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यूपी में लागू होगा नजूल संपत्ति कानून, विरोध को दरकिनार कर संशोधित विधेयक पारित कराया जाएगा

उत्तर प्रदेश में नजूल संपत्ति कानून लागू करने को लेकर योगी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है। हालांकि विधान परिषद में बहुमत होने के बावजूद उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 को अभी पारित नहीं कराया गया है। सरकार का मानना है कानून के लागू होने से अरबों की नजूल जमीन सार्वजनिक हित में इस्तेमाल की जा सकेगी।

By Ajay Jaiswal Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 04 Aug 2024 07:55 AM (IST)
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विपक्ष ही नहीं ‘अपनों’ के विरोध के चलते भले ही विधान परिषद (उच्च सदन) में बहुमत होने के बावजूद उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 को अभी पारित नहीं कराया गया है लेकिन योगी सरकार अंततः इस कानून को लागू करने में पीछे हटते नहीं दिखाई दे रही है।

सरकार का मानना है कि पूर्व की सरकारों में अरबों रुपये की नजूल जमीन को कौड़ियों में फ्रीहोल्ड करने का बड़ा खेल किया जाता रहा है। इसमें लिप्त भू-माफिया से लेकर नेता और नौकरशाह ही जनहित को ढाल बनाकर अपने हितों को साधने के लिए विरोध कर रहे हैं। कानून के लागू होने से न केवल अरबों रुपये की नजूल जमीन का सार्वजनिक हित में इस्तेमाल किया जा सकेगा बल्कि पूर्व में गड़बड़ी कर नजूल जमीन को फ्रीहोल्ड कराने का खेल भी उजागर होगा।

विरोध के चलते पीछे हटी थी भाजपा

दरअसल, पिछले दिनों कड़े विरोध और हंगामे के बीच विधानसभा से पारित उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 के एक अगस्त को विधान परिषद में पहुंचने पर भाजपा ही उसे पारित कराने से पीछे हट गई।

उच्च सदन में भी बहुमत के बावजूद विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग के पीछे विपक्ष द्वारा इस कानून को जनविरोधी बताते हुए बड़ा मुद्दा बनाने की धार को कुंद करना था। योगी सरकार से लेकर भाजपा संगठन नहीं चाहता था कि विधानसभा की 10 सीटों के उपचुनाव से पहले विपक्ष को किसी तरह जनता को गुमराह करने का कोई मौका मिले।

जल्द किया जाएगा प्रवर समिति का गठन

सूत्रों के मुताबिक, चूंकि विधेयक में ऐसा कुछ नहीं है जिससे वास्तव में जनता में किसी तरह की नाराजगी बढ़े इसलिए सरकार अंततः इस कानून को लागू करेगी। विधेयक को लेकर जल्द ही प्रवर समिति का गठन किया जाएगा।

वैसे तो प्रवर समिति के अध्यक्ष विभागीय मंत्री होते रहे हैं लेकिन आवास एवं शहरी नियोजन विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास ही है इसलिए माना जा रहा है कि किसी और मंत्री को प्रवर समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा।

समिति की संस्तुतियों को विधानमंडल के मानसून सत्र में रखा जाएगा। संस्तुतियों के अनुसार संशोधित विधेयक को पारित कराकर राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही संबंधित कानून लागू कर दिया जाएगा।

प्रदेश में दो लाख करोड़ की है 75 हजार एकड़ नजूल भूमि

प्रदेश में लगभग 75 हजार एकड़ नजूल जमीन है, जिसकी कीमत दो लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। नजूल जमीन पर कब्जे के विवाद भी कम नहीं हैं। कई कीमती व बड़ी जमीनों पर भूमाफिया व रसूखदार लोगों का कब्जा भी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमाफिया के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित कराने के लिए चार स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया था। बीते लगभग सवा चार साल में राजस्व व पुलिस विभाग ने भूमाफिया के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई है।

राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार लगभग 1,54,249 एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है। 2,464 कब्जेदारों को चिन्हित कर 187 भूमाफिया को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इन मामलों में 22,992 राजस्व वाद, 857 सिविल वाद व 4,407 एफआइआर दर्ज कराई गईं।

करोड़ों का है अवैध कारोबार

प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों व रसूख के बलबूते नजूल भूमि पर कब्जे तथा उसे फ्रीहोल्ड करा लेने का खेल काफी पुराना है। सरकारी जमीनों को सर्किल रेट का केवल 10 प्रतिशत भुगतान कर फ्रीहोल्ड कराने का खेल चलता रहा है।

सर्वाधिक नजूल भूमि प्रयागराज, कानपुर, अयोध्या, सुलतानपु, गोंडा व बाराबंकी में हैं। नजूल की जमीनों को फ्रीहोल्ड कराने का सबसे बड़ा केंद्र प्रयागराज रहा है, जहां सिवालि लाइन क्षेत्र की अधिकतर जमीन नजूल की है।

वोहरा समिति ने जताई थी चिंता

लगभग तीन दशक पहले केंद्र सरकार द्वारा पूर्व गृह सचिव एनएन वोहरा की अगुवाई में गठित समिति ने नजूल जमीन को लेकर अपनी रिपोर्ट दी थी। वर्ष 1993 में आई वोहरा समिति की रिपोर्ट में राजनेता, अपराधी, भूमाफिया, नौकरशाह व न्यायपालिका से जुड़े लोगों के संगठित गिरोह पर चिंता जताते हुए कहा गया था कि ''''बड़े शहरों में आय का मुख्य स्रोत अचल संपत्ति से जुड़ा है। भूमि/भवनों पर जबरन कब्जा करना, मौजूदा निवासियों/ किराएदारों को बाहर निकालकर सस्ते दामों पर ऐसी संपत्तियां खरीदना है।

इन शहरों में खाली कराई नजूल भूमि

  • लखनऊ के सरोजनीनगर में नजूल भूमि को खाली कराकर फारेंसिक इंस्टीट्यूट स्थापित कराया गया है। यह जमीन भूमाफिया खुर्शीद आगा के कब्जे में थी। वर्ष1955 में 57 एकड़ जमीन एक ट्रैक्टर कंपनी को 10 वर्ष की लीज पर दी गई थी।
  • प्रशासन ने जमीन सरोजनीनगर ब्लाक के पिपरसंड क्षेत्र की ग्राम सभा के नाम दर्ज करा दी थी। वर्ष 2014 में जमीन भूमि माफिया के हाथों में चली गई थी।
  • प्रयागराज के लूकरगंज इलाके में माफिया अतीक अहमद (अब मृत) के कब्जे में रही करोड़ों रुपये कीमत की भूमि को खाली कराकर सरकार ने गरीबों के लिए 76 आवास बनवाए।
  • कानपुर के सिविल लाइन क्षेत्र में माफिया गिरोह ने नजूल की लगभग सात एकड़ भूमि पर कब्जा करने का प्रयास किया। लगभग एक हजार करोड़ रुपये की इस भूमि के अवैध कब्जे को हटवाया गया।
  • स्वतंत्रता से पहले का राजस्व बोर्ड कार्यालय लखनऊ के राणा प्रताप मार्ग पर था। इसे फ्रीहोल्ड कराने को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। पिछले दिनों एलडीए ने इस मामले की जांच शुरू की तो कर्मचारियों की मिलीभगत से इसकी फाइल ही गायब करा दी गई।

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