Ganga River: महाकुंभ से पहले गंगा को बनाया जाएगा स्वच्छ, 5 परियोजनाओं को मंजूरी, 73.39 करोड़ रुपये स्वीकृत
महाकुंभ से पहले गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए 73.39 करोड़ रुपये की लागत वाली पांच परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। इनमें वाराणसी में स्मार्ट लैबोरेटरी फार क्लीन रिवर परियोजना बुलंदशहर में पूर्वी काली नदी प्रदूषण रोकथाम परियोजना रायबरेली में फीकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना प्रयागराज में अर्थ गंगा केंद्र और लखनऊ में गोमती नदी बेसिन कायाकल्प परियोजना शामिल हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। महाकुंभ से पहले गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और उसके इको-सिस्टम को सुधारने के लिए बनी पांच परियोजनाओं को शनिवार को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 56वीं कार्यकारी समिति की बैठक में स्वीकृति मिल गई। उत्तर प्रदेश के लिए 73.39 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजनाएं गंगा नदी के संरक्षण और सफाई के लिए महत्वपूर्ण होंगी।
वाराणसी में स्मार्ट लैबोरेटरी फार क्लीन रिवर परियोजना के सचिवालय की स्थापना की जाएगी। इसका उद्देश्य नदियों को उनके प्राकृतिक रूप में वापस लाना, जलस्रोतों की रक्षा करना और पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करना है। वहीं, प्रदेश के बुलंदशहर के गुलावठी में गंगा की सहायक पूर्वी काली नदी के प्रदूषण को रोकने की परियोजना को स्वीकृति मिली है।
इस परियोजना के अंतर्गत इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन के साथ ही 10 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 50.98 करोड़ रुपये है, जिसमें अगले 15 वर्षों के लिए रखरखाव और प्रबंधन भी शामिल है। राज्य सरकार को चार माह के भीतर इस परियोजना के लिए भूमि उपलब्ध कराना होगा।
इसी तरह नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत रायबरेली के डलमऊ में गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए फीकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना को मंजूरी दी गई है। यहां आठ केएलडी क्षमता वाले प्लांट के साथ 15 किलोवाट के सोलर पावर प्लांट की भी स्थापना होगी। यह परियोजना डीबीओटी माडल पर आधारित है, जिसकी कुल लागत 4.40 करोड़ रुपये है।
अर्थ गंगा केंद्र की स्थापना को मंजूरी
प्रयागराज के छिवकी रेलवे स्टेशन पर अर्थ गंगा केंद्र की स्थापना और स्टेशन की ब्रांडिंग की परियोजना को मंजूरी दी गई है। यह परियोजना 1.80 करोड़ रुपये की होगी। इसमें 68.70 लाख रुपये अगले पांच सालों तक इसके रखरखाव और प्रबंधन पर खर्च होंगे।बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि गंगा बेसिन के हर राज्य में अर्थ गंगा केंद्रों का निर्माण किया जाना चाहिए। इस अर्थ गंगा केंद्र का मुख्य उद्देश्य महाकुंभ मेला और उसके बाद लोगों में गंगा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है।
लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रकृति आधारित समाधानों के माध्यम से गोमती नदी बेसिन में निचले क्रम की धाराओं और सहायक नदियों के कायाकल्प की योजना को भी मंजूरी दी गई। इस परियोजना की अनुमानित लागत 81.09 लाख रुपये है। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। बैठक में एनएमसीजी के उपमहानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, ईडी (प्रोजेक्ट) ब्रिजेंद्र स्वरुप सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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