Navratri 2022: शारदीय नवरात्र पर बन रहा शुभ संयोग, खूब होगी धन की वर्षा; पढ़ें कलश स्थापना का सही समय
Shardiya Navratri 2022 ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार नवरात्र बहुत ही शुभ माना जा रहा है। शारदीय नवरात्र में धन वर्षा का योग बन रहा है। मां भवानी अपने भक्तों को समृद्धि देंगी साथ ही उनका कल्याण करेंगी।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। Shardiya Navratri 2022: इस बार की नवरात्र आपके जीवन में समृद्धि लेकर आएगी। इस बार सोमवार से नवरत्र शुरू होने के कारण मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। वे अपने भक्तों पर धनवर्षा करेंगी। जो भी उनके नौ स्वरूपों की विधि विधान से आराधना करेगा उसके घर धन वर्षा का योग बनेगा।
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि मान्यता है कि जब भी नवरात्र की शुरुआत सोमवार से होती है, तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। नवरात्र में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ये बेहद शुभ माना जाता है। हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी। साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी।
शारदीय नवरात्र में मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्र में घट स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन व कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि शारदीय नवरात्र शीत ऋतु के आगमन की सूचना देता है। शक्ति की उपासना आश्विन मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। इस वर्ष नवरात्र 26 सितंबर से पांच अक्टूबर तक है।
प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 26 सितंबर को सुबह 3:24 बजे से हो रही है और 27 सितंबर सुबह 3:08 बजे तक रहेगी। 26 सितंबर को अश्वनी शुक्ल घट स्थापना शुभ मुहूर्त में की जानी चाहिए। नवरात्र का प्रारम्भ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में हो रहा है। इस दिन कन्या लग्न में प्रातः काल 5:56 बजे से 7ः35 बजे तक एवं अभिजीत मुर्हूत दिन 11ः33 से 12ः22 बजे तक घट स्थापना एवं देवी का पूजन किया जा सकता है। इस साल का शारदीय नवरात्र बेहद खास है।
नवरात्र में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ये सभी मां के नौ स्वरूप हैं। प्रथम दिन घट स्थापना होती है। शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है। नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री देवी को देसी घी, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी को शक्कर, सफेद मिठाई, मिश्री और फल, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा देवी को मिठाई और खीर, चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी को मालपुआ, पांचवे दिन मां स्कंदमाता देवी को केला, छठे दिन माँ कात्यायनी देवी को शहद, सातवे दिन मां कालरात्रि देवी को गुड़, आठवे दिन मां महागौरी देवीको नारियल, नौवे दिन मां सिद्धिदात्री देवी अनार और तिल का भोग लगाने से मां शीघ्र प्रश्न होती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। पांच अक्टूबर को विजयदशमी है।