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Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : मुनाफे की फसल काट रहीं बीमा कंपनियों से अब होगी वसूली

किसानों की फसल की नुकसान की भरपाई के लिए जिस Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana का शुरुआत की गई थी वहां बीमा कंपनियों ने किसानों से ज्यादा मुनाफा बंटोरा है। यह बात प्रदेश सरकार की पड़ताल में सामने आई है। जांच में सामने आया है कि बीते वर्षों में बीमा कंपनियों ने प्रीमियम के तौर पर जो राशि ली है उसके एवज में भुगतान कम हुआ है।

By Nitesh Srivastava Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Fri, 23 Aug 2024 04:40 PM (IST)
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Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (फोटो सोर्स- जागरण ग्राफिक्स)

आनंद मिश्र, जागरण लखनऊ। फसलों के नुकसान की आर्थिक भरपाई से जुड़ी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) किसानों से कहीं अधिक बीमा कंपनियों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हुई हैं।

प्रदेश सरकार की पड़ताल में भी अब यह सच्चाई उजागर हो चुकी है कि बीमा कंपनियों द्वारा प्रीमियम के तौर पर ली गई राशि के एवज में बीते वर्षों में किए गए भुगतान के आंकड़े काफी कम है।

औसत दावा अनुपात 40-60 प्रतिशत रहा है, जिससे सरकार को आर्थिक चोट भी पहुंच रही है क्योंकि प्रीमियम की राशि का 98 प्रतिशत केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है।

पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए कृषि विभाग ने फसल बीमा कंपनियों को नफे-नुकसान के दायरे में बांधा है। नतीजा यह है कि पहली बार बीमा कंपनियां सरकार को प्रीमियम के तौर पर वसूली गई राशि का एक बड़ा हिस्सा वापस करेंगी। यह राशि 300 करोड़ से अधिक हो सकती है।

फसल बीमा कंपनियों द्वारा प्रीमियम के एवज में ली जा रही राशि और वितरित क्षतिपूर्ति के अध्ययन के बाद गत वित्तीय वर्ष कृषि विभाग ने एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसके अनुसार यदि बीमा कंपनियां वसूले गए प्रीमियम का 80 प्रतिशत से कम भुगतान करती हैं तो उन्हें शेष राशि सरकार को वापस करनी होगी।

वहीं, यदि दावा अनुपात 110 प्रतिशत से अधिक पहुंच जाता है तो उनके घाटे की भरपाई प्रदेश सरकार करेगी। कृषि विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी की पहल पर लिया गया यह निर्णय अब सही साबित होता दिख रहा है।

बीते वर्ष खरीफ व रबी फसल के दौरान बीमा कंपनियों ने केंद्र व राज्य सरकार के साथ-साथ किसानों के अंशदान के रूप में 935 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में लिए, जबकि क्लेम के रूप में किसानों को 405 करोड़ रुपये (43.31 प्रतिशत) का ही भुगतान किया गया। यह 80 प्रतिशत के तय मानक से 36.69 प्रतिशत कम है।

सीधे शब्दों में समझे तो बीमा कंपनियों को 343 करोड़ रुपये की राशि सरकार को वापस करनी पड़ सकती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे बीमा कंपनियों को इस फार्मूले से कोई नुकसान होगा, उनकी जेब में भी मुनाफे के तौर पर करीब 187 करोड़ रुपये आएंगे। हां, नफे-नुकसान के दायरे में बंधने पर अब पहले जैसा फायदा नहीं होगा।

कृषि विभाग ने मोटे तौर पर अध्ययन कर बीमा कंपनियों को इस संबंध में पत्र लिखा है और उनसे भी आकलन करने को कहा है। सरकार को बीमा कंपनियों के जवाब की प्रतीक्षा है। इन आंकड़ों में आंशिक फेरबदल की गुंजाइश भी बताई जा रही है।

बता दें कि खरीफ फसल के दौरान किसानों से फसल बीमा के एवज में प्रीमियम की महज दो प्रतिशत राशि ली जाती है, शेष राशि का भुगतान केंद्र व राज्य सरकार बराबर-बराबर करते हैं।

वहीं, रबी में किसान का अंशदान महज डेढ़ प्रतिशत का होता है और शेष राशि केंद्र व राज्य सरकार 50:50 प्रतिशत के अनुपात में देती हैं। हालांकि, फसल बीमा किसानों के हित में हैं, क्योंकि उनके प्रीमियम के बड़े हिस्से का भुगतान सरकार करती है।

फसल बीमा की कुछ ऐसी रही स्थिति

वर्ष  प्रीमियम  क्षतिपूर्ति  दावा भुगतान
2016-17 1165.73 569.03 48.81
2017-18 1380.76 373.98 27.09
2018-19 1501.93 452.66 30.14
2019-20 1309.67 1093.47 83.49
2020-21 1612.02 501.00 31.08
2021-22 1535.11 938.59 61.14
2022-23 1534.71 912.26 59.44
2023-24 935.57 405.22 43.31
योग 10975.50 5246.21 47.80

नोट : राशि करोड़ रुपये में है।

सात वर्षों में बीमा कंपनियों को मिला 10,975 करोड़

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2016-17 से 2023-24 के बीच बीमा कंपनियों को 10975.50 करोड़ रुपये का भुगतान प्रीमियम के तौर पर किया गया, जबकि क्षतिपूर्ति के एवज में इन कंपनियों ने किसानों को 5246.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो कि 47.80 के दायरे में रहा।

जाहिर है बीते सात वर्षों में बीमा कंपनियों ने फसलों के नुकसान की आर्थिक भरपाई के रूप में मुनाफे की फसल खूब काटी है।

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