बलरामपुर अस्पताल में मरीज लगाते रहे OPD का चक्कर, चले गए बेपरवाह डॉक्टर
बलरामपुर अस्पताल में एक बजे ही बंद हो गई अस्थि रोग व सर्जरी ओपीडी। मेडिसिन ओपीडी में दो बजे तक लगी रही कतारें, कई को नहीं मिला इलाज।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Tue, 16 Oct 2018 07:24 PM (IST)
लखनऊ(जेएनएन)। सरकारी अस्पतालों में वैसे तो दोपहर दो बजे तक (अवकाश को छोड़कर) ओपीडी चलती है लेकिन, बलरामपुर अस्पताल में कुछ डॉक्टर दोपहर 12.30 से एक बजे तक ही मरीज देखते हैं। मंगलवार को अस्थि रोग व सर्जरी के डॉक्टर समय से पहले चले गए। मरीज व तीमारदार दो बजे तक ओपीडी का चक्कर लगाते रहे। डॉक्टर नहीं आए तो वे निराश लौट गए।
बलरामपुर अस्पताल में अस्थि रोग ओपीडी में दोपहर एक बजे डॉक्टर की कुर्सी खाली रही। अलीगंज से आए बानू सिंह ने बताया कि डॉक्टर दोपहर 12.30 बजे चले गए। शायद डॉक्टर दोबारा आएं, इसी आस में बानू के जैसे कई मरीज उनका इंतजार करते रहे। डालीगंज से आईं विनीता ने कहा कि उनके कि घुटने में मोच है लेकिन, यहां डॉक्टर ही नहीं हैं तो किसे दिखाएं। सर्जरी विभाग की ओपीडी में सवा एक बजे कोई डॉक्टर नहीं था। बहराइच से परमात्मा प्रसाद ने बताया कि बेटे का इलाज यहां से चल रहा है। दवा खत्म हो गई थी, इसलिए फिर से दिखाने आए थे, पर डॉक्टर नहीं मिले। दो बज गया...अब नहीं देखेंगे डॉक्टर साहब
मेडिसिन ओपीडी में मंगलवार को मरीजों की भरमार थी, पर डॉक्टर अकेले थे। दोपहर डेढ़ बजे मेडिसिन ओपीडी कक्ष के सामने करीब सौ मरीज परामर्श लेने के लिए बैठे थे। डॉक्टर ने इनमें से कई मरीजों को देखा लेकिन, जैसे ही दोपहर के दो बजे डॉक्टर साहब चले गए। ऐसे में बचे मरीजों को बिना दिखाए वापस लौटना पड़ा। कैसरबाग से आए दिव्यांग सेवालाल व किशोर कुमार ने कहा कि उनका इलाज यहां पहले से चल रहा है। वह 12 बजे ही अस्पताल आ गए थे। आरोप है कि पर्चे पर मोहर न लगवा पाने के कारण डॉक्टर ने उन्हें नहीं देखा। क्या कहते हैं अफसर ?
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन का कहना है कि अस्थि रोग के डॉक्टर एक मंत्री को दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को दिखाने केजीएमयू चले गए थे। उनकी जगह पर किसी दूसरे डॉक्टर को बैठना चाहिए था। इसकी पड़ताल करेंगे। मेडिसिन में डॉक्टरों की कमी है। डॉक्टरों की पोस्टिंग के लिए लिखापढ़ी की गई है।
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