अब दो सौ किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ेंगी ये ट्रेनें, सिर्फ 2.5 घंटे में पहुंच सकेंगे लखनऊ से दिल्ली
आरडीएसओ लखनऊ के महानिदेशक ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत व मेक इन इंडिया के अतर्गत रेलवे इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप करने वाली संस्थाओं को अवसर देगा। खाली मालगाड़ी को 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ाने के लिए डिजाइन और स्पेसिफिकेशन का काम हो रहा है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। वंदे भारत के बाद अब देश में 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रेनें दौड़ाने की तैयारी तेज हो गई है। अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (आरडीएसओ) ने 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ने में सक्षम सेमी हाइस्पीड ट्रेन की कम भार की एल्युम्यूनियम बाडी की डिजाइन तैयार कर लिया है। अब ट्रेन सेट तैयार करने के लिए खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है। पहले चरण में आरडीएसओ की डिजाइन की हुई 100 ट्रेन सेट बनाए जाएंगे। आरडीएसओ के प्रोजेक्टों की समीक्षा के बाद महानिदेशक संजीव भुटानी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
महानिदेशक ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत व मेक इन इंडिया के अतर्गत भारतीय रेलवे इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप करने वाली संस्थाओं को अवसर देगा। रेलवे के लिए स्टार्टअप्स योजना के तहत रेल लाइन के टूटने, लाइन में तनाव के प्रबंधन के सिस्टम और उपनगरीय सेक्शन के लिए हेडवे में सुधार सहित 11 समस्याओं को दूर करने के लिए स्टार्टअप उद्यमियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। स्टार्टअप्स को अधिकतम 1.5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने चार मार्च को आरडीएसओ की जिस स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली कवच का निरीक्षण किया था। उसे दो साल के भीतर दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा सेक्शन पर लगाया जाएगा। दिल्ली से सोनीपत के बीच डीएमयू को हाइड्रोजन ईंधन से चलाने के लिए भी डिजाइन बनाया गया है। इसका परीक्षण किया जाएगा। उत्तर रेलवे ने इसका टेंडर जारी भी कर दिया है।
राजधानी ट्रेनों की तरह खाली मालगाड़ी को 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ाने के लिए डिजाइन और स्पेसिफिकेशन का काम हो रहा है। रेलवे अस्सी हजार वैगन के साथ नौ हजार हार्सपावर वाले 1200 लोकोमोटिव इंजन दाहोद और 12 हजार हार्सपावर वाले 800 लोकोमोटिव बनारस लोकोमोटिव वर्कशाप में बनाएगा।
आरडीएसओ में अब 32 की जगह सात निदेशालयः प्रोजेक्टों के शोध और उनको पूरा करने के लिए कई अलग-अलग निदेशालयों को समाप्त कर दिया गया है। अब आरडीएसओ में 32 की जगह केवल सात निदेशालय बना दिए गए हैं। प्रधान निदेशक के नेतृत्व में प्रशासनिक, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोलिंग स्टाक, रिसोर्स व टेस्टिंग, सिग्नलिंग व टेलीकाम, ट्रैक्शन और साइकोटेक निदेशालय रह गए हैं।
इससे 28 अफसर भी कम हुए हैं। इन अफसरों को बनारस लोकोमोटिव वर्कशाप, चितरंजन लोको वर्कशाप, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला और मार्डर्न कोच फैक्ट्री में आरडीएसओ की बनायी गई नई यूनिट में तैनात किया जाएगा।