जन्मजात विकृतियों का गर्भ में ही इलाज संभव, प्रेग्नेंसी से पहले इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान
दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित हेलो डाक्टर के कार्यक्रम में लोहिया संस्थान के पीडियाट्रिक सर्जन व अपर चिकित्सा अधिकारी डा. श्रीकेश सिंह ने पाठकों के सवालों के जवाब दिए। बताया कि बच्चों में होने वाली कई जन्मजात विकृतियों का इलाज मां के गर्भ में ही संभव है।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Fri, 12 Feb 2021 04:00 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। बच्चों में होने वाली कई जन्मजात विकृतियों का इलाज मां के गर्भ में ही संभव है। वहीं, यदि किसी कारणवश विकृतियों का इलाज गर्भ में नहीं हो पाता या संपूर्ण उपचार नहीं हो पाता। तो उन बच्चों का जन्म के बाद भी इलाज संभव है। इसलिए प्रत्येक महिला को गर्भ धारण करने से पहले व बाद में लगातार गाइनोलॉजिस्ट के संपर्क में रहना चाहिए। गर्भ धारण करने के बाद का पहला अल्ट्रासाउंड व 20 हफ्ते पर एनॉमली स्कैन अवश्य कराएं। इस दौरान अगर कुछ विकृति होती है तो वह पता चल जाती है, जिसका समय से इलाज शुरू करने पर वह ठीक हो सकती है। दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित हेलो डाक्टर के कार्यक्रम में लोहिया संस्थान के पीडियाट्रिक सर्जन व अपर चिकित्सा अधिकारी डा. श्रीकेश सिंह ने पाठकों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि जिन गर्भवतियों को आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां दी जाती हैं, उसे अपने डाॅक्टर के परामर्श के अनुसार नियमित तौर पर लेते रहें। कई विकृतियां इनकी कमी से भी होती हैं।
सवाल- कुछ बच्चे जन्म से बोलने में असमर्थ क्यों होते हैं? 10-12 वर्ष की एक बच्ची है, वह बहुत कम बोल पाती है। -विनोद गौड़, अयोध्या
जवाब-अगर बच्चे पैदा होने के बाद रोते हैं तो उनमें ऐसी दिक्कतें नहीं होती हैं। यदि वे पैदा होने के बाद चुप रहते हैं तो उनमें यह दिक्कतेें होती हैं। यह हार्मोन के डिस्टर्बेंस से होता है। हालांकि, इनमें से ज्यादातर बच्चे एक डेढ़ के साल बाद बोलने लगते हैं। कुछ बच्चे अगर शुरुआत में कम भी बोल रहे हैं तो इससे घबराना नहीं चाहिए। आगे चलकर यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। अगर उस बच्ची को जन्म से ही यह दिक्कत है तो एक बार पीडियाट्रिक के डाक्टर को अवश्य दिखाएं। जांच के बाद इलाज से समस्या ठीक हो जाएगी।
सवाल-मेरा बच्चा सात-आठ वर्ष का है। जन्म से ही उसकी पेशाब की नली नहीं बनी। -केएन श्रीवास्तव, हरदोई
जवाब- इस तरह की दिक्कतें तब ज्यादातर होती हैं, जब गर्भवती को कोई समस्या हो। बच्चे को लोहिया संस्थान में मंगलवार या गुरुवार को लाकर दिखाएं। जांच करके देखा जाएगा कि नली अल्प विकसित है या पूरी तरह बनी नहीं है। इसके बाद इलाज शुरू किया जाएगा।
सवाल- मेरा बच्चा करीब 18 वर्ष का हो गया है। उसे किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में शंट पड़ा था। अब कोई समस्या नहीं है। आगे क्या सावधानी रखनी है? -मनोज, सुलतानपुर जवाब- इसे हाइड्रोसिफेलस के नाम से जानते हैं, जिसमें दिमाग में पानी भर जाता है। यह तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्या है। इसे ठीक करने के लिए शंट लगाया जाता है। अगर अब बच्चा पूरी तरह ठीक है तब भी एक वर्ष में एक बार जरूर डाक्टर को दिखाएं। अगर सिर में कभी सूजन हो, उल्टी, बुखार या दस्त आने लगे तो सतर्क हो जाएं और डाक्टर को दिखाएं।
सवाल-मेरे बच्चों में जन्मजात विकृति हो चुकी है। एक को रीढ़ में फोड़ा तो दूसरे को सिर में था। अब मुझे क्या सतर्कता बरतनी चाहिए कि अगले बच्चे में यह समस्या न हो? - आशा, अहमदगंज ठाकुरगंज, लखनऊ जवाब- यह न्यूरल ट्यूब में डिफेक्ट व आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी के कारण होने वाली समस्या है। अब आप को यह ध्यान देना है कि अगली बार बच्चा प्लान करने से पहले अपने गाइनोलॉजिस्ट को दिखा लें। इस दौरान आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां लेती रहें। साथ ही किसी न्यूरो के डाक्टर को पहले दिखाएं। गर्भ के बाद का अल्ट्रासाउंड व एनॉमली स्कैन जरूर कराएं। इससे कोई दिक्कत होने वाली होगी तो वह गर्भ में ही पता चल जाएगी, जिसका इलाज किया जा सकता है।
सवाल- मेरी तीन वर्ष की बेटी के दिल में छेद है। क्या करें? -कल्पना मिश्रा, हरदोई। जवाब-अगर यह समस्या जन्म के बाद पता चली है तो आप पहले लोहिया संस्थान में लाकर जांच करा सकती हैं। यहां देखा जाएगा कि छेद की स्थिति क्या है। कुछ छेद स्वयं उम्र बढऩे पर भर जाते हैं तो कुछ को आपरेशन से बंद करना पड़ता है। यह समस्या ठीक होने वाली है। घबराएं नहीं।
सवाल- मेरा पांच वर्ष का बेटा है। वह तोतला है। स्वस्थ भी कम है। क्या करें? -गोपाल, अयोध्या जवाब-यह कोई गंभीर समस्या नहीं है। कुछ बच्चों में तालू बढऩे के कारण यह दिक्कत होती है। किसी पीडियाट्रिक के डाक्टर से जांच करा लें। अगर जरूरत होगी तो एक छोटा सा आपरेशन करने के बाद बच्चा ठीक से बोल पाएगा। कुछ में दवा से भी इसका इलाज हो जाता है।सवाल- मेरा दस वर्ष का भांजा है। वह डेढ़ वर्ष की उम्र के बाद से न चल पाता है और न ही उठ-बैठ पाता है। सबकुछ बिस्तर पर ही करता है। -राजेश गौड़, अयोध्या।
जवाब-लग रहा है कि किसी कारण से बच्चे का ब्रेन शॉर्ट हुआ है। एक बार लोहिया संस्थान में लाकर दिखाएं। यहां उसकी कुछ जरूरी जांच कराई जाएंगी। तभी इलाज के बारे में कोई उचित परामर्श दिया जा सकता है।सवाल -अगर किसी गर्भवती का सीजेरियन प्रसव हुआ है तो दूसरा बच्चा कब प्लान करें? -विक्रम सिंंह, फतेहपुर जवाब-पहले से दूसरे बच्चे में न्यूनतम तीन साल का फर्क होना चाहिए। इससे जच्चा-बच्चा दोनों का उचित विकास होता है।
सवाल -मेरी प्रेग्नेंसी का अंतिम माह चल रहा है। मुझे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे कि बच्चे में कोई विकृति न हो? -दीपाली, इंदिरा नगर, लखनऊ जवाब-इसका ध्यान प्रेग्नेंसी शुरू होने से पहले ही रखना होता है। यदि आपने गाइनोलाजिस्ट द्वारा सुझाई आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां निर्धारित समय तक ली हैं। साथ ही एनॉमली स्कैन में बच्चे में किसी तरह की विकृति सामने नहीं आई है तो अब घबराने की जरूरत नहीं है। प्रसव होने तक अपने गाइनोलॉजिस्ट से लगातार संपर्क में बनी रहें।
सवाल -मेरी चार वर्ष की बच्ची है। उसके दोनों पैर में बहुत दर्द होता है। कुछ लोग कहते हैं ग्रोथ के कारण यह समस्या है? -रवि, गोमती नगर लखनऊ जवाब- आप बच्ची को लोहिया संस्थान में दिखा लें। जांच के बाद अगर कोई समस्या होगी तो उचित उपचार किया जाएगा।सवाल- बच्चों में जन्म से कौन-कौन सी विकृति हो सकती है? क्या इनका इलाज संभव है? -लखनलाल, न्यू हैदराबाद, लखनऊ।
जवाब-सिर में पानी भरना या फोड़ा होना, रीढ़ की हड्डी में फोड़ा, किडनी व पेशाब की नली का नहीं होना, हृदय इत्यादि अंगों का अल्प विकसित होने जैसे सिर से लेकर पैर तक तमाम विकृतियां हो सकती हैं। समय पर पता चलने से बहुत सी विकृतियों का इलाज अब गर्भ में ही संभव है। वहीं, जिसका संपूर्ण इलाज गर्भ में नहीं हो सकता, उनका जन्म के बाद होता है। अधिकांश विकृतियां ठीक हो जाती हैं। जो बिल्कुल ठीक नहीं हो सकतीं, उसमें भी प्रयास किया जाता है कि बच्चा सामान्य ङ्क्षजदगी जी सके। इसलिए गर्भधारण से लेकर प्रसव तक समय-समय पर होने वाली जांच व इलाज को लेकर सतर्क रहना चाहिए।इन बातों का भी रखें ध्यान
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- समय पर पहला अल्ट्रासाउंड कराएं।
- 20 हफ्ते में होने वाली एनॉमली जांच जरूर कराएं। इससे गर्भ में बच्चे में होने वाली विकृति का पता चल जाता है।
- प्रेग्नेंसी के समय में सभी टीके जरूर लगवाएं।
- जिन माताओं के पहले बच्चे में विकृति हो चुकी है, वह अगली बार गर्भधारण से पहले अपने गाइनोलाजिस्ट से परामर्श अवश्य लें।
- किसी तरह की भ्रामक बातों में नहीं आएं।
- गर्भ के दौरान बाहर के खान-पान से परहेज करें। घर का खाना खाएं।
- भोजन में हरी शाक-सब्जियां, फल, सलाद जरूर लें।