Pitru Paksha 2020 : एहतियात के साथ मातृ नवमी पर हुआ सामूहिक पिंडदान
Pitru Paksha 2020 मनकामेश्वर उपवन घाट पर और पंचमुखी हनुमान मंदिर में मखाने से हुआ पूजन।
By Divyansh RastogiEdited By: Updated: Fri, 11 Sep 2020 04:59 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। Pitru Paksha 2020 : अपनों को याद कर पिंडदान के पितृ पक्ष में शुक्रवार को मातृ नवमी का श्राद्ध किया गया। घरों में लोगों ने जहां अपनों को याद कर उनकी पसंद का भोजन बनाया तो गाय और कौओं को खिलाकर दान पुण्य किया। मनकामेश्वर उपवन घाट पर महंत देव्या गिरि के सानिध्य में मातृ नवमी का सामूहिक श्राद्ध किया गया।
वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पिंडदान के साथ ही बेजुबानों को भोजन कराया गया। कई श्रद्धालुओं ने गरीबों को दान कर मातृ नवमी का श्राद्ध किया। कुड़िया घाट, लक्ष्मण मेला स्थल के साथ ही झूलेलाल घाट व लल्लू मल घाट पर शारीरिक दूरी के साथ लोगों ने नवमी का श्राद्ध किया। बीबरबल साहनी स्थित पंच मुखी हनुमान मंदिर में पुजारी पंवन मिश्रा के सानिध्य में मखाने का भोग लगाकर मातृ शक्ति की पूजा की गई। सचिव आरपी शर्मा ने बताया कि मातृ शक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति है जो हमें जीवन देकर अपना जीवन
आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि 17 सितंबर तक हमारे पितृ घर में विराजमान होंगे। मान्यता है कि पूर्वज घर में विराजमान होकर सुख, शांति व समृद्धि प्रदान करते हैं। जिनकी कुंडली में पितृ दोष हो, उनको अवश्य तर्पण करना चाहिए। श्राद्ध करने से हमारे पितृ तृप्त होते हैं। पूर्वजों को जलदान व पिंडदान के रूप में समर्पित किया गया भोजन ही श्राद्ध कहलाता है।
देव, ऋषि और पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म जरूरी माना गया है। अपने पूर्वजों का स्मरण करने और उनके मार्ग पर चलने और सुख-शांति की कामना ही श्राद्ध कर्म है।अचार्य कृष्ण कुमार मिश्रा ने बताया कि पुरुष का श्राद्ध पुरुष को, महिला का श्राद्ध महिला को करना चाहिए। कारोना काल में पुरोहित नहीं हैं तो आप श्राद्ध का भोजन मंदिर में या गरीबों में बांट सकते हैं। श्राद्ध को नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि हमारे पूर्वज अपनी मृत्यु तिथि को श्राद्ध की अपेक्षा करते हैं। उनकी दिवंगत उस तिथि को श्राद्ध करना चाहिए।
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