मप्र के प्रयोग ने बढ़ाई यूपी के भाजपा सांसदों की धुकधुकी; तो क्या 2024 में इन सांसदों के कट जाएंगे टिकट?
UP Politics पार्टी ने औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही मंचों से जिताऊ उम्मीदवारों पर ही दांव लगाने का संकेत दिया है। पार्टी विभिन्न तरीकों से जनता के बीच अपने सांसदों की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का आकलन कर रही है। बीते दिनों पार्टी की ओर से संचालित किये गए महाजनसंपर्क अभियान के दौरान भी पार्टी ने अपने सांसदों का दमखम परखा था।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : Loksabha Chunaमध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट वितरण के प्रयोग ने उत्तर प्रदेश में भाजपा सांसदों की धुकधुकी बढ़ा दी है। मप्र में भाजपा नेतृत्व ने जिस चौंकाने वाले अंदाज में अब तक टिकट बांटे हैं, उससे पार्टी सांसदों की बेचैनी बढ़ गई है। खासतौर पर उन सांसदों की जो भाजपा की ओर से कराये गए आंतरिक सर्वेक्षणों में पार्टी की अपेक्षा पर खरे नहीं पाए गए हैं।
कई सिटिंंग विधायकों के कटे टिकट
भाजपा ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्रियों सहित राष्ट्रीय राजनीति में दखल रखने वाले अपने कई चेहरों को विधानसभा चुनाव में टिकट थमा दिया है। कुछ सिटिंग विधायकों के टिकट काट भी दिए हैं। पार्टी के इस अप्रत्याशित प्रयोग से भाजपाई अचंभित हैं। लगातार तीसरी बार केंद्र में सत्तारूढ़ होने के लिए जतन कर रही भाजपा ने अगले वर्ष होने वाले लोक सभा चुनाव में उप्र की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।
महाजनसंपर्क अभियान में परखा था सांसदों का दमखम
पार्टी ने औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों ही मंचों से जिताऊ उम्मीदवारों पर ही दांव लगाने का संकेत दिया है। पार्टी विभिन्न तरीकों से जनता के बीच अपने सांसदों की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का आकलन कर रही है। बीते दिनों पार्टी की ओर से संचालित किये गए महाजनसंपर्क अभियान के दौरान भी पार्टी ने अपने सांसदों का दमखम परखा था। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के लगभग दो दर्जन सांसद ऐसे हैं जिनकी बारे में न जनता की राय अच्छी है और न पार्टी कार्यकर्ताओं की।
मध्य प्रदेश की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में उप्र में टिकट वितरण में चौंकाने वाले निर्णयों के दृष्टिगत तमाम सांसदों की सांस फूल रही है।
कुछ सांसदों के टिकट में आयु भी रोड़ा
भाजपा के कई सांसद ऐसे हैं, जिनके टिकट पर उम्र के तकाजे से संशय के बादल मंडरा रहे हैं। पार्टी के 75 पार वाले फार्मूले के आधार पर कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी टिकट की रेस से बाहर हो सकते हैं। बरेली के सांसद संतोष गंगवार को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। फिल्म अभिनेत्री रहीं हेमा मालिनी को तीसरी लोक सभा में मथुरा का प्रतिनिधित्व करने का मौका शायद न मिले। प्रयागराज की सांसद डा.रीता बहुगुणा जोशी का टिकट भी 75 वर्ष की उम्र के फेर में फंसना तय है।
डुमरियागंज के सांसद जगदम्बिका पाल, फिरोजाबाद के सांसद चंद्रसेन जादौन, मेरठ के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल भी इसी कतार में शामिल हैं। अपने बयानों से भाजपा के लिए असहज स्थितियां पैदा करते रहे पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी, भाजपा के खिलाफ आग उगलने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री व बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य और विवादों में घिरे रहे कैसरगंज के सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह को टिकट दिए जाने को लेकर ¨कतु-परंतु का दौर जारी है।
महिला आरक्षण लागू हुआ तो टिकट से वंचित होंगे कई सांसद
नारी शक्ति वंदन अधिनियम का सूत्रपात करने वाली भाजपा ने यदि इसका प्रयोग कानून को अमली जामा पहनाते हुए अगले लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण किया तो कई सांसदों के टिकट कटेंगे। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उप्र की 78 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे जिनमें 10 महिलाएं थीं। इनमें से आठ महिलाएं जीतकर संसद पहुंची थीं। यदि पार्टी ने 33 प्रतिशत वाला फार्मूला अपनाया तो कई सांसदों के टिकट कटना तय है।