मोटापे से भी बढ़ रहा पीसीओएस का खतरा, कम उम्र की लड़कियां भी हो रहीं शिकार, जानिए क्या हैं लक्षण
आजकल कम उम्र में भी लड़कियां पालीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम - पीसीओएस का शिकार हो रहीं। महिला अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मामले बताते हैं कि 15 से 35 आयुवर्ग के बीच पीसीओडी की दिक्कत ज्यादा हो रही।
By Rafiya NazEdited By: Updated: Mon, 04 Oct 2021 03:12 PM (IST)
लखनऊ, जागरण संवाददाता। आजकल कम उम्र में भी लड़कियां पालीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम - पीसीओएस का शिकार हो रहीं। महिला अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मामले बताते हैं कि 15 से 35 आयुवर्ग के बीच पीसीओडी की दिक्कत ज्यादा हो रही। पीसीओडी का एक बड़ा कारण मासिक धर्म में अनियमितता तो है ही, साथ ही लगातार बढ़ता वजन भी इसका अहम कारण है।
केस एक : आलमबाग निवासी हाई स्कूल की छात्रा वजन बढ़ने की समस्या से परेशान होने पर आलमबाग स्थित चंदर नगर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंची। उसके मासिक चक्र में दिक्कत हो रही थी, जिस कारण से भी उसका वजन बढ़ रहा था। जांच में पता चला कि पीसीओएस की दिक्कत है। इससे पहले वह वजन कम करने के लिए जिम के चक्कर लगा रही थी।केस दो : निराला नगर निवासी युवती को प्रेगनेंसी में दिक्कत आ रही। प्रेगनेंसी में दिक्कत के कारण वह अवसाद में भी रहने लगी। झलकारी बाई महिला अस्पताल में उसका इलाज चल रहा। युवती के अनुसार पहले तो वह दिक्कत को समझ ही नहीं पा रही थी, पर अस्पताल में जांच आदि के बाद पता चला कि पीसीओएस की प्रॉब्लम है।
ये है लक्षण: समस्या की बात यह है कि लड़कियां शुरुआत में पीसीओएस की दिक्कत के बारे में समझ हीं नहीं पातीं और वजन बढ़ने की समस्या का निदान खोजने के लिए जिम के चक्कर लगाती हैं। अस्पताल आने पर उन्हें पता चलता है कि पीसीओएस की समस्या है। देरे होने पर समस्या गंभीर हो जाती है। शहर के महिला अस्पतालों की ओपीडी में पीसीओएस के मामले भी बढ़े हैं। झलकारी बाई महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डा रंजना खरे ने बताया कि ओपीडी में हर 100 में से 40 मरीज पीसीओएस के आ रहे हैं। डा रंजना खरे के अनुसार अनियमित मासिक चक्र, लगातार वजन बढ़ना, बालों का झड़ना, पेट में दर्द बने रहना, त्वचा संबंधी समस्याएं और अनचाहे बालों की दिक्कत होने पर सतर्क हो जाएं। जिम में पसीना बहाना इसका विकल्प नहीं है, डाक्टर से जरूर मिलें। क्वीन मेरी अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा रेखा सचान के अनुसार पहले ज्यादा उम्र में शादी होने को इसका कारण माना जाता था, पर अब तो छात्राएं भी इसका शिकार हो रहीं। जीवन शैली सुधारने और वजन पर नियंत्रण रखने से इस समस्या से निदान पाया जा सकता है।
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