UPPCL: यूपी में बिजली के नये कनेक्शन को लेकर बड़ा अपडेट, नियामक आयोग ने खारिज किया विभाग का ये प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने कारपोरेशन निदेशक मंडल के प्रस्ताव पर कड़ा रुख दिखाते हुए अपने निर्णय में कहा है कि बिजली चोरी का कानून बहुत ही सख्त है उसमें कोई भी बदलाव या संशोधन नहीं किया जा सकता। जब तक बिजली चोरी के मामले में राजस्व निर्धारण नहीं किया जाता तब तक नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन के उस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है कि जिसके माध्यम से चार किलोवाट तक के बिजली चोरी के प्रकरणों में सादे कागज पर शपथ पत्र लेकर बिना बकाया जमा कराए कनेक्शन देने की पहल की गई थी।
आयोग ने कारपोरेशन निदेशक मंडल के प्रस्ताव पर कड़ा रुख दिखाते हुए अपने निर्णय में कहा है कि बिजली चोरी का कानून बहुत ही सख्त है, उसमें कोई भी बदलाव या संशोधन नहीं किया जा सकता। जब तक बिजली चोरी के मामले में राजस्व निर्धारण नहीं किया जाता, तब तक नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है। आयोग द्वारा गुरुवार को किए गए निर्णय की कापी पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक सहित निदेशक कामर्शियल को भेज भी दी गई है।
पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने 30 सितंबर को बिजली चोरी के मामलों में नया कनेक्शन देने के लिए कानून में संशोधन संबंधी प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया गया था। प्रस्ताव पर आयोग के निर्णय सुनाने से पहले ही कारपोरेशन प्रबंधन ने 14 अक्टूबर को आदेश जारी कर प्रदेश में चार किलोवाट तक के बिजली चोरी के प्रकरणों में सादे कागज पर शपथ पत्र लेकर बिना राजस्व निर्धारण यानी बकाया जमा कराए कनेक्शन देने की व्यवस्था लागू कर दी।
आयोग की अनुमति के बिना कारपोरेशन के आदेश पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने 15 अक्टूबर को नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल करते हुए कहा था कि यह आदेश विद्युत अधिनियम 2003 व विद्युत वितरण संहिता 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
उपभोक्ता परिषद के दाखिल प्रस्ताव पर नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह द्वारा सुनाए गए अहम निर्णय में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि कारपोरेशन के निदेशक मंडल से बिजली चोरी से संबंधित पारित प्रस्ताव नियम विरुद्ध है। पावर कारपोरेशन का प्रस्ताव विद्युत अधिनियम व विद्युत वितरण संहिता के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है इसलिए उसे खारिज किया जाता है।
आदेश में विद्युत अधिनियम के प्रावधानों को समझाते हुए कहा है कि वर्ष 1910 के एक्ट में बिजली चोरी का प्रावधान था जिसे विद्युत अधिनियम 2003 में और कड़ा बनाया गया। बिजली चोरी के कड़े कानून में किसी तरह का कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता। चोरी के मामले में राजस्व निर्धारण के जमा न होने तक संबंधित परिसर में नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। चूंकि खारिज प्रस्ताव कारपोरेशन के निदेशक मंडल से पारित था इसलिए आयोग के निर्णय के बाद अब निदेशक मंडल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि निदेशक मंडल के आदेशों की समीक्षा होनी चाहिए।
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