Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

निकाय चुनाव के वोट पर 'नोटा' की चोट यानी प्रत्याशियों को खारिज करने का हक

इस बार नगरीय निकाय चुनाव में नोटा की चोट भी पड़ेगी। मतदाता प्रत्याशियों को नकार सकेगें। राज्य निर्वाचन आयोग ने आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं।

By Nawal MishraEdited By: Updated: Sat, 28 Oct 2017 06:56 PM (IST)
Hero Image
निकाय चुनाव के वोट पर 'नोटा' की चोट यानी प्रत्याशियों को खारिज करने का हक

लखनऊ (जेएनएन)। इस बार नगरीय निकाय चुनाव में नोटा की चोट भी पड़ेगी। मतदाता सारे प्रत्याशियों को नकार सकेगें। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान की ओर से नोटा का प्रतीक नमूना सभी जिलों को भेजा गया है। नगरीय निकाय विभाग के विशेष कार्याधिकारी जय प्रकाश सिंह ने भी राज्य निर्वाचन आयोग के आदेशों को अमली जामा पहनाने की दिशा में तैयारियों की हिदायत अफसरों को दी है। 

लोक सभा और विधान सभा के चुनावों में नोटा (नन आफ द एबव) यानी मतपत्र पर अंकित प्रत्याशियों में से कोई नहीं पर बटन दबाने अथवा मुहर लगाने की व्यवस्था देश में दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनाव से हुई थी। बीते पंचायत चुनाव में भी यह विकल्प अपनाया गया था। प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में यह पहली बार आजमाया जाएगा। इस व्यवस्था से मतदाताओं को किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं देने का अधिकार होगा। यह कह सकते हैं कि वह इसके जरिए अपनी नाखुशी का भी इजहार कर पाएगा। एक सरकारी प्रवक्ता ने इलाहाबाद में बताया कि निर्देशों का पालन कराया जाएगा। निकाय चुनाव में नोटा की अनिवार्यता इस बार है। मतदाता सारे प्रत्याशियों को खारिज करने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर