पहनने के लिए कपड़ा बांटते हैं।
डे-केयर सेंटर में रखते बुजुर्गों का ख्याल
समिति ने महानगर विस्तार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए डे केयर सेंटर खोला है। यह सेंटर सुबह 10 से शाम छह बजे तक खुला रहता है। यहां बुजुर्ग इनडोर गेम खेल मनोरंजन करते हैं। टीवी देखने, पढऩे के लिए अखबार व पुस्तकों की व्यवस्था की गई है। यहां महज 20 व 50 रुपये में फिजियोथेरेपी भी की जाती है। गरीब बुजुर्गों के लिए यह सेवा निशुल्क है। इसके इतर बीमार बुजुर्गों को मुफ्त में परामर्श व सस्ते दर पर इलाज कराया जाता है। इसके लिए समिति ने आस्था ओल्ड एज हॉस्पिटल महानगर, अवध हॉस्पिटल कानपुर रोड, डेंटल सर्जन सुधांशु अग्रवाल से समन्वय किया है।
मजबूत कर रहे भविष्य की नींव
भावना समिति बुजुर्गों की देखभाल के अलावा भविष्य की नींव को भी मजबूत कर रही है। इस वर्ष समिति ने 141 बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक मदद की है। इसके इतर छह बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा संभाल रहे हैं। मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित भी करते हैं। बोर्ड परीक्षा में सबसे अधिक अंक हासिल करने वाले इंटरमीडिएट के विद्यार्थी को 15 हजार व हाईस्कूल के छात्र को 10 हजार रुपये नकद पुरस्कार देते हैं। पिछले पांच वर्षों से औरंगाबाद में एजूकेशन सेंटर भी चला रहे हैं। यहां बच्चों को साक्षर बनाने के लिए दो शिक्षक नियुक्त किए हैं। पढ़ने में रुचि लेने वाले बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला भी कराते हैं।
डेढ़ लाख बुजुर्गों को दिखाई जीने की राह
अध्यक्ष विनोद शुक्ला बताते हैं कि समिति में 950 डायरेक्ट मेंबर हैं। इसके इतर 16 वरिष्ठ नागरिक संगठन भी समिति के सदस्य हैं। इन सदस्यों को मिलाकर समिति ने करीब डेढ़ लाख बुजुर्गों को जीवन जीने की राह दिखाई है। इसके इतर समिति ग्रामीण इलाकों में निर्धन जन सेवा कैंप लगाती है। वहां गरीब परिवार के वरिष्ठ नागरिकों को जागरूक करने के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाते हैं। गांवों में सर्वे कर गरीब बुजुर्गों का चयन करते हैं। उनकी आर्थिक मदद के साथ ही कंबल, चादर के साथ पहनने के लिए कपड़ा बांटते हैं।
डे-केयर सेंटर में रखते बुजुर्गों का ख्याल
समिति ने महानगर विस्तार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए डे केयर सेंटर खोला है। यह सेंटर सुबह 10 से शाम छह बजे तक खुला रहता है। यहां बुजुर्ग इनडोर गेम खेल मनोरंजन करते हैं। टीवी देखने, पढऩे के लिए अखबार व पुस्तकों की व्यवस्था की गई है। यहां महज 20 व 50 रुपये में फिजियोथेरेपी भी की जाती है। गरीब बुजुर्गों के लिए यह सेवा निशुल्क है। इसके इतर बीमार बुजुर्गों को मुफ्त में परामर्श व सस्ते दर पर इलाज कराया जाता है। इसके लिए समिति ने आस्था ओल्ड एज हॉस्पिटल महानगर, अवध हॉस्पिटल कानपुर रोड, डेंटल सर्जन सुधांशु अग्रवाल से समन्वय किया है।
मजबूत कर रहे भविष्य की नींव
भावना समिति बुजुर्गों की देखभाल के अलावा भविष्य की नींव को भी मजबूत कर रही है। इस वर्ष समिति ने 141 बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक मदद की है। इसके इतर छह बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा संभाल रहे हैं। मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित भी करते हैं। बोर्ड परीक्षा में सबसे अधिक अंक हासिल करने वाले इंटरमीडिएट के विद्यार्थी को 15 हजार व हाईस्कूल के छात्र को 10 हजार रुपये नकद पुरस्कार देते हैं। पिछले पांच वर्षों से औरंगाबाद में एजूकेशन सेंटर भी चला रहे हैं। यहां बच्चों को साक्षर बनाने के लिए दो शिक्षक नियुक्त किए हैं। पढ़ने में रुचि लेने वाले बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला भी कराते हैं।
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