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अफसरों की लापरवाही से बाजार में फिर इस्तेमाल होने लगी पॉलीथिन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद नगर विकास विभाग को पॉलीथिन, थर्मोकोल व प्लास्टिक पर चरणबद्ध प्रतिबंध लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए थे।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Mon, 17 Sep 2018 08:00 PM (IST)
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अफसरों की लापरवाही से बाजार में फिर इस्तेमाल होने लगी पॉलीथिन
लखनऊ (जेएनएन)। शहरी इलाकों में पतली पॉलीथिन के खिलाफ अभियान ध्वस्त हो गया है। यही वजह है कि शहरों में एक बार फिर धड़ल्ले से 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलीथिन कैरीबैग का इस्तेमाल होने लगा है। शुरुआती तेजी के बाद अब कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।

यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद नगर विकास विभाग को पॉलीथिन, थर्मोकोल व प्लास्टिक पर चरणबद्ध प्रतिबंध लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने 15 जुलाई से 50 माइक्रोन तक की सभी पॉलीथिन कैरीबैग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद 15 अगस्त से थर्मोकोल व प्लास्टिक के एक बार इस्तेमाल होने वाले बर्तनों पर भी प्रतिबंध लग चुका है।

जुलाई में पॉलीथिन कैरीबैग के खिलाफ बाजार में सख्ती दिखी। इस कारण बाजार से पतली पॉलीथिन गायब हो गई लेकिन, अफसरों व पॉलीथिन विक्रेताओं की मिलीभगत से एक बार फिर पॉलीथिन बाजार में खुलेआम इस्तेमाल हो रही है। राजधानी लखनऊ में ही सब्जी, फल व किराना की दुकानें सभी जगह यह चल रही हैं। दूसरे शहरों में भी इसका उपयोग बेहिचक हो रहा है।

इस पर सरकार के बड़े अफसर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। पॉलीथिन कैरीबैग के साथ ही थर्मोकोल व प्लास्टिक के एक बार इस्तेमाल होने वाले बर्तन भी खुलेआम बिक रहे हैं। अभी दो चरणों में यह हाल है जबकि तीसरा चरण दो अक्टूबर से शुरू होना है। इसमें सभी प्रकार की पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगना है।

इस बारे में नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि उन्होंने सभी जिलों में डीएम को अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। जिस जिले से शिकायत मिल रही है वहां के डीएम के साथ ही नगरीय निकायों के अफसरों को सख्ती करने के लिए कहा जा रहा है। जल्द ही पॉलीथिन के उपयोग पर सख्ती की जाएगी।

विभागों को अधिकार तो दिए लेकिन कार्रवाई को लेकर भ्रम

नगर विकास विभाग ने पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई के लिए 12 विभागों के अफसरों को अधिकार तो दिए हैं लेकिन कार्रवाई को लेकर भ्रम बना हुआ है। इसका मुख्य कारण विभागों में समन्वय को लेकर स्पष्ट शासनादेश का न होना है। चालान बुक भी नगर विकास विभाग की ओर से न दिया जाना। विभाग ने इसकी जिम्मेदार जिलाधिकारियों पर डाली है। जो जिलाधिकारी इस अभियान में रुचि ले रहे हैं वहां तो यह अच्छा चल रहा है बाकी जगह खस्ताहाल हैं।

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