Paternity Leave : बच्चे के जन्म पर पिता को मिलती है 15 दिनों की पैटर्निटी लीव, जानिए उत्तर प्रदेश में क्या हैं इसके नियम
उत्तर प्रदेश में पैटर्निटी लीव या पितृत्व अवकाश की अवधि 15 दिन की है। कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी के अलावा प्राईवेट कर्मचारी भी पितृत्व अवकाश ले सकते हैं। यह अवकाश बच्चे के जन्म से 15 दिन पहले से लेकर छह माह के बीच कभी भी लिया जा सकता है।
लखनऊ, जेएनएन । क्या आपको पता है, बच्चे होने पर महिलाओं की तरह पुरुषों को भी छुट्टी मिलती है। जी हां, लेकिन अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं होने के कारण वह इस छुट्टी की मांग नहीं करते। हालांकि, धीरे-धीरे पुरुषों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है और इस छुट्टी का उपयोग कर रहे हैं। अब सवाल है कि यह छुट्टी कैसे और क्यों मिलती है। हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी के अलावा प्राईवेट कर्मचारी भी पितृत्व अवकाश ले सकते हैं। यह बच्चें के जन्म से 15 दिन पहले और जन्म के बाद छह महीने के बीच में कभी भी 15 दिनों का अवकाश लिया जा सकता है।
दरअसल, महिलाओं की मैटिर्निटी लीव की तरह पुरुषों को भी पैटर्निटी लीव मिलती है। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है-पिता बनने की जिम्मेदारी। अगर इसे कानून की निगाह से देखा जाए तो मां को कानूनन छह महीने का मातृत्व अवकाश मिलता है, पितृत्व अवकाश के लिए कोई कानून नहीं है। सर्विस रूल के तहत केंद्र सरकार पिता को 15 दिन का पितृत्व अवकाश देती है। कई निजी कंपनियों में भी पितृत्व अवकाश दिया जाता है, लेकिन इस बारे में कानून न होने से समरूपता और अनिवार्यता का अभाव है।
पैटर्निटी लीव को लेकर तेज हुई मांग : वर्ष 2017 में महाराष्ट्र के सांसद राजीव साटव ने पिता के हितों को संरक्षित करने के लिए पैटर्निटी बेनीफिट बिल पेश किया था। इसमें असंगठित और निजी क्षेत्र में 15 दिन के पितृत्व अवकाश का प्रस्ताव था जो तीन माह तक बढ़ाया जा सकता था, लेकिन उनका प्रयास सिरे नहीं चढ़ सका। देश में पितृत्व अवकाश की मौजूदा स्थिति देखी जाए तो आल इंडिया सर्विस रूल के तहत केंद्र सरकार अपने पुरुष कर्मचारियों को दो बच्चों के जन्म के समय 15 दिन का सवैतनिक अवकाश देती है। अब इसको लेकर मांग तेज होने लगी है।
पैटर्निटी लीव क्या है : आइए आपको पैटर्निटी लीव के बारे में बताते हैं। दरअसल, पैटर्निटी लीव कोई भी स्टाफ ले सकता है। पिता बनने के बाद यह छुट्टी पुरुषों को मिलती है। पैटर्निटी लीव का मकसद बच्चे व उसकी मां का देखभाल करना है। इसका लाभ आप डिलिवरी से 15 दिन पूर्व से लेकर उसके जन्म के बाद छह महीने तक ले सकते हैं।
क्यों जरूरी है पैटर्निटी लीव : पुरुषों के लिए पैटर्निटी लीव उतना ही जरूरी है जितना महिलाओं के लिए होता है। आपने देखा होगा कि जन्म के बाद बच्चे मां को जल्दी पहचान जाते हैं और पिता के साथ ऐसा नहीं होता है। इसका मुख्य कारण मां से जुड़ाव है। नवजात पिता को नहीं पहचानता। कई बच्चे पिता को देखकर रोने भी लगते हैं। वहीं, कई बच्चे कई दिनों के बाद पहचान पाते हैं। वहीं, इस दौरान बच्चे की मां को भी फिजिकल व मेंटल सपोर्ट की जरूरत होती है। ऐसे में अगर पुरुष घर में होंगे तो महिलाओं को भी सपोर्ट मिलेगा, जो उनके लिए अच्छा होगा।
पैटर्निटी लीव का नियम : उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में 15 दिनों तक कर्मचारी पैटर्निटी लीव ले सकते हैं। निजी कंपनी के स्टाफ के लिए अभी तक कोई फिक्स नियम नहीं हैं। यहां कई बड़ी कंपनियां इस लीव को देती हैं। वहीं, कई कंपनियां इसे नहीं मानती है और छुट्टी देने से इंकार कर देती है। सभी कंपनियों की एचआर पॉलिसी अलग-अलग होती है। ऐसे में इस छुट्टी को लेने से पूर्व अपने एचआर से पैटर्निटी लीव के नियम जानना बेहद जरूरी है।
किन-किन राज्यों में मिलती है यह लीव : अगर सरकारी स्तर पर बात करें तो देश के कई राज्यों में पैटर्निटी लीव का लाभ कर्मचारी ले सकते हैं। इसमें उत्तर प्रदेश झारखंड, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और मेघालय शामिल है। इन राज्यों के कर्मचारी पैटर्निटी लीव का लाभ उठा सकते हैं।