जनप्रतिनिधियों के सामने सोफा या ऊंची कुर्सी पर नहीं बैठ सकेंगे, यू्पी में सरकारी अफसरों के लिए आ गया नया आदेश
यूपी सरकार ने सरकारी अधिकारियों के लिए एक नया आदेश जारी किया है जिसके तहत अब वे जनप्रतिनिधियों के सामने सोफे या ऊंची कुर्सी पर नहीं बैठ सकेंगे। विधानसभा की संसदीय अनुश्रवण समिति की सिफारिश पर यह निर्देश जारी किया गया है। कई विधायकों और सांसदों ने शिकायत की थी कि बैठकों में अधिकारी प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखते हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश व जिला मुख्यालयों में आयोजित होने वाली बैठकों में अधिकारी सांसदों व विधायकों के सामने सोफे या ऊंची कुर्सी पर नहीं बैठ सकेंगे। इस संबंध में विधानसभा की संसदीय अनुश्रवण समिति की सिफारिश पर सभी अधिकारियों को शासन ने निर्देश जारी कर दिए हैं।
कई विधायकों व सांसदों ने शिकायत की थी कि बैठकों में अधिकारी प्रोटोकाल का ध्यान नहीं रखते हैं, स्वयं ऊंची कुर्सियों या सोफे पर बैठते हैं, जबकि जनप्रतिनिधियों के बैठने के लिए सामान्य कुर्सी की व्यवस्था की जाती है।
जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में बीते दिनों प्रोटोकाल उल्लंघन संबंधी मामलों को लेकर हुई संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठक में समिति के सदस्यों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। सदस्यों ने शिकायत की थी कि प्रदेश व जिला मुख्यालय स्तर पर होने वाली बैठकों में अधिकारी प्रोटोकाल का उल्लंघन करते हैं।
जनप्रतिनिधियों की कुर्सियां सामान्य होने की भी शिकायत
सदस्यों ने यह भी कहा था कि अधिकारियों की कुर्सियों पर तौलिया रखी होती है, जबकि जनप्रतिनिधियों की कुर्सियां सामान्य होती हैं। इसके बाद समिति की सिफारिश पर शासन ने सभी अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।
शासन ने स्पष्ट किया है कि यदि अधिकारी सोफे पर बैठते हैं तो जनप्रतिनिधियों के बैठने के लिए भी सोफे की व्यवस्था होनी चाहिए। यदि कुर्सियों पर बैठते हैं तो अधिकारियों वाली कुर्सियों की तरह ही जनप्रतिनिधियों के लिए कुर्सी की व्यवस्था की जाए।
अधिकारियों की तरफ से जनप्रतिनिघियों को प्रोटोकाल न मिलने की कई शिकायतें समिति के पास आ चुकी हैं। ताजा मामला सोनभद्र का है। बुधवार को समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव सिंह गोंड अनपरा नगर पंचायत के नए भवन का उद्घाटन करने पहुंचे थे, लेकिन किसी अधिकारी ने उन्हें रिसीव नहीं किया और प्रोटोकाल न मिलने से मंत्री नाराज हो गए। इस प्रकार की कई और भी घटनाएं जन प्रतिनिधियों के साथ हो चुकी हैं, जिसके मद्देनजर अधिकारियों को यह निर्देश जारी किए गए हैं।
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