बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के आदेश असंवैधानिक, विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में दो प्रस्ताव दाखिल किए हैं। इनमें कहा गया कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाए और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के स्थान पर पोस्टपेड मीटर लगाने के उपभोक्ताओं के अधिकार का हनन न किया जाए। परिषद ने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के आदेश असंवैधानिक हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में उपभोक्ताओं के हितों के दो प्रस्ताव दाखिल किए हैं। आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह व सदस्य संजय कुमार सिंह को सौंपे गए इन प्रस्तावों में कहा गया है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाए और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के स्थान पर पोस्टपेड मीटर लगाने के उपभोक्ताओं के अधिकार का हनन न किया जाए। परिषद ने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के आदेश असंवैधानिक हैं।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का आदेश असंवैधानिक
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) में दिए गए उपभोक्ताओं के अधिकार का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। सभी उपभोक्ताओं के यहां अनिवार्य रूप से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का आदेश असंवैधानिक है।
विद्युत अधिनियम उपभोक्ता को प्रीपेड अथवा पोस्टपेड मीटर लेने का विकल्प देता है। इसके बाद भी 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।उन्होंने बताया कि दूसरा प्रस्ताव ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति से संबंधित है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में रोस्टर की आड़ में उपभोक्ताओं को 18 घंटे ही बिजली की आपूर्ति की जा रही है, जबकि प्रदेश में बिजली की कमी नहीं है। बिजली का उत्पादन करने वाली आठ इकाइयों को बंद कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि एक निजी कंपनी ने प्रदेश में 12 लाख उपभोक्ताओं के घरों पर 2जी व 3जी तकनीक के स्मार्ट मीटर लगाए हैं, इन्हें आज तक अपग्रेड नहीं किया गया है। अब 4जी के साथ ही 5जी तकनीक के स्मार्ट मीटर आ रहे हैं।
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