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Chauri-Chaura Case in UP: यूपी बोर्ड के स्कूलों में पढ़ाया जा रहा चौरी चौरा जनविद्रोह, अब अलग से होगा चैप्‍टर

Chauri-Chaura Case in UP हाईस्कूल के सामाजिक विज्ञान व इंटर के इतिहास विषय में पाठ्यक्रम शामिल। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के महत्वपूर्ण केंद्रों में इसे प्रमुखता से रखा गया। विश्वविद्यालयों में चौरी-चौरा जन विद्रोह पर होगा शोध ।

By Divyansh RastogiEdited By: Updated: Fri, 05 Feb 2021 01:01 PM (IST)
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Chauri-Chaura Case in UP: विश्वविद्यालयों में चौरी-चौरा जन विद्रोह पर होगा शोध।
लखनऊ [धर्मेश अवस्थी]। Chauri-Chaura Case in UP: देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गोरखपुर में हुए चौरी-चौरा जन विद्रोह ने अंग्रेजों की चूलें हिला दी थीं। चार फरवरी, 1922 का यह जन विद्रोह यूपी बोर्ड से संबद्ध 27 हजार से अधिक माध्यमिक कालेजों में भी पढ़ाया जा रहा है। हालांकि, जिस तरह इस आंदोलन के नायकों को वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। ठीक वैसे ही पाठ्यक्रम में भी यह अहम आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इसे अलग पाठ का दर्जा मिल सकता है।

माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की पाठ्यचर्या समिति पाठ्यक्रम का निर्धारण करती है। हालांकि, इधर एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अधिकांश विषयों में लागू हो चुका है। इसमें भी हाईस्कूल के सामाजिक विज्ञान विषय में इस आंदोलन को रखा गया है। इस वर्ष यूपी बोर्ड ने कोरोना संक्रमण की वजह से छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए 30 फीसद पाठ्यक्रम कम किया है। उसके बाद भी सामाजिक विज्ञान के जीविका, अर्थव्यवस्था व समाज के खंड दो में इसे जगह मिली है। बोर्ड अफसरों ने बताया कि यह आंदोलन इंटर के इतिहास विषय में भी पढ़ाया जा रहा है। 

अब मुख्यमंत्री की ओर से माध्यमिक कालेजों के पाठ्यक्रम में इसे रखने के निर्देश से इस जन विद्रोह को अलग स्थान मिल सकता है। साथ ही आंदोलन की गौरवगाथा को और विस्तार मिल सकता है। बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल का कहना है कि प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप इस गौरवशाली आंदोलन को हाईस्कूल व इंटर दोनों में पढ़ाया जा रहा है। सरकार इस संबंध में जो भी आदेश देगी उसका भी अनुपालन कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी इस संबंध में निर्देश मिलने का इंतजार है।

विश्वविद्यालयों में चौरी-चौरा जन विद्रोह पर होगा शोध: विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में अब चौरी-चौरा जन विद्रोह पर शोध किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्कीम के तहत शिक्षकों को फंड भी देगा। मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट (वृहद शोध परियोजना) के तहत 15 लाख रुपये और माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट (लघु शोध परियोजना) के तहत पांच लाख रुपये तक का फंड दिया जाएगा। रिसर्च को बढ़ावा देने वाली इस योजना में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति संवर्धन से जुड़े विषयों पर विशेष जोर दिया जाएगा। तीन साल में शोध को पूरा करना होगा। 

अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों को गोरखपुर के चौरी-चौरा में चार फरवरी 1922 को आजादी के लिए वीर सपूतों द्वारा किए गए जन विद्रोह पर शोध के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। चौरी-चौरा एवं स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ पर्यावरण, स्वास्थ्य व शिक्षा एवं तकनीक से संबंधित विषयों पर शोध के लिए एक अप्रैल से लेकर 31 मई के बीच प्रस्ताव भेजने निर्देश दिए गए हैं। चौरी-चौरा जन विद्रोह व स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित शोध के लिए शिक्षक स्थलों व तिथियों आदि पर वास्तविक लेखन करते हुए उस समय के समाचार पत्रों की प्रति, फोटो व अन्य अभिलेखों को संग्रह करने पर जोर देंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारतीय इतिहास एवं संस्कृति संवर्धन पर विशेष जोर देने पर बल दिया गया है। ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों से रिसर्च के लिए प्रस्ताव मांगा है। 

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