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यूपी में मंकीपाक्स की स्क्रीनिंग के लिए जिलों में बनाई गईं टीमें, दूसरे राज्यों से आ रहे लोगों की होगी जांच

Monkeypox Screening मंकीपाक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के जिलों में स्क्रीनिंग के लिए टीमें तैनात की गई हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क है। बाहर से आने वाले लोगों की लक्षणों के आधार पर जांच की जाएगी। संदिग्ध रोगियों के सैंपल लेकर केजीएमयू भेजे जाएँगे। राज्य स्तरीय हेल्पलाइन नंबर 18001805145 जारी किया गया है।

By Ashish Kumar Trivedi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 08 Sep 2024 10:08 AM (IST)
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यूपी में मंकीपाक्स की स्क्रीनिंग के लिए जिलों में बनाई गईं टीमें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मंकीपाक्स से बचाव के लिए जिलों में टीमों का गठन कर दिया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर पूरी तरह सतर्क है। डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की यह टीम जिलों की सीमा पर तैनात रहेगी और बाहर से आ रहे लोगों की लक्षणों के आधार पर स्क्रीनिंग करेगी।

अगर कोई संदिग्ध रोगी मिलता है तो तत्काल सैंपल लेगी और उसे केजीएमयू के माइक्रोबायोलाजी विभाग जांच के लिए भेजेगी। मध्य व पश्चिम अफ्रीकी देशों में बड़ी संख्या में मंकीपाक्स से पीड़ित रोगियों को देखते हुए बचाव के उपाय किए जा रहे हैं।

कांगो में इस समय मंकीपाक्स के रोगी बड़ी संख्या में मिल रहे हैं। ऐसे में लोगों की स्क्रीनिंग किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से राज्य स्तरीय हेल्प लाइन नंबर 18001805145 जारी किया गया है। अगर किसी भी व्यक्ति को इस बीमारी से संबंधित कोई जानकारी या मदद हासिल करनी है तो वह इस पर संपर्क कर सकता है।

मोहल्ला कमेटियों को किया गया अलर्ट

सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों की देखरेख में रोस्टर के आधार पर स्क्रीनिंग के लिए बनाई गईं टीमें कार्य करेंगी। माेहल्ला कमेटियों को भी अलर्ट किया गया है कि वह बाहर खासकर अफ्रीकी देशों से आ रहे लोगों के संबंध में जानकारी दें।

भारत में इस वर्ष मार्च महीने में केरल में इसका एक रोगी पाया गया था जो कि दूसरे देश से यहां आया था। मंकीपाक्स में शरीर में दाने पड़ जाते हैं, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, लसिका ग्रंथियों में सूजन और ठंड लगती है।

मंकीपाक्स से पीड़ित व्यक्ति व जानवर के शरीर से निकले फ्लूइड, संक्रमित जानवरों के काटने व छूने से यह फैलता है। खासकर चूहों, गिलहरी व बंदरों इत्यादि से यह अधिक फैलता है। मंकीपाक्स से पीड़ित व्यक्ति को छूने और उससे शारीरिक संबंध बनाने से भी यह रोग फैलता है।

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