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Kanya Pujan: दो से 10 साल की कन्याओं का पूजन करने से मिलते अलग-अलग वरदान, यहां पढ़ें पूजा का शुभ मुहूर्त

Kanya Pujan in Shardiya Navratri दो साल की कन्या का पूजन करने से घर से दुख दूर होती है। नवमी पर नौ कन्याओं का पूजन बेहद श्रेयस्कर माना गया है। दो से 10 वर्ष की कन्या का पूजन करना चाहिए। हर आयु की कन्या माता का अलग रूप है।

By Jagran NewsEdited By: Vrinda SrivastavaUpdated: Tue, 04 Oct 2022 07:43 AM (IST)
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Kanya Pujan: कन्याओं का पूजन करने से मिलते अलग-अलग वरदान.

लखनऊ, जागरण संवाददाता। Shardiya Navratri 2022: नवमी के दिन नौ कन्याओं का पूजन कर व्रत का पारण करना चाहिए। हर आयु की कन्या माता का अलग रूप है। जब कन्या पूजा करें तो उनके साथ एक छोटे बालक को भी भोजन कराएं। कन्या पूजन से दरिद्रता के साथ ही खुशहाली का वास होता है।

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि कन्याओं को देवी का रूप मान कर पूजन किया जाता है। घर पर दो से 10 वर्ष की कन्या का पूजन (Kanya Pujan) करना चाहिए। हर आयु की कन्या माता का अलग रूप है। जब कन्या पूजन करें तो उनके साथ एक छोटे बालक को भी भोजन कराएं। उस बालक को बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है। कन्या पूजन से दरिद्रता के साथ ही खुशहाली का वास होता है।

तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का रूप 

दो वर्ष की कन्या को मां कुंआरी का स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से घर से दुख दरिद्रता दूर होती है। तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का रूप होती है। त्रिमूर्ति के पूजन से घर में धन धान की भरमार रहती है। पारिवारिक सुख समृद्धि बढ़ती है। चार वर्ष की कन्या कल्याणी मानी जाती हैं। इनकी पूजा के परिवार का कल्याण होता है।

रोहिणी का पूजन करने से व्यक्ति रोग मुक्त होता

पांच वर्ष की कन्या रोहिणी होती हैं। रोहिणी का पूजन करने से व्यक्ति रोग मुक्त होता है। छह साल की कन्या को काली का रूप माना गया है। काली के रूप में कन्या पूजन करने से विजय, विद्या और राजयोग मिलता है। सात साल की कन्या चंडिका होती हैं। चंडिका रूप को पूजने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आठ वर्ष की कन्या शांभवी कहलाती हैं। इनके पूजन से सारे विवाद में विजय मिलती है।

नौ साल की कन्याएं पूजने से होता शत्रुओं का नाश

नौ साल की कन्याएं दुर्गा का रूप होती हैं। इनका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है। असाध्य कार्य भी पूरे हो जाते हैं। 10 साल की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं। सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती हैं। आचार्य शक्तिध्रर त्रिपाठी ने बताया कि मंगलवार को दोपहर 1:32 बजे तक कन्या पूजन श्रेयस्कर होगा। इसके बाद दशमी का मान शुरू हो जाएगा।

मां के महागौरी स्वरूप की हुई आराधरना

भुला नहीं देना मां भुला नहीं देना...और भवन सतरंगिया मेरी मइया का... जैसे भजनों के साथ सोमवार काे मां के आठवें महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। ठाकुर गंज के मां पूर्वी देवी मंदिर में सुनीता मिश्रा के संयोजन में महिलाओं ने भजन गाए। चौक की बड़ी व छोटी काली जी मंदिर के साथ ही संकटा देवी मंदिर और शास्त्री नगर के दुर्गा मंदिर में भी श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। संदोहन देवी मंदिर, आनंदी माता मंदिर व संतोषी माता मंदिर समेत सभी मंदिरों में पूजा अर्चना की गई।

महागौरी स्वरूप में महाकाल का किया गया श्रृंगार

घरों में मां महागौरी की पूजा अर्चना के साथ हवन-पूजन किया गया। राजेंद्र नगर के महाकाल मंदिर में मां के महागौरी स्वरूप में महाकाल का श्रृंगार किया गया। बख्शी का तालाब के चंद्रिका देवी मंदिर व 51 शक्तिपीठ तीर्थ की अध्यक्ष तृप्ति तिवारी के संयोजन में लोक गायिका कुसुम वर्मा के गीतों पर डांडिया हुआ। मंगलवार को नवमी पर कन्या पूजन के साथ व्रत का पारण किया जाएगा। आचार्य आनंद दुबे बताया कि अष्टमी युक्त नवमी विशेष शुभकारी भी है।

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