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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश, जानें क्‍या है पूरा मामला

सनराइज ओवर अयोध्या नामक पुस्तक में हिंदुत्व की तुलना बोको हरम और आइएसआइएस से करने के एक मामले में अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Thu, 23 Dec 2021 09:14 PM (IST)
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सनराइज ओवर अयोध्या नामक पुस्तक में हिन्दुत्व की तुलना बोको हरम और आइएसआइएस से करने का मामला।
लखनऊ, विधि संवाददाता। 'सनराइज ओवर अयोध्या' नामक पुस्तक में हिंदुत्व की तुलना बोको हरम और आइएसआइएस से करने के एक मामले में अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है। एसीजेएम शांतनु त्यागी ने यह आदेश स्थानीय वकील शुभांशी तिवारी की एक अर्जी पर संज्ञान लेते हुए दिया है। उन्होंने थानाध्यक्ष बीकेटी को यह भी आदेश दिया है कि वह एफआइआर की प्रति तीन दिन में अदालत में प्रस्तुत करें।

शुभांशी तिवारी का कहना था कि सलमान खुर्शीद वरिष्ठ वकील हैं तथा कई मंत्री पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। उनके द्वारा लिखी गई एक पुस्तक सनराइज ओवर अयोध्या को पढ़ा, तो पुस्तक के कुछ अंश विवादास्पद तथा हिंदू धर्म पर कुठाराघात करने वाले लगे। इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या 113 के अध्याय 6 (द) में लिखा है- भारत के जिस सनातन धर्म और मूल हिंदुत्व की हम बात करते आए हैं, वह भारत के साधु संतो के नाम से पहचाना जाता है। आज उस पहचान को हम कट्टर हिंदुत्व के बल पर दरकिनार कर रहे हैं। वर्तमान समय में हिंदुत्व का एक ऐसा राजनीतिक संस्करण ला दिया गया है, जो इस्लामी जेहादी संगठनों आइएसआइएस और बोको हरम जैसा है।

शुभांशी का यह भी आरोप है कि लेखक द्वारा अपनी पुस्तक के प्रचार तथा उसके विषय में दिए गए साक्षात्कार के समय पुन: हिंदू धर्म पर घृणित टिप्पणी की गई। जिसमें हिंदुत्व की तुलना जानवर और हैवान से की गई है। चूंकि लेखक एक राजनैतिक पार्टी विशेष की विचारधारा से संबध रखते है, इसलिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के मद्देनजर अपनी राजनैतिक पार्टी को लाभ पहुंचाने की मंशा से इस पुस्तक को लिखा है। पुस्तक में बिना विचार किए हिंदुत्व की तुलना ऐसे संगठनों से की है, जिसने सन 2014 से 2018 के मध्य 29 देशों में दो हजार से अधिक लोगों को मार दिया है। उसका उद्देश्य ज्ञानार्जन के लिए पुस्तक लिखने का नहीं अपितु वर्ग विशेष के वोटों के ध्रुवीकरण का था।

शुभांशी का कहना था कि वह हिंदू धर्म की है और हिंदू शब्द के गुण हिंदुत्व पर विश्वास रखती है। इसलिए अपने धर्म पर कुठाराघात होते देखकर वह अत्यंत ही द्रवित और मानसिक रूप से व्यथित है। उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। लिहाजा लेखक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के साथ ही इस पुस्तक की प्रतिया जब्त करने का भी आदेश दिया जाए। ताकि इस प्रकार के विवादस्पद लेखन पर अंकुश लगाया जा सके।

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