Lucknow News: 42 साल तक नहीं मिला भूखंड का कब्जा, उपभोक्ता आयोग ने LDA पर लगाया 25 लाख हर्जाना
राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष ने लखनऊ के गिरीश पंत की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि एलडीए दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों से एक करोड़ वसूल कर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराये। 42 साल में भूखंड का कब्जा न पाने वाले गिरीश को 25 लाख हर्जाना 50 हजार वाद व्यय और हाई कोर्ट खंडपीठ की तीन किलोमीटर की परिधि में 200 वर्ग मीटर भूखंड का आवंटन 30 दिन में किया जाए।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। "एलडीए में प्रथम दृष्ट्या बड़ा घोटाला नजर आता है, जहां अधिकारी-कर्मचारी व भू-माफिया का संगठित गठजोड़ कार्य कर रहा है, इस मामले की सरकार एसआईटी जांच कराए और जांच रिपोर्ट सीधे मुख्य सचिव को सौंपी जाए।" राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने यह तल्ख टिप्पणी लखनऊ के कुर्मांचल नगर रामलीला मैदान निवासी गिरीश पंत की सुनवाई करते हुए की।
आयोग ने आदेश दिया कि एलडीए दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों से एक करोड़ वसूल कर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराये। 42 साल में भूखंड का कब्जा न पाने वाले गिरीश को 25 लाख हर्जाना, 50 हजार वाद व्यय और हाई कोर्ट खंडपीठ की तीन किलोमीटर की परिधि में 200 वर्ग मीटर भूखंड का आवंटन 30 दिन में किया जाए। इसके एवज में धन नहीं लिया जाएगा।
1982 में भूखंड के लिए जमा किए थे तीन हजार रुपये
गिरीश पंत ने 1982 में 200 वर्ग मीटर भूखंड के लिए एलडीए में तीन हजार रुपये जमा करके आवेदन किया, 29 जुलाई 1985 को लकी ड्रा में उन्हें प्लाट सी-1/326 वैभवखंड गोमतीनगर आवंटित हुआ। भूखंड की अनुमानित कीमत 34125 रुपये थी, गिरीश ने दो मार्च 1988 तक 45825 रुपये जमा कर दिए। कब्जा पाने के लिए 12 साल इंतजार किया, वर्ष 2000 के बाद से निरंतर एलडीए सचिव को पत्र भेजकर कब्जा दिलाने के लिए अनुरोध करते रहे।गिरीश ने राज्य उपभोक्ता आयोग में दाखिल किया वाद
एलडीए ने जमा धन की रसीदें मांगी, चार अगस्त 2021 को एलडीए की ओर से बताया गया कि संबंधित प्लाट उपलब्ध नहीं है वह गोमतीनगर विस्तार में सेक्टर छह सी-941 ले लें। गिरीश ने जाकर देखा तो पाया कि कब्रिस्तान के बगल में प्लाट है। 20 मार्च 2024 को गिरीश ने राज्य उपभोक्ता आयोग में वाद दाखिल किया।आयोग को एलडीए ने भूखंड का रिकॉर्ड न देकर बिना हस्ताक्षर शपथपत्र दिया गया। अधिवक्ता पीयूष मणि त्रिपाठी, तरुषी गोयल ने आयोग को बताया कि रिकॉर्ड दिखाने के बावजूद एलडीए ने कब्जा नहीं दिया। आयोग ने पाया कि गिरीश को कब्रिस्तान के बगल का प्लाट देने के लिए ऐसा शपथ पत्र लिया गया, ताकि वे न्यायालय न जा सकें।
एलडीए ने दिए झूठे शपथ पत्र
संयुक्त सचिव ने प्रमुख सचिव नगर नियोजन को पत्र लिखा कि नक्शा व भूखंड तक गायब है, जबकि गिरीश को आवंटित भूखंड पत्र में सी-1/326 को डी-1/326 करके बद्री नारायण त्रिपाठी व कुसुम त्रिपाठी को आवंटित कर दिया गया था। गड़बड़ी छिपाने के लिए एलडीए की तरफ से झूठे शपथ पत्र दिए गए। आरटीआई का जवाब तक नहीं मिला। आयोग ने आदेश दिया है कि आदेश की प्रति मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव नगर नियोजन व एलडीए उपाध्यक्ष को भेजी जाए।
राज्य उपभोक्ता आयोग ने 13 जुलाई को ही बाराबंकी की पुष्पा देवी के प्रकरण की सुनवाई करते हुए एलडीए की एसआईटी जांच कराने की सिफारिश की थी, जिसमें 20
वर्ष से वह आवास पाने की राह देख रही थी।
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