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UP में तेजी से घटी गरीबी, 3.43 करोड़ लोग दायरे से हुए बाहर; नीति आयोग ने जारी किए आंकड़ें

सोमवार को नीति आयोग की ओर से जारी की गई राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किये गए हैं। यह सूचकांक स्वास्थ्य शिक्षा और जीवन स्तर से जुड़े कुल 12 मानकों पर आधारित हैं। माना जा रहा है कि बहुआयामी गरीबी में कमी लाने में केंद्र और राज्य सरकारों की गरीब कल्याण योजनाओं की बड़ी भूमिका है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Tue, 18 Jul 2023 08:51 AM (IST)
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UP में घटी गरीबी, 3.43 करोड़ लोग दायरे से हुए बाहर; नीति आयोग ने जारी किए आंकड़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-21 की समयावधि में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी की गिरफ्त से बाहर आए हैं। प्रदेश में 2015-16 में जहां 37.68% लोग गरीबी के दायरे में थे, वहीं 2019-21 में उनकी संख्या घटकर 22.93% रह गई।

नगरीय क्षेत्रों की तुलना में गरीबी ग्रामीण इलाकों में अधिक तेजी से कम हई है। राज्य के ग्रामीण इलाके में 2015-16 में जहां 44.29% लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे में थे, वहीं 2019-21 में उनकी संख्या घट कर 26.35% रह गई। वहीं 2015-16 में नगरीय क्षेत्रों में 17.72% लोग गरीबी के चंगुल में फंसे थे जिनकी संख्या 2019-21 में घटकर 11.57% रह गई है।

सोमवार को नीति आयोग ने जारी किए आंकड़ें

सोमवार को नीति आयोग की ओर से जारी की गई राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किये गए हैं। यह सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर से जुड़े कुल 12 मानकों पर आधारित हैं। माना जा रहा है कि बहुआयामी गरीबी में कमी लाने में केंद्र और राज्य सरकारों की गरीब कल्याण योजनाओं की बड़ी भूमिका है।

पिछड़े जिलों में बहुआयामी गरीबी में अधिक कमी

विकसित जिलों की तुलना में पिछड़े जिलों में बहुआयामी गरीबी में अधिक कमी आई है। इस समयावधि में प्रदेश में बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर निकलने वाले सर्वाधिक 29.64% लोग महाराजगंज के हैं। गोंडा दूसरे और बलरामपुर तीसरे स्थान पर हैं। सबसे कम 3.01 प्रतिशत की कमी गौतम बुद्ध नगर में आई है। इस संदर्भ में लखनऊ में 3.68% की कमी दर्ज की गई है।