पश्चिम से पूर्वांचल तक हर जगह दरका NDA का किला, मोदी-योगी के गढ़ में भाजपा को लगा सबसे बड़ा झटका
UP Politics उत्तर प्रदेश में मोदी-योगी बनाम दो लड़कों की जोड़ी (राहुल-अखिलेश) के बीच हुए सीधे मुकाबले में भाजपा के तीखे अस्त्र-शस्त्र बेअसर साबित हुए। चुनाव परिणामों ने तमाम राजनीतिक पंडिताें के गुणा-गणित को खारिज करते हुए भाजपा को बड़ा झटका दिया है। यूपी में पश्चिम से पूर्वांचल तक हर जगह भाजपा का किला दरका और उसे बीते चुनाव के मुकाबले 28 सीटों का सीधा नुकसान उठाना पड़ा।
आनंद मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मोदी-योगी बनाम दो लड़कों की जोड़ी (राहुल-अखिलेश) के बीच हुए सीधे मुकाबले में भाजपा के तीखे अस्त्र-शस्त्र बेअसर साबित हुए। चुनाव परिणामों ने तमाम राजनीतिक पंडिताें के गुणा-गणित को खारिज करते हुए भाजपा को बड़ा झटका दिया है।
यूपी में पश्चिम से पूर्वांचल तक हर जगह भाजपा का किला दरका और उसे बीते चुनाव के मुकाबले 28 सीटों का सीधा नुकसान उठाना पड़ा। मोदी-योगी के गढ़ में भाजपा की सीटों की संख्या घटकर आधी रह गई हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जीत का अंतर काफी कम हुआ है। प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रियों को भी जनता ने नकार दिया।
मतदाताओं का मिजाज भांपने में चूकी भाजपा
उत्तर प्रदेश में मोदी-योगी के नेतृत्व में भाजपा ने चरणवार मुद्दे बदले और रणनीति भी। सनातन धर्म, मंगलसूत्र, राम मंदिर के साथ ही ध्रुवीकरण की भी कोशिशें हुईं लेकिन मतदाताओं का वास्तविक मिजाज भांपने में पार्टी कामयाब नहीं हुई।वहीं, सपा का पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूला, संविधान बदलने व आरक्षण खत्म करने का दांव अपेक्षाकृत असरदार दिखा। बेरोजगारी, अग्निवीर और पेपर लीक जैसे संवेदनशील विषयों को उठाकर सपा-कांग्रेस ने युवाओं को भी झकझोरा, जिसका नतीजा 2019 के मुकाबले हर चरण में भाजपा की सीटों की संख्या में गिरावट के रूप में सामने आया।
64 सीटों से सिमटकर 36 पर आई भाजपा
पिछले चुनाव में अपने सहयोगी अपना दल (एस) के साथ 64 सीटों पर जीत दर्ज कराने वाली भाजपा महज 36 सीटों पर सिमट कर रह गई। वोट प्रतिशत में भी जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई और यह पिछले चुनाव के मुकाबले आठ प्रतिशत तक गिर गया है।बता दें कि बीते लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश की पहले व दूसरे चरण की 16 सीटों में से भाजपा ने 10 पर जीत हासिल की थी। उपचुनाव में रामपुर सीट भी भाजपा की झोली में गई थी, इस लिहाज से भाजपा 11 सीटों पर काबिज थी। इस बार इन 16 सीटों में से 10 सीटें भाजपा और उसकी सहयोगी रालोद को हासिल हुई हैं।
वहीं, तीसरे चरण में की 10 सीटों में पिछले चुनाव में भाजपा को आठ और सपा को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इस बार सपा की सीटें बढ़कर छह हो गई हैं जबकि भाजपा की घटकर चार। पिछले चुनाव में चौथा चरण की सभी 13 सीटों पर भाजपा काबिज हुई थी, इस बार यह आंकड़ा घटकर आठ पर सिमट गया है।वहीं, पांचवें चरण की 14 सीटों में पिछले चुनाव में भाजपा को 13 और कांग्रेस को महज एक सीट हासिल हुई थी। इस बार बदले माहौल में भाजपा घटकर चार और कांग्रेस बढ़कर तीन पर पहुंची, सपा को इस चरण में सात सीटें हासिल हुई हैं।
पूर्वांचल की छठे व सातवें चरण की 27 सीटों में 2019 के चुनाव में भाजपा व उसकी सहयोगी अपना दल ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार घटकर यह आंकड़ा दस रह गया है। सीटों के लिहाज दूसरा चरण ही भाजपा के लिए बेहतर रहा। अंतिम तीन चरणों के चुनाव में जनता की उम्मीदों पर भाजपा प्रत्याशी उतने खरे नहीं उतरे।इसे भी पढ़ें: यूपी की इस हाईप्रोफाइल सीट पर जब्त हो गई बसपा प्रत्याशी की जमानत, भाजपा-कांग्रेस में रही कांटे की टक्कर
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