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गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन कर शिष्यों को आशीर्वाद देंगे गोरक्षपीठाधीश्वर, रविवार तड़के शुरू हो जाएगा कार्यक्रम

गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा के दिन रविवार को गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन का सिलसिला तड़के से ही शुरू हो जाएगा। गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ सुबह सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ की पूरे विधि विधान से पूजा करेंगे। इसके बाद नाथपंथ के सभी योगियों की समाधि स्थल और देवी देवताओं के मंदिर में विशेष पूजन का कार्यक्रम होगा। पूजा के अंत के सामूहिक आरती होगी।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Sat, 20 Jul 2024 05:56 PM (IST)
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गोरखनाथ मंदिर में रविवार तड़के ही शुरू हो जाएंगे आनुष्ठानिक कार्यक्रम

डिजिटल डेस्क, गोरखपुर। गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को गुरु गोरक्षनाथ का विशिष्ट पूजन कर नाथपंथ के गुरुजन के प्रति श्रद्धा निवेदित करेंगे। इस पर्व पर शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ को रोट अर्पित करने की भी परंपरा है। आनुष्ठानिक कार्यक्रमों को पूर्ण करने के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर अपने शिष्यों को आशीर्वाद प्रदान करेंगे। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में चल रहे श्रीरामकथा की पूर्णाहुति भी होगी।

गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा के दिन रविवार को गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन का सिलसिला तड़के से ही शुरू हो जाएगा। गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ सुबह सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ की पूरे विधि विधान से पूजा करेंगे। इसके बाद नाथपंथ के सभी योगियों की समाधि स्थल और देवी देवताओं के मंदिर में विशेष पूजन का कार्यक्रम होगा। पूजा के अंत के सामूहिक आरती होगी। गुरु पूजन के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर अपने शिष्यों के बीच आएंगे। बारी-बारी से शिष्य, गोरक्षपीठाधीश्वर तक पहुंचेंगे और तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करेंगे।

गोरक्षपीठ में गुरु पूर्णिमा वह अवसर होता है जब नाथ योगी व्यवहारिक और सैद्धातिक दोनों ही रूप में लोगों के सामने गुरु परंपरा के सम्मान की मिसाल प्रस्तुत करते हैं। नाथपंथ गुरु-शिष्य परंपरा का पर्याय रहा है। इस पंथ के योगियों ने गुरु भक्ति और गुरु-शिष्य में योग परंपरा के स्थानातरण की सनातन संस्कृति को अक्षुण्य बनाए रखा है। गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर होने वाला आयोजन इसी प्रयास की महत्वपूर्ण कड़ी होता है। यह आयोजन महज एक कार्यक्रम नहीं है बल्कि संदेश है, गुरु के प्रति सम्मान को कायम रखने का।