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NCRB Report 2022: अपराध के मामलों में देश में किस स्थान पर UP, यहां देखें एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट

NCRB Report 2022 एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश की आबादी सबसे अधिक है। यही वजह है कि यहां अपराधों की संख्या भी अधिक है। अपराध की स्थिति को समझने के लिए क्राइम रेट एक बेहतर व विश्वसनीय माध्यम है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Tue, 30 Aug 2022 11:18 PM (IST)
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NCRB Report 2022: यूपी में महिला व बच्चों के साथ अपराध में सुधरे हालात।
UP News: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में महिलाओं व बच्चों के प्रति अपराधों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (National Crime Records Bureau) की ताजा रिपोर्ट में यह तस्वीर सामने आई है, जो तकनीक के साथ कदम बढ़ा रही यूपी पुलिस (UP Police) के लिए और मेहनत का संदेश देती है।

हालांकि वर्ष 2020 में कोरोना काल में अपराध में कमी की दृष्टि से देखें तो वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2021 में स्थिति में सुधार देखा गया है। महिला व साइबर अपराधों में आरोपितों को सजा दिलाने में यूपी पुलिस ने अपना पहला स्थान बरकरार रखा है।

यही वजह है कि अपराध नियंत्रण में उत्तर प्रदेश को अन्य राज्यों की तुलना में और बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी 112 को तीन हजार करोड़ रुपये की योजना से नया स्वरूप देने का निर्णय किया है। अब किसी अपराध की सूचना पर पुलिस न सिर्फ पांच मिनट के भीतर मौके पर पहुंचेगी, बल्कि हाईवे से लेकर दूर-दराज गांव तक उसकी मौजूदगी भी बढ़ेगी।

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश की आबादी सबसे अधिक है। यही वजह है कि यहां अपराधों की संख्या भी अधिक है। अपराध की स्थिति को समझने के लिए क्राइम रेट एक बेहतर व विश्वसनीय माध्यम है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट में प्रति एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराधों की संख्या को अपराध दर (क्राइम रेट) के रूप में परिभाषित किया जाता है। संगीन घटनाओं में कमी आई है। क्राइम रेट में भी सुधार हो रहा है। अपराध नियंत्रण को लेकर शासन की स्पष्ट नीति व निर्देशों के अनुरूप पुलिस काम कर रही है। इसमें वरिष्ठ

एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया-2021 की रिपोर्ट यूपी पुलिस को राहत देने वाली है। वर्ष 2021 में देश में आइपीसी के तहत कुल 3663360 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें उत्तर प्रदेश में 357905 घटनाएं हुईं। प्रदेश में प्रति एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराध दर (क्राइम रेट) 154.4 है।

देश के सभी राज्यों में कुल अपराधों में उत्तर प्रदेश का स्थान 23वां है। आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं के विरुद्ध वर्ष 2017 में 59853 तथा वर्ष 2020 में 49385 अपराध दर्ज हुए थे, जबकि वर्ष 2021 में इनकी संख्या 56083 रही। महिलाओं के विरुद्ध कुल अपराधों का क्राइम रेट 50.5 रहा और उत्तर प्रदेश का 16वां स्थान है।

वर्ष 2020 में कोरोना काल की वजह से अपराधों में कमी आई थी। ऐसे में वर्ष 2019 में दर्ज अपराधों से तुलना में वर्ष 2021 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में 6.2 प्रतिशत की कमी आई है। ऐसे ही बच्चों के विरुद्ध अपराध के मामलों में वर्ष 2019 में 18943 मुकदमे व वर्ष 2020 में 15271 मामले दर्ज हुए थे, जबिक वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 16838 पहुंचा।

बच्चों के विरुद्ध अपराध का क्राइम रेट 19.7 रहा और यूपी का 28वां स्थान है। वर्ष 2019 की तुलना में बच्चों के विरुद्ध हुए अपराधों में 11.11 प्रतिशत की कमी हुई है। महिला अपराध में सबसे अधिक क्राइम रेट दिल्ली का 147.6, हरियाणा का 119.7, तेलंगाना का 112.2 तथा राजस्थान का 105.4 रहा। बच्चों के साथ अपराध में अधिक क्राइम रेट दिल्ली में 128.5, सिक्किम में 72.4, मध्य प्रदेश में 66.7 व हरियाणा में 62.5 रहा।

मुख्यमंत्री ने महिला अपराध के मामलों में दोषियों के विरुद्ध समयबद्ध कार्रवाई के साथ ही आरोेपितों के विरुद्ध अदालत में प्रभावी पैरवी के कड़े निर्देश दिये थे। महिला संबंधी अपराधों में 7713 आरोपितों को सजा सुनिश्चित कराकर यूपी देश में सबसे आगे है। इस मामले में यूपी वर्ष 2019 व वर्ष 2020 में भी शीर्ष पर था।

प्रदेश में साइबर थानों व संसाधनों की बढ़ोत्तरी का परिणाम है कि पुलिस ने 292 साइबर अपराधियों काे सजा दिलाकर यहां भी अपना पहला स्थान कायम रखा है। विभिन्न अपराधों में गिरफ्तार कुल 112800 आरोपितों को सजा दिलाकर प्रदेश पहले स्थान पर है।

अपराधियों की गिरफ्तारी में भी यूपी पुलिस की स्थिति बेहतर है। 443304 आरोपितों की गिरफ्तारी कर यूपी दूसरे स्थान पर है। शस्त्रों के जब्तीकरण में भी यूपी अव्वल है। संपत्ति की बरामदगी के मामले में यूपी का चाैथा स्थान है। यूपी पुलिस ने 129.4 करोड़ की संपत्ति बरामद की।

यहां भी मारी बाजी : वर्ष 2021 में देश के मुकाबले प्रदेश में एसिड अटैक की न्यूनतम 22 व फिरौती के लिए अपहरण की न्यूनतम दो घटनाएं हुईं। 28 राज्यों व आठ संघ शासित प्रदेशों में उत्तर प्रदेश का स्थान 36वां है।

कहां किस पायदान पर प्रदेश

  • क्राइम - रेट - देश में स्थान
  • हत्या - 1.6 - 24वां।
  • नकबजनी - 2.7 -33वां।
  • डकैती - 0.1 - 29वां स्थान।
  • लूट - 0.8 - 25वां स्थान।
  • पाक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस) एक्ट - 6.3 - 21वां।
  • दुष्कर्म - 2.6 - 23वां।
  • बलवा - 2.3 - 17वां।
  • अनुसूचित जातियों के विरुद्ध अपराध : 31.8 - सातवां।

दंगा मुक्त हुआ यूपी

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में ऐसे केवल एक मामला दर्ज हुआ। अन्य राज्यों से तुलना की जाए तो झारखंड में सांप्रदायिक हिंसा के 100, बिहार में 51, राजस्थान में 22, महाराष्ट्र में 77 तथा हरियाणा में 40 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसे योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

साइबर अपराध में भी कमी

साइबर अपराध के मामलों में भी 22.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश में 2019 में साइबर अपराध के 11416 मामले दर्ज किए गए थे जो 2021 में घटकर 8829 हो गए हैं। वर्ष 2020 में 11097 मामले दर्ज हुए थे।

छोटे-छोटे विवादों में लखनऊ में बहा खून

हत्या की घटनाएं भी कम होती नजर नहीं आ रही हैं। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में देश में हत्या की 29272 घटनाएं दर्ज हुईं। इनमें उत्तर प्रदेश में हत्या की 3717 घटनाएं सम्मलित हैं। यूपी में हत्या का क्राइम रेट 1.6 रहा। हत्या की घटनाओं में सबसे अधिक क्राइम रेट झारखंड में 4.1 रहा। महानगरों में इस संगीन वारदात की बात करें तो सबसे अधिक दिल्ली में 454 हत्याकांड हुए।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां वर्ष 2021 में 101 हत्याकांड हुए। लखनऊ में वर्ष 2019 में 75 व वर्ष 2020 में 81 हत्या की घटनाएं हुई थीं। मुंबई में 162 व चेन्नई में 161 हत्या की घटनाएं हुईं। लखनऊ में हुई हत्याओं के कारणों को देखें तो वर्ष 2021 में 30 हत्याओं में छोटे-छोटे विवाद सामने आए।

24 घटनाएं पारिवारिक विवाद में, 11 घटनाएं संपत्ति विवाद में, 11 घटनाएं आपसी लेनदेन के विवाद में तथा चार घटनाएं प्रेम प्रसंग के चलते हुईं। एक हत्याकांड में अवैध संबंध का मामला सामने आया तो छह घटनाएं अनसुलझी रह गईं। छोटे-छोटे विवादों में हत्या की घटनाएं पुलिस के लिए भी चिंता का सबब बनती जा रही हैं।

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