लखनऊ की निर्वाण संस्था का यही संदेश सुबह-शाम, नशा मुक्त हो अवाम
संस्था ने नशा मुक्ति अभियान चलाने के लिए लखनऊ सहित चार शहरों में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए हैं। इन केंद्रों के जरिए नशा मुक्त आवाम बनाने का संदेश दिया जा रहा है।
By Krishan KumarEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 06:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, लखनऊ। 'उम्मीद न कोई आशा है, चारों तरफ निराशा है। बर्बाद तुम्हें ये कर देगा, नशे की यही परिभाषा है।' एक कविता की इन पंक्तियों से जाहिर है कि नशा नाश की जड़ है। समाज में न जाने कितने लोग नशे की लत में अपना जीवन बर्बाद कर चुके हैं। इस आदत की वजह से नशेड़ियों के परिवार आर्थिक व सामाजिक रूप से टूट रहे हैं। नशे के चंगुल में फंसे ऐसे लोगों को बचाने में ही जुटी है निर्वाण संस्था। संस्था ने नशा मुक्ति अभियान चलाने के लिए लखनऊ सहित चार शहरों में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए हैं। इन केंद्रों के जरिए नशा मुक्त आवाम बनाने का संदेश दिया जा रहा है।
मूल रूप से कुमाऊं उत्तराखंड के निवासी संस्था के अध्यक्ष इंदिरानगर निवासी सुरेश सिंह धपोला बताते हैं कि नशेड़ियों की पारिवारिक दशा को समझकर उन्होंने नशा मुक्ति अभियान शुरू किया था। इसके लिए वर्ष 1991 में निर्वाण संस्था का गठन किया। तब से अब तक लगभग बीस हजार लोगों को नशे से मुक्ति दिला चुके हैं। उनके कार्यों से प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।
स्कूलों में जागरूकता अभियान, केंद्र में पुनर्वास
संस्था छात्रों को नशे के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल-कॉलेजों में कार्यशाला आयोजित कराती है। विशेषज्ञों से बच्चों का संवाद कराया जाता है। लखनऊ के अलावा बरेली, हरिद्वार व हल्द्वानी में नशा मुक्ति केंद्र चल रहा है। इन केंद्रों में नशेड़ियों का पुनर्वास कराया जाता है। वहां गरीबों के लिए निशुल्क खाने-पीने, रहने व देखभाल की सुविधा है। केंद्र में नशे के आदी लोगों का 15 से 90 दिन तक काउंसिलिंग व इलाज करते हैं। इस अवधि में अधिसंख्य रोगी नशा छोड़ देते हैं।
मानसिक विक्षिप्त लोगों को भी दे रहे सहारा
सुरेश सिंह मानसिक मंदित व मानसिक विक्षिप्त लोगों का भी सहारा बने हैं। शहर में मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति की जानकारी मिलने पर संस्था प्रशासन की अनुमति लेकर उस व्यक्ति को केंद्र ले आती है। वहां उसका मानसिक रोग चिकित्सक से इलाज कराते हैं। सही होने पर यदि वह घर का पता बता देते हैं तो उन्हें उनके परिवार तक पहुंचा दिया जाता है। अब तक 52 मानसिक विक्षिप्त लोगों का इलाज कराने के बाद उन्हें घर तक पहुंचा चुके हैं। मोहान रोड पर उन्होंने मानसिक विक्षिप्त लोगों की देखभाल के लिए सरकार के सहयोग से एक केंद्र स्थापित किया है। इसमें 115 मानसिक मंदित व विक्षिप्त बच्चे, किशोर व युवा रह रहे हैं। इसके अलावा इंदिरानगर केंद्र में 75 व खरगापुर केंद्र में 33 मानसिक विक्षिप्त रह रहे हैं।
स्कूलों में जागरूकता अभियान, केंद्र में पुनर्वास
संस्था छात्रों को नशे के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल-कॉलेजों में कार्यशाला आयोजित कराती है। विशेषज्ञों से बच्चों का संवाद कराया जाता है। लखनऊ के अलावा बरेली, हरिद्वार व हल्द्वानी में नशा मुक्ति केंद्र चल रहा है। इन केंद्रों में नशेड़ियों का पुनर्वास कराया जाता है। वहां गरीबों के लिए निशुल्क खाने-पीने, रहने व देखभाल की सुविधा है। केंद्र में नशे के आदी लोगों का 15 से 90 दिन तक काउंसिलिंग व इलाज करते हैं। इस अवधि में अधिसंख्य रोगी नशा छोड़ देते हैं।
मानसिक विक्षिप्त लोगों को भी दे रहे सहारा
सुरेश सिंह मानसिक मंदित व मानसिक विक्षिप्त लोगों का भी सहारा बने हैं। शहर में मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति की जानकारी मिलने पर संस्था प्रशासन की अनुमति लेकर उस व्यक्ति को केंद्र ले आती है। वहां उसका मानसिक रोग चिकित्सक से इलाज कराते हैं। सही होने पर यदि वह घर का पता बता देते हैं तो उन्हें उनके परिवार तक पहुंचा दिया जाता है। अब तक 52 मानसिक विक्षिप्त लोगों का इलाज कराने के बाद उन्हें घर तक पहुंचा चुके हैं। मोहान रोड पर उन्होंने मानसिक विक्षिप्त लोगों की देखभाल के लिए सरकार के सहयोग से एक केंद्र स्थापित किया है। इसमें 115 मानसिक मंदित व विक्षिप्त बच्चे, किशोर व युवा रह रहे हैं। इसके अलावा इंदिरानगर केंद्र में 75 व खरगापुर केंद्र में 33 मानसिक विक्षिप्त रह रहे हैं।
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