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कानपुर-लखनऊ समेत यूपी के छह शहरों में NIA की छापेमारी, प्रतिबंधित संगठन PFI से जुड़ा है मामला

NIA Raid Lucknow राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने लखनऊ कानपुर व गोरखपुर समेत छह शहरों में प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) के सक्रिय सदस्यों के नौ ठिकानों पर छापेमारी कर गहन छानबीन की है। कई दस्तावेज भी कब्जे में लिए हैं। प्रदेश में पीएफआइ व उसकी स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) का गहरा नेटवर्क रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Thu, 12 Oct 2023 07:57 AM (IST)
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कानपुर-लखनऊ समेत यूपी के छह शहरों में NIA की छापेमारी, प्रतिबंधित संगठन PFI से जुड़ा है मामला
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने लखनऊ, कानपुर व गोरखपुर समेत छह शहरों में प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) के सक्रिय सदस्यों के नौ ठिकानों पर छापेमारी कर गहन छानबीन की है। कई दस्तावेज भी कब्जे में लिए हैं।

प्रदेश में पीएफआइ व उसकी स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) का गहरा नेटवर्क रहा है। एनआइए ने बुधवार को जब छह राज्यों में छानबीन की तो उसमें उत्तर प्रदेश के भी शहर शामिल थे।

लखनऊ में तड़के एनआइए ने की छापेमारी

एनआइए ने लखनऊ के मदेयगंज क्षेत्र में छानबीन की, जबकि कानपुर के मूलगंज निवासी डा.अबरार हुसैन समेत अन्य से लंबी पूछताछ की गई। गोरखपुर में भी गहन छानबीन की गई। लखनऊ में बुधवार तड़के छापामारी हुई।

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सुबह पांच बजे मदेयगंज में सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारी डा.ख्वाजा समेत चार घरों में टीम ने दस्तक दी। करीब छह घंटे तक चली छापेमारी के बाद मोबाइल फोन, डायरी, कट्टरपंथी साहित्य और अन्य दस्तावेज जब्त कर लिए गए।

डॉ.ख्वाजा और उनके मोहल्ले में रहने वाले मौलाना जमील, मास्टर शमीम और अनीस के घर पहुंचकर एनआइए ने घंटों पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार चारों के वहदत-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े होने के साक्ष्य मिले हैं।

एक व्यक्ति को हिरासत में लिया

ये लखनऊ समेत सहारनपुर, महाराष्ट्र के औरंगाबाद और कर्नाटक में मदरसों, मस्जिदों और मुसाफिर खाना में कट्टरपंथी धार्मिक सभाएं व साहित्य वितरित करते थे। इसके अलावा बाराबंकी में कुर्सी थानाक्षेत्र के बहरौली मजरे गौरहार गांव में पीएफआइ के कोषाध्यक्ष नदीम के घर के पास से एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया।

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भदोही में एनआइए की लखनऊ व बिहार की टीम ने मर्यादपट्टी मामदेवपुर रोड स्थित शोएब आलम के मकान व अजीमुल्ला चौराहे पर उनके डाटा हिल ट्रैवल एजेंसी के आफिस में छोपमारी की। टीम ने शोएब का मोबाइल फोन, उसमें लगे दो सिम कार्ड, मासिक पत्रिका वहदत और ताहा ट्रस्ट के नाम से वर्ष 2018 में छपी रसीद बुक कब्जे में ले ली।

घर से मिले बाहरी पासपोर्ट

शोएब व परिवार के सदस्यों से पूछताछ भी की। वहदत का प्रकाशन करने वाले गाइडेंस पब्लिकेशन के डा.ख्वाजा के बारे में पूछे जाने पर शोएब ने कहा कि वह उन्हें लंबे समय से जानते हैं। बताया कि मदरसों में सम्मेलन के दौरान मुलाकात होती है। घर से कुछ बाहरी लोगों के पासपोर्ट भी मिले। शोएब ने बताया कि वह यूपी हज कमेटी के सदस्य हैं और हज के लिए जाने वालों का पासपोर्ट बनवाने का भी काम करते हैं।

सिद्धार्थनगर में डुमरियागंज के बभनी माफी गांव में उबैदुर्रहमान के घर की तलाशी भी ली गई। उबैदुर्रहमान को साथ लेकर टीम डुमरियागंज स्थित किताब की दुकान पर पहुंची। जहां पूरी दुकान को खंगाला और कई किताबें कब्जे में लीं। कानपुर में मूलगंज थाना क्षेत्र के मखनिया बाजार, बिसातखाना निवासी डा. अबरार के घर भी टीम पहुंची।

टीम ने करीब 10 घंटे की पूछताछ

टीम ने डॉक्टर व उनके दो बेटों से पूछताछ की। बाद में उनसे मूलगंज थाने में करीब 10 घंटे तक पूछताछ हुई। दोपहर बाद उन्हें छोड़ दिया गया। डॉ. अबरार पर पीएफआइ को फिडिंग करने का शक है। उनके आर्थिक स्रोत को लेकर एनआइए ने पूछताछ की है।

वर्ष 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शहर में उपद्रव होने के बाद पुलिस ने पीएफआइ के पांच सदस्यों को बाबूपुरवा थाने से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उस वक्त भी अबरार को हिरासत में लेकर पूछताछ हुई थी। हालांकि तब भी उन्हें छोड़ दिया गया था।

यूपी में गहरा रहा है प्रतिबंधित संगठन पीएफआइ का नेटवर्क

एनआइए ने बीते वर्ष पटना (बिहार) के फुलवारी शरीफ क्षेत्र में पीएफआइ के सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया था। जिनसे बरामद दस्तावेजों में वर्ष 2047 में भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए रचा जा रहा गहरा षड्यंत्र सामने आया था। इसी कड़ी में एनआइए छानबीन कर रहा है।

सूत्रों का कहना है कि इस षड्यंत्र के तहत पीएफआइ के सदस्य फंडिंग भी कर रहे थे। यूपी में पीएफआइ की जड़े काफी गहरी रही हैं। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी पीएफआइ की भूमिका सामने आई थी। इसी मामले में लखनऊ में पीएफआइ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत अन्य सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।

हाथरस कांड में किया गया था गिरफ्तार

वर्ष 2020 में हाथरस में युवती की हत्या के बाद प्रदेश में जातीय व सांप्रदायिक हिंसा की साजिश के आरोप में मथुरा पुलिस ने पीएफआइ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अतीकुर्रहमान, सीएफआइ के महासचिव मसूद अहमद, कथित पत्रकार सिद्दीक कप्पन व मु. आलम को गिरफ्तार किया था।

बाद में एसटीएफ ने इसी मामले में सीएफआइ के राष्ट्रीय महासचिव के ए रऊफ शरीफ को भी गिरफ्तार किया था। वर्ष 2021 में एसटीएफ ने पीएफआइ के ट्रेनिंग कमांडर राशिद को बस्ती से गिरफ्तार किया था। पीएफआइ के सहयोगी संगठनों की भूमिका भी जांच के दायरे में रही है।

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