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कल कल बहेगी कुकरैल, नदी से दूर किए जाएंगे शहर के सभी 51 नाले; जानिए कैसे होगा कायाकल्प

कुकरैल जो कभी नदी थी अब नाला बन चुकी है। इसके दिन बहुरने वाले हैं। भूमिगत नाला बनाकर कुकरैल में गिर रहे 51 नालों का दूषित पानी भरवारा एसटीपी में गिराया जाएगा। इसके बाद सात मीटर गहराई तक गाद निकाली जाएगी।

By Vikas MishraEdited By: Updated: Tue, 13 Jul 2021 12:30 PM (IST)
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कुकरैल नदी की गंदगी गोमती में ही आकर मिलती है।
लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। कुकरैल जो कभी नदी थी अब नाला बन चुकी है। इसके दिन बहुरने वाले हैं। भूमिगत नाला बनाकर कुकरैल में गिर रहे 51 नालों का दूषित पानी भरवारा एसटीपी में गिराया जाएगा। इसके बाद सात मीटर गहराई तक गाद निकाली जाएगी। इसके लिए शासन ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। नालों को डायवर्ट करने का काम जलनिगम को दिया गया है। इस पर करीब 67.65 करोड़ खर्च किए जाएंगे। तटों का सुंदरीकरण भी होगा। दो से तीन वर्षों में नदी अपने पुराने स्वरूप में बहेगी। 

कुकरैल नदी एक नजर 

  • 16 किलोमीटर कुल लंबाई
  • 09 किलोमीटर पीछे कुर्सी रोड पर नदी का उद्गम स्थल
  • 10 वर्ग किलोमीटर में था भूगर्भ स्त्रोत, अब हो चुका है अतिक्रमण
  • 400 मीटर का भाग सूखा है कुर्सी रोड से बीच में
  • 51 नाले कुकरैल में गिरते हैं।
  • 40 नाले ट्रांसगोमती और 11 नाले सिस गोमती के हैं
  • 07 मीटर लेयर की गाद भरी है नदी में
  • 01 मीटर की गहराई बची है
यहां की गंदगी घुलती हैः कुकरैल नदी के दायीं तरफ महानगर, फैजुल्लागंज, त्रिवेणीनगर, जानकीपुरम, अलीगंज, विकासनगर, कल्याणपुर, कालोनियां बसी हैं। बायीं तरफ इंदिरानगर सर्वोदयनगर, रहीमनगर, मानस विहार, शक्तिनगर समेत संजय गांधी पुरम की लगभग पांच लाख आबादी की गंदगी का बोझ सहती है।

जल्द ही बदली नजर आएगी कुकरैल नदीः नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन गोपाल का कहना है कि तीस मार्च 2021 को राज्य सेक्टर कार्यक्रम के अंर्तगत कुकरैल रिवर रिवाइवल एंड वाटर फंड डेवलेपमेंट फेज-एक के लिए 67.65 करोड़ की परियोजना को मंजूरी मिलने से कुकरैल नदी को फिर से पुराने स्वरूप में लाया जाएगा। नालों को पहले डायवर्ट किया जाएगा। फिर सात मीटर गाद को निकाला जाएगा।

दो नदियों वाला शहर हो जाएगाः अभी तक गोमती नदी ही शहर के बीच से होकर जाती थी। कुकरैल नदी भी साफ हो जाने से अब दो नदियां शहर के बीच से होकर गुजरेंगी।

कुत्ते के काटने पर नहलाया जाता था इसमेंः यह मान्यता थी कि अगर किसी को कुत्ते ने काट लिया है तो कुकरैल के पानी से नहाने से ही वह ठीक हो जाता था और रैबीज भी नहीं होता था।

गोमती का दामन भी साफ होगाः कुकरैल नदी की गंदगी गोमती में ही आकर मिलती है। जलनिगम ने सीवेज पम्पिंग स्टेशन बना रखा है, फिर भी गंदगी गोमती में मिल जाती है। इसकी सफाई से गोमती का दामन भी साफ होगा।

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