Nag Panchami 2022: लखनऊ का एक ऐसा गांव, जहां हर घर में पाला जाता है सांप; होती है पूजा
Nag Panchami 2022 लखनऊ का एक ऐसा गांव जहां हर घर में सर्पों की पूजा की जाती है। यहां सर्पों को लोग अपने घरों में पालते हैं। नाग पंचमी के अवसर पर विशेष पूजा भी होती है। हालांकि जहरीले सर्पों को जंगल में छोड़ने की परंपरा है।
लखनऊ, [नितिश रस्तोगी]। सांप का नाम सुनते भले ही लोगो के जेहन में डर आ जाता हो, लेकिन एक गांव ऐसा भी जहां सांप लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। यहां सांपों को मारते या भगाते नहीं बल्कि लोग उनके साथ रहते हैं और उनकी पूजा करते हैं। यहां बात हो रही सौसीरखेड़ा की जहां कोई भी सांप से नहीं डरता है। सांपों पर यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति टिकी हुई है।
मोहनलालगंज से कुछ किलोमीटर की दूरी पर सरोजिनी नगर क्षेत्र में आना वाला सौसीरखेड़ा सपेरों का गांव है। सौ परिवारों के इस गांव में दो सौ से अधिक लोग रहते है। खास बात यह है कि यहां हर घर का मुखिया सांप पकड़ने का काम करता है, इसलिए हर घर में सांप मिल जाएगा। यह लोग सांप तो पकड़ते ही हैं, बाकी जड़ी बूटियों से सांप के काटने का इलाज भी करते है। आसपास के क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से लोग इन्हें सांप पकड़ने बुलवाते है।
सांपों पर निर्भर आर्थिक स्थितिः यहां के रहने वाले आदित्यनाथ के कहते है कि अगर किसी के घर में सांप निकलता है तो लोग उन्हें फोन कर बुलाते है। इसके बाद वह जाकर सांप को पकड़ते है। सांप पकड़ने की कोई फीस नहीं है लेकिन जो रुपया मिल जाता है उसे रख लेते है साथ में राशन भी मिल जाता है। सांप पकड़ना आज का नही बाकी उनका खानदानी पेशा रहा यह पुश्तों से चला आ रहा है। पीढ़ियां दर पीढ़ियां सांप पकड़ती आ रही हैं। आज कई परिवार के मुखिया के साथ उनके बच्चे भी सांप पकड़ने जाते हैं।
जहरीले सांप को पकड़कर जंगल में छोड़तेः यहां के सपेरे जहरीले से जहरीले सांप को भी पकड़ लेते है। इसके बाद उन्हें जंगल में छोड़ देते हैं। वह कहते हैं कि अगर किसी के घर में सांप निकला है तो उन सांपों को दो से तीन दिन में ही छोड़ दिया जाता है जबकि सांप ने किसी को काटा है तो उसे एक महीने तक रखने के बाद सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया जाता है। सपेरे कहते हैं कि अगर पीपल या बरगद के पेड़ पर सांप होगा तो उसे कोई भी सपेरा नहीं पकड़ता है। वर्षों पुरानी मान्यता के आधार पर ऐसा किया जाता है।